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इन टिप्स को फॉलो कर शिशु को दूध पिलाना बनाएं आसान

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Mayank Khandelwal


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/05/2020

    इन टिप्स को फॉलो कर शिशु को दूध पिलाना बनाएं आसान

    बॉटल से शिशु को दूध पिलाना एक कठिन काम है। छह महीने तक शिशु के लिए मां का दूध ही संपूर्ण आहार होता है। छह महीने के बाद महिलाएं शिशु को बोतल से दूध पिला सकती हैं। ब्रेस्टफीडिंग करने वाले शिशु को यदि अचानक से बॉटल से फीडिंग कराई जाए तो शायद वह दूध ना पिए। शिशु को स्तनपान (ब्रेस्टफीडिंग) से बॉटल फीडिंग पर लाने में वक्त लगता है। आज हम इस आर्टिकल में शिशु को बोतल से दूध पिलाने के तरीकों के बारे में बताएंगे। इससे न्यू मॉम को शिशु को दूध पिलाना आसान होगा।

    स्तनपान और बॉटल से दूध पीने में अंतर होता है। बॉटल से दूध पीने के लिए शिशु को जीभ और मुंह का मूवमेंट पहले से अलग करना पड़ता है। उसे बोतल से दूध पीना सीखने में थोड़ा समय लग जाता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि शिशु एक बार में ही बॉटल के पूरे दूध को खत्म नहीं कर पाएगा।

    शिशु को बोतल से दूध कितनी मात्रा में देना चाहिए?

    सामान्यतः शिशु को ब्रेस्टफीडिंग की तरह ही बोतल से भी 30 से 60 मिली लीटर दूध ही देना शुरू करें। फिर दो से तीन दिनों के बाद शिशु को लगभग 60 से 90 मिली लीटर दूध की जरूरत होती है। हर पांच घंटे में शिशु को दूध पिलाना चाहिए। बच्चे की भूख धीरे-धीरे बढ़ती है। अगर आपका बच्चा छह महीने से कम है तो हर दो से तीन घंटे में बोतल से शिशु को दूध पिलाना चाहिए। अगर थोड़ा सा बोतल से दूध पीने के बाद बच्चा बोतल को मुंह से हटा लें, तो ऐसे में मां को जबदस्ती नहीं करना चाहिए। साथ ही यदि बच्चे का वजन तीन किलो है तो उसको 450 मिली लीटर से 600 मिली लीटर तक दूध दिया जा सकता है।

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    शिशु को दूध पिलाना इन तरीकों से करें आसान

    कई बच्चे बोतल से दूध पीने में बहुत आनाकानी करते हैं। ऐसे में माओं को नीचे बताए गए टिप्स फॉलो करने चाहिए। इससे बोतल से शिशु को दूध पिलाना आसान होगा।

    स्तनपान के तुरंत बाद शिशु को बोतल दें

    शाम को स्तनपान कराने के बाद शिशु को दूध की बोतल दें, जिससे उसे निप्पल की आदत पड़े। इस बोतल में थोड़ा सा दूध डालें। इसके बाद इस दूध को उसके होंठों पर हल्का-हल्का टपकाएं। आप स्लो फ्लो वाली निप्पल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। बोतल को होरिजोंटल रखें। फीडिंग के दौरान बीच में थोड़ा गैप दें। ब्रेस्टफीडिंग की तरह बोतल की साइड बदलें। बच्चे का पेट फुल लगने पर फीडिंग बंद कर दें।

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    बॉटल में ब्रेस्ट मिल्क डालकर शिशु को दूध पिलाना

    शिशु को बोतल से दूध पिलाने की आदत डालने के लिए आप बॉटल में ब्रेस्ट मिल्क मिला सकती हैं। शिशु इसके स्वाद को पहचान कर निप्पल से दूध पीने लगेगा। इसके लिए आपको शहद का इस्तेमाल नहीं करना है। एक वर्ष से छोटे शिशु को शहद चटाने से उसे बोटुलिज्म हो सकता है। इससे उसकी बॉडी में बैक्टीरिया पहुंच जाता है, जो मसल्स को कमजोर करने लगता है।

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    कम मात्रा में पिलाएं दूध

    शुरुआती दिनों में आपको शिशु को 30 से  60 ग्राम ब्रेस्ट मिल्क देना है। इसके बाद जब बच्चा ब्रेस्टफीडिंग करने लगे तो उसका पेट भरने से पहले इस बोतल को उसके मुंह पर लगाएं। इससे उसे पता नहीं चलेगा कि वह बॉटल से दूध पी रहा है।

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    निप्पल के मुंह पर ब्रेस्टमिल्क टपकाएं

    शिशु को बोतल से दूध पिलाने से पहले निप्पल के ऊपर ब्रेस्टमिल्क की कुछ बूंदे टपका लें। ऐसा करने से शिशु को इसकी खुशबू और स्वाद दोनों ही ब्रेस्टमिल्क की तरह लगेगा। इसके बाद शिशु के ऊपर वाले लिप पर इसकी कुछ बूंद टपकाएं। इससे बॉटल से शिशु को दूध पिलाना आसान होगा।

    बॉटलफीडिंग की पोजिशन

    शिशु जब बिस्तर पर लेटा हो तब उसे बॉटल से कभी दूध ना पिलाएं। उसे गोद में सेमि-अपराइट की पुजिशन में उठाकर ही बोतल से दूध पिलाएं। बीच-बीच में थोड़े टाइम का पॉज जरूर दें।

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    शिशु को बोतल से दूध पिलाने के फायदे

    बोतल से शिशु को दूध पिलाना बहुत जरूरी है। इससे कुछ फायदे होते हैं जो मां के साथ-साथ बच्चे के लिए भी फायदेमंद हो सकते हैं जैसे-

    • बोतल से शिशु को दूध पिलाना मां को स्तनपान के समय होने वाले दर्द से छुटकारा दिलाता है।
    • बच्चे को बोतल से दूध पिलाते समय मां को बच्चे की सही खुराक के बारे में पता रहता है। अगर शिशु ने पेट भर दूध पी लिया है तो ऐसे में मां को बच्चे के भूखे रहने की चिंता नहीं होती है और वह कुछ घंटों के लिए निश्चिंत हो जाती है।
    • कई बार मां को बाहर बच्चे को स्तनपान कराने में थोड़ी शर्मिंदगी महसूस होती है। ऐसे में शिशु को बोतल से दूध पिलाना आसान हो जाता है।
    • बोतल से शिशु को दूध पिलाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बच्चे को जब भी भूख लगे कोई भी फैमिली मेंबर बच्चे को दूध पिला सकता है।
    • कुछ महिलाओं के शरीर में उचित मात्रा में ब्रेस्ट मिल्क नहीं बन पाता है। ऐसे में महिलाओं को चिंता होती है। लेकिन, शिशु को बोतल से दूध पिलाने से महिलाओं को किसी भी तरह की प्रॉब्लम से निजात मिलती है।
    • कई बार ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कुछ महिलाएं बीमार हो जाती हैं ऐसे में शिशु को मां का दूध नहीं पिलाया जाता है। ऐसी स्थिति में बोतल से शिशु को दूध पिलाना सही रहता है। इससे बच्चा भूखा नहीं रहता है।

    शिशु को बोतल से दूध पिलाते समय ध्यान देने वाली बातें

    बच्चे को बोतल से दूध पिलाते ध्यान निम्न तरह की बातों का ध्यान देना चाहिए-

    • बोतल से दूध पिलाने से पहले और बाद में इसे गर्म पानी से अच्छी तरह साफ करें।
    • सुनिश्चित करें कि बच्चे की बोतल के निप्पल का छेद ज्यादा बड़ा न हो।
    • शिशु को दूध पिलाते समय उसका सिर थोड़ा ऊपर रखें।
    • जब बच्चा बोतल से दूध पिएं तो बोतल के निचले हिस्से को थोड़ा ऊपर ही रखकर दूध पिलाएं।
    • बच्चे को दूध देने से पहले उसकी गर्माहट कलाई पर चेक करें।
    • डिब्बे वाले दूध को तैयार करते समय उसके पैकट में लिखें निर्देशों का पालन करें।

    इन टिप्स को फॉलो करके आप बच्चे का बॉटल से दूध पीना आसान बना सकते हैं। याद रखें शुरुआत में थोड़ी परेशानी आती है लेकिन, कुछ समय बाद बच्चा इससे फेमिलियर हो जाता है और बॉटल से दूध पीना शुरू कर देता है।

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