बच्चों में पीलिया होने के लक्षण क्या हैं?
पीलिया का प्रमुख लक्षण शरीर का पीला पड़ना है, जो पीले तत्व बिलीरुबिन की अत्यधिक मात्रा की वजह से होता है। शुरुआत में चेहरा पीला पड़ता है जिसके बाद यह शरीर के अन्य हिस्सों में जैसे सीना, पेट, हाथ और पैर पर फैलता है।
बच्चों में पीलिया का उपचार कैसे किया जाता है?
आमतौर पर बच्चों में पीलिया एक से दो हफ्तों में ठीक हो जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में डॉक्टर बच्चे के लिए निम्नलिखित उपचार कर सकता है:
- अतिरिक्त स्तनपान: इसमें बच्चे को ज्यादा से ज्यादा मां का दूध पिलाया जाता है। इसकी वजह से बच्चा अधिक मलत्याग करत है। इसकी मदद से शरीर से अत्यधिक बिलीरुबिन तेजी से बाहर निकलता है।
- डॉक्टर बच्चे को एक खास तरह की लाइट यानी ब्लू-ग्रीन लाइट के नीचे रखते हैं, जिसकी मदद से बिलीरुबिन पेशाब के साथ निकल जाता है। इसे फोटोथेरिपी कहा जाता है। इस थेरिपी के दौरान शिशु की आंखों पर एक पट्टी लगा दी जाती है, जिससे उसकी आंखें सुरक्षित रहें। शिशु को आराम देने के लिए हर तीन से चार घंटे में आधे घंटे के लिए इस प्रक्रिया को बंद किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान मां अपने बच्चे को स्तनपान करा सकती है।
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन: अगर उपरोक्त में से कोई भी उपचार से बच्चे को फायदा न हो तो फिर ब्लड ट्रांसफ्यूजन की मदद ली जाती है। इसमें डॉक्टर धीरे-धीरे बच्चे के शरीर से कम-कम मात्रा में खून निकालकर डोनर के खून से बदल देते हैं।
- अगर बच्चे को पीलिया मां के ब्लड ग्रुप अलग होने की वजह से होता है, तो इसका उपचार करने के लिए इम्यूनोग्लोबुलीन इंजेक्शन भी लगाया जाता है। इस इंजेक्शन से शिशु के शरीर से एंटीबॉडीज कम होने लगते हैं, जिससे पीलिये से राहत मिलती है।
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बच्चों में पीलिया होने से जुड़े मिथक क्या हैं?
आपने आज तक यही सुना होगा कि पीलिया होने पर पीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन आपको बता दें कि ये सरासर एक मिथक है। पीला खाने से या पीला कपड़ा पहनने से पीलिया बढ़ता है, इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।