backup og meta

मां का गर्भ होता है बच्चे का पहला स्कूल, जानें क्या सीखता है बच्चा पेट के अंदर?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/08/2020

    मां का गर्भ होता है बच्चे का पहला स्कूल, जानें क्या सीखता है बच्चा पेट के अंदर?

    बच्चे खेलने के लिए घर के अंदर या फिर प्ले ग्राउंड चुनते हैं। ठीक उसी तरह से गर्भ में शिशु को खेलने के लिए स्थान चाहिए होता है। गर्भ में शिशु को खेलने के लिए किसी खिलौने की जरूरत नहीं होती है। गर्भ में शिशु मां की आवाज सुनकर मूवमेंट करता है। जब भी उसको तेजी से रोशनी महसूस होती है तो वो आखों को छोटा कर लेता है। मां का गर्भ बच्चे के लिए किसी स्कूल से कम नहीं होता है। गर्भ में शिशु के सीखने और समझने की क्षमता का विकास होने लगता है। फीटल की डिफरेंट डेवलपमेंट स्टेज में, खासतौर पर लास्ट ट्राइमेस्टर में बच्चा बाहर के वातावरण को भी समझने लगता है।

    और पढ़ें : बच्चों में भाषा के विकास के लिए पेरेंट्स भी हैं जिम्मेदार

    बच्चा सबसे पहले क्या सुनता है?

    ये प्रश्न लोगों में उत्सुकता जगा सकता है कि गर्भ में शिशु सबसे पहले क्या सुनता है। गर्भ में शिशु जब 23 सप्ताह या फिर करीब आठ माह का हो जाता है वो आवाज के लिए सेंसिटिव हो जाता है। गर्भ में शिशु मां की धड़कन की आवाज, सांस लेने की आवाज, पेट में होने वाली गड़गड़ाहट आदि की आवाज आसानी से सुन सकता है। आठवें महीने के दौरान मां के बात करने या फिर बेबी के हार्ट रेट में कमी महसूस की जा सकती है। साथ ही नौवें महीने में जब मां पेट पर हाथ फिराकर गर्भ में शिशु से बात करती है तो बच्चा आवाज को महसूस कर सकता है। गर्भ में शिशु बातों का मतलब भले ही न समझता हो, लेकिन वो मां की आवाज को पहचानने लगता है। यहीं से मां और बच्चे के बीच कम्युनिकेशन शुरू हो जाता है।

    रिचर्स के दौरान ये बात सामने आई है कि गर्भ में शिशु भाषा या शब्दों को समझने में सक्षम नहीं होता है, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान अगर मां कोई गीत गुनगुनाएं तो पैदा होने के बाद बच्चा उसके प्रति रिस्पॉन्स करेगा। अगर मां अपना कोई फेवरेट सॉन्ग प्रेग्नेंसी के दौरान गुनगुनाती है तो पैदा होने के बाद बच्चा वही गाना सुनकर तेजी से हाथ हिला सकता है, या फिर वो मुस्कुरा भी सकता है। रिसर्च में इस बात को भी माना गया कि गर्भ में शिशु किसी लय के प्रति अधिक रिस्पॉन्स करता है।

    और पढ़ें : प्रेग्नेंट महिलाएं विंटर में ऐसे रखें अपना ध्यान, फॉलो करें 11 प्रेग्नेंसी विंटर टिप्स

    बच्चे को बनाएं वेजीटेबल और फ्रूट लवर

    इस बात को सुनकर चौंकने की जरूरत नहीं है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि बच्चों को वो चीजें जल्दी पसंद आती हैं, जो उनकी मां ने गर्भावस्था के दौरान ज्यादा खाई थी। अगर आपको अपने बच्चे को वेजीटेबल और फ्रूट लवर बनाना है तो प्रेग्नेंसी के दौरान सब्जियां और फल पर ज्यादा फोकस रखें। गर्भ में शिशु एम्निऑटिक फ्लूड से घिरा होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान मां जो भी खाना खाती है, उसका सीधा असर एम्निऑटिक फ्लूड पर भी पड़ता है। बच्चा जो भी पोषण मां के शरीर से ले रहा होता है, वो मां के खाने का अंश ही होता है। ऐसे में मां जो खाती है, गर्भ में शिशु के लिए टेस्ट प्रिफरेंस बन जाता है। पैदा होने के बाद भी बच्चा उसी तरह का खाना पसंद करता है।

    और पढ़ें :   प्रेग्नेंसी के दौरान फोलिक एसिड लेना क्यों जरूरी है?

    मां की स्मैल पहचान लेता है बच्चा

    गर्भ में शिशु मां की आवाज, खाने के टेस्ट के साथ ही उसकी आवाज भी आसानी से पहचान लेता है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि गर्भ में शिशु किसी खास प्रकार के खाने की महक को पहचानने लगता है। ठीक उसी तरह से वो मां की खुशबू को भी पहचान लेता है। जन्म के बाद शिशु को मां की महक पता चल जाती है। अगर बच्चा मां की गोद से दूर जाता है तो रोने लगता है। साथ ही ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भी ऐसा ही होता है। अगर मां तुरंत नहा लें तो बच्चा थोड़े समय के लिए मां को नहीं पहचान पाता।

    और पढ़ें : गर्भधारण के दौरान कपल्स के द्वारा की जाने वाली 7 कॉमन गलतियां

    गर्भ में भी शिशु देख सकता है सपना

    आपने महसूस किया होगा कि कई बार बच्चे सोते समय रोने लगते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे सपना देख रहे होते हैं। गर्भ में शिशु के साथ ही ऐसा होता है। रिसर्च के अनुसार बच्चे गर्भ में अचानक से नींद लेते हैं और जिसे रेम स्लीप (REM sleep) कहते हैं। महिला के गर्भ में बच्चे को स्लीप के रेम फेस में पाया गया है। इससे ये साबित होता है कि गर्भ में शिशु सपने देख सकता है।

    दुनिया में आने के लिए तैयार हो चुका है शिशु

    गर्भ में शिशु का सेंस डेवलप हो जाता है। तेज रोशनी को लेकर प्रतिक्रिया देना हो, या फिर मां की आवाज सुनकर पेट में किक मारना। बच्चा पेट में धीरे-धीरे सीखता रहता है। यही कारण है कि गर्भ में शिशु की पहली क्लास शुरू हो चुकी होती है। गर्भ में शिशु कुछ रिफ्लेक्स भी सीख चुका होता है। जैसे अंगूठा चूसना, तेज आवाज सुनकर चौंक जाना आदि। जब बच्चा पैदा होता है तो वो अपनी मां से अनजान नहीं होता है। उसके लिए मां के पास का वातावरण पहचाना हुआ सा होता है। पैदा होने के बाद रोते हुए बच्चे को मां अपने से चिपका लें तो वो तुरंत चुप भी हो जाता है। गर्भ में शिशु मां का एहसास पूरी तरह से कर चुका होता है। मां को भी बच्चे का अपनापन पहली बार उसे गोद में लेने पर पता चल जाता है।

    गर्भ में शिशु के लिए बनाएं अच्छा वातावरण

    गर्भ में शिशु के लिए अच्छा वातावरण बनाना बहुत जरूरी है। अक्सर माएं ये सोचती हैं कि जब बच्चा समझदार हो जाए तब उसके सामनें बहुत संभाल कर बात करनी चाहिए। जब गर्भ में शिशु होता है, तो भी ये बात लागू होती है। गर्भ में शिशु है तो ऐसे वातावरण में बिल्कुल ना रहें जहां तेज आवज या अशांत माहौल हो। झगड़े वाले और तनाव के वातावरण में रहने से बच्चे पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। बेहतर रहेगा कि प्रेग्नेंसी के दौरान मन को शांत रखने के लिए सही वातावरण का चुनाव करें। मन को रिलेक्स करने के लिए अच्छी किताबें पढ़ें और अपनी हॉबी को एंजॉय करें। आप चाहे तो ऐसे समय में आने वाले बच्चे के लिए शॉपिंग भी कर सकती हैं। उसके लिए अपने हाथों से कपड़ें सिल भी सकती हैं।

    और पढ़ें : गर्भावस्था के दौरान होने वाले इंफेक्शंस से कैसे बचें?

    बच्चा पेट में क्या सीखता है, इसके लिए कई बार रिसर्च की जा चुकी हैं। अगर आपके मन में भी कोई सवाल हो तो एक बार इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर पूछें। ये जरूरी नहीं है कि सब बच्चे एक ही प्रकार से गर्भ में किसी खास चीज को सीखें। गर्भ में शिशु के सीखने में अंतर भी हो सकता है।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    Dr Sharayu Maknikar


    Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/08/2020

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement