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गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) का महत्व है पुराना!
1500-500 ईसा पूर्व के प्राचीन हिंदू ग्रंथों में “गर्भ संस्कार” (Garbh sanskar) के बारे में पता लगाया जा सकता है। रामायण में भी इस बात का महत्व बताया गया है कि भगवान राम के जन्म से पहले, अग्नि देवता ने राजा दशरथ को “पायस” दिया था, जो कि “गर्भ संस्कार” (Garbh sanskar) के रूप में माना जा सकता है। महाभारत में भी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है कि कैसे अर्जुन ने अभिमन्यु को ‘चक्रव्यूह’ में प्रवेश करना सिखाया था जब कि वह उस समय वे अपनी मां सुभद्रा के गर्भ में ही थे। यह कहानी इस तथ्य को भी प्रमाणित करती है कि पौराणिक काल में पुरुषों ने भी “गर्भ संस्कार” की अवधारणा को माना था।
भारत में ऐसी अनेक पौराणिक कथाएं हैं जो गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) की शक्ति को दिखाती हैं। इसके महत्व को देखते हुए ही आज गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) की क्लासेज भी चलाई जा रही हैं। इन क्लासेज को ऑनलाइन या ऑफलाइन ज्वॉइन किया जा सकता है। इससे गर्भस्थ शिशु को सर्वगुण संपन्न, स्वस्थ, बुद्धिमान और संस्कारवान बनाने में मदद मिलती है।
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गर्भ विज्ञान: गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) से जुड़ी अभिमन्यु की कहानी!
सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक कहानी महाभारत के अभिमन्यु की है। जब अर्जुन की पत्नी अपने पुत्र अभिमन्यु के साथ गर्भवती थी, तो उसने उसे चक्रव्यूह में घुसने के बारे में बताया, जो एक खास युद्ध था। जब कुरुक्षेत्र युद्ध में अभिमन्यु एक युवक और योद्धा बने, तो उन्हें अपने पिता की कहानी याद आई। वह उस रणनीति को नियोजित करने में सक्षम था जो उसने अपने पिता को अपनी मां के गर्भ में रहते हुए सुना था। गर्भ संस्कार के लिए अभिमन्यु की कहानी सबसे ज्यादा मशहूर है।