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Ferber Method Of Sleep Training: बच्चों को सुलाने के लिए फेरबेर मेथड क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/03/2022

    Ferber Method Of Sleep Training: बच्चों को सुलाने के लिए फेरबेर मेथड क्या है?

    बच्चे के जन्म के बाद नवजात की नींद पर घर के अन्य सदस्यों की नींद निर्भर रहने लगती है। आधी रात में अगर बच्चा रोता है, तो घर के सभी लोगों की नींद भी खुल जाती है। अगर बच्चे सही समय पर सो जाते हैं, तो पेरेंट्स को भी आराम करने का समय मिल जाता है। सभी बच्चों के लिए स्लीपिंग पैटर्न या नींद का समय एक जैसा नहीं होता है। कुछ बच्चे जन्म के बाद 1 घंटे के अंतराल या 2 घंटे के अंतराल में जाग जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चे बहुत कम मात्रा में दूध पी पाते हैं और फिर उन्हें तुरंत भूख लगती है। बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं, वैसे वैसे वह अधिक मात्रा में दूध का सेवन करने लगते हैं। इस कारण से उनका स्लीपिंग टाइम बढ़ जाता है। पेरेंट्स बच्चे को सुलाने के लिए कई तरह के उपाय अपनाते हैं। आज हम भी आपको ऐसे ही उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जो स्लीपिंग ट्रेनिंग के अच्छा मेथड माना जाता है। जानिए स्लीपिंग ट्रेनिंग के लिए फेरबेर मेथड (Ferber Method Of Sleep Training) क्या होता है और ये कितनी उम्र तक के बच्चों के लिए बेस्ट माना जाता है।

    स्लीपिंग ट्रेनिंग के लिए फेरबेर मेथड (Ferber Method Of Sleep Training)

    फेरबेर मेथड रिचर्ड फेरबेर द्वारा डेवलेप किया गया स्लीप ट्रेनिंग प्रोग्राम है। इस स्लीप ट्रेनिंग प्रोग्राम के अंतर्गत पेरेंट्स को एक निश्चित समय अंतराल के लिए बच्चे को अकेले छोड़ देना चाहिए। अगर ऐसे में बच्चा थोड़ा रोता है, तो उसे इग्नोर किया जा सकता है। ऐसा करने से बच्चा अपनेआप सो जाता है। एक बात का ध्यान रखें कि बच्चे को अकेला छोड़ने से ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है आप उस पर ध्यान न दें। आप बच्चे की गतिविधियों को दूर से देख सकते हैं लेकन बच्चे को इस बात का एहसास नहीं होना चाहिए कि आप उसके पास हैं।

    स्लीपिंग ट्रेनिंग के लिए फेरबेर मेथड (Ferber Method Of Sleep Training) इसलिए अपनाया जाता है, ताकि बच्चे को इस बात का एहसास हो कि उनके रोने पर भी उनके पास कोई नहीं आएगा। उसके बाद बच्चे अपने आप ही सो जाते हैं। अगर आपको यह मेथड अपनाना है, तो इस बात का बिल्कुल ध्यान रखें कि बच्चा भूखा ना हो। बच्चे को फीड कराने के बाद और उसे आराम महसूस कराने के बाद आप यह तरीका अपना सकते हैं। लेकिन सभी बच्चों में यह तरीका नहीं अपनाया जा सकता है। जो बच्चे बीमार हैं या फिर अचानक से जिन बच्चों को सांस लेने में समस्या हो जाती है, उन बच्चों के साथ इस तरीके को अपनाने से बचना चाहिए।

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    स्लीपिंग ट्रेनिंग के लिए फेरबेर मेथड को कैसे अपनाया जाए?

    जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि जन्म के बाद बच्चे एक से 2 घंटे के अंतराल में जाग जाते हैं और फिर फीड करने के बाद सो जाते हैं। आप यह मेथड बच्चों में 5 से 6 महीने के बाद अपना सकते हैं। 6 महीने की उम्र के बाद बच्चे रात में पूरी नींद लेना शुरु कर देते हैं। 6 महीने के बाद बच्चों को रात में भूख नहीं लगती है और बिना फीड किए वह 7 से 8 घंटे की नींद लेते हैं। अगर आपको लग रहा है कि आपका बच्चा नींद नहीं ले रहा है, तो आप इस मेथड को अपना सकते हैं।

    इस मेथड को अपनाने के लिए सबसे पहले आपको बच्चों को यह बताना होगा कि अंधेरा या रात हो जाने पर सोया जाता है। इस बात का एहसास दिलाने के लिए एक निश्चित समय तय करें। बच्चों को फीड कराने के बाद उसे थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दें। अगर आपका बच्चा रोता है, तो आप कुछ देर तक उसके साथ बैठे उसे लोरी सुनाएं या फिर थपथपाएं और उसके बाद बच्चे के कमरे से बाहर चले जाएं। आपको थोड़ी-थोड़ी देर में यह चेक करना होगा कि बच्चा सोया है या फिर नहीं। अगर आपका बच्चा सो जाता है, तो यकीनन यह आपके लिए अच्छी बात है। अगर बच्चा नहीं सोता है, तो आपको कुछ-कुछ देर में आकर यह चेक करना होगा कि बच्चा क्यों नहीं सो पा रहा है। अगर बच्चा बिना किसी वजह के रो रहा है, तो आपको कुछ देर तक उसे अकेला भी छोड़ना होगा लेकिन आप उस पर नजर बनाए रखें।

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    ऐसा होता है फेरबेर मेथड चार्ट

    स्लीपिंग ट्रेनिंग के लिए फेरबेर मेथड (Ferber Method Of Sleep Training) को अपनाने के लिए आपको करीब 7 दिनों तक चार्ट को फॉलो करना होगा। आपको  टाइम को शेड्यूल करना होगा उसी के अनुसार आप बच्चे हो टिफिन ट्रेनिंग दे सकती हैं इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को अकेला तो छोड़े हैं लेकिन उन पर निगरानी जरूर रखें आप दिन पर दिन समय को बढ़ा सकते हैं

    पहला दिन

    • पहला चेक-इन : 3 मिनट के बाद
    • दूसरा चेक-इन : 5 मिनट के बाद
    • तीसरा चेक-इन : 10 मिनट के बाद
    • उसके बाद चेक-इन : 10 मिनट के बाद

    दूसरा दिन

    • पहला चेक-इन : 5 मिनट के बाद
    • दूसरा चेक-इन : 10 मिनट के बाद
    • तीसरा चेक-इन : 12 मिनट के बाद
    • उसके बाद चेक-इन : 12 मिनट के बाद

    तीसरा दिन

    • पहला चेक-इन : 10 मिनट के बाद
    • दूसरा चेक-इन : 12 मिनट के बाद
    • तीसरा चेक-इन : 15 मिनट के बाद
    • उसके बाद चेक-इन : 15 मिनट के बाद

    चौथा दिन

    • पहला चेक-इन : 12 मिनट के बाद
    • दूसरा चेक-इन : 15 मिनट के बाद
    • तीसरा चेक-इन : 17 मिनट के बाद
    • उसके बाद चेक-इन : 17 मिनट के बाद

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    पांचवा दिन

    • पहला चेक-इन : 15 मिनट के बाद
    • दूसरा चेक-इन : 17 मिनट के बाद
    • तीसरा चेक-इन : 20 मिनट के बाद
    • उसके बाद चेक-इन : 20 मिनट के बाद

    छठा दिन

    • पहला चेक-इन : 17 मिनट के बाद
    • दूसरा चेक-इन : 20 मिनट के बाद
    • तीसरा चेक-इन : 25 मिनट के बाद
    • उसके बाद चेक-इन : 25 मिनट के बाद

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    सांतवा दिन

    • पहला चेक-इन : 20 मिनट के बाद
    • दूसरा चेक-इन : 25 मिनट के बाद
    • तीसरा चेक-इन : 30 मिनट के बाद
    • उसके बाद चेक-इन : 30 मिनट के बाद

    अगर आपको यह स्लीपिंग ट्रेनिंग अपनाते समय यह एहसास हो रहा है कि बच्चा इसके हिसाब से नहीं ढल रहा है, तो आप समय को बढ़ा भी सकते हैं। आपको 7 या 8 दिन से समय बढ़ाकर 10 या 15 दिन भी बढ़ा कर देखना चाहिए। हो सकता है कि कुछ समय बाद बच्चा इस ट्रेनिंग मेथड के हिसाब से सोना शुरू कर दे। क्योंकि सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं। कुछ बच्चे जल्द ही इस मेथड को अपना सकते हैं, वहीं कुछ बच्चों को ज्यादा समय भी लग सकता है।

    अगर आपका बच्चा इस मेथड के अनुसार नींद नहीं ले रहा है, तो आपको इस मेथड को बंद कर देना चाहिए। कई बार बच्चे किसी तकलीफ के कारण रात भर सो नहीं पाते हैं। ऐसे में आपको तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से जानकारी लेनी चाहिए और बच्चे की जांच करानी चाहिए। कई बार बच्चे पेट संबंधित समस्याओं से जूझते हैं, जिसके कारण उन्हें नींद नहीं आती है। आप चाहें तो स्लीपिंग ट्रेनिंग के लिए फेरबेर मेथड (Ferber Method Of Sleep Training) के बारे में डॉक्टर से भी अधिक जानकारी ले सकते हैं

    इस आर्टिकल में हमने आपको स्लीपिंग ट्रेनिंग के लिए फेरबेर मेथड (Ferber Method Of Sleep Training) से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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