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डिलिवरी के बाद कैसे होती है स्तनों में दूध की आपूर्ति?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/01/2021

डिलिवरी के बाद कैसे होती है स्तनों में दूध की आपूर्ति?

स्टडी के दौरान ये बात सामने आई है कि 25 प्रतिशत महिलाओं के डिलिवरी के तीन दिन बाद लेक्टेशन शुरू हो जाता है। कुछ मेडिकल कॉम्प्लिकेशन और मेडिकल बर्थिंग प्रॉसीजर के चलते लेक्टेशन में देरी हो सकती है। लेक्टेशन में देरी होने के कारण माताओं को बच्चे को दूध पिलाने में समस्या हो सकती है। लेक्टेशन के लिए हाॅर्मोन जिम्मेदार होते हैं। जब इन हाॅर्मोन में किसी वजह से गड़बड़ी हो जाती है तो स्तनों में दूध आपूर्ति असंतुलित हो सकती है।

कैसे होती है स्तनों में दूध आपूर्ति?

गर्भावस्था के दौरान शरीर में प्रोलेक्टिन, कोर्टिसोल, ऑक्सिटोसिन का प्रभाव देखने को मिलता है। ये सभी ब्रेस्टमिल्क के प्रोडक्शन में शामिल होते हैं। ईस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन की हेल्प से दूध तब तक प्रोड्यूस नहीं होता है जब तक डिलिवरी नहीं होती है। सभी हाॅर्मोन का अपना रोल है।

प्रोलेक्टिन हार्मोन – प्रेग्नेंट हो या नहीं, प्रोलेक्टिन हार्मोन सभी महिलाओं में मौजूद रहता है। प्रेग्नेंसी के समय इसका लेवल बढ़ जाता है। ये मेमेरी टिशू की ग्रोथ और मिल्क को प्रोड्यूस करने का काम करता है। जब बच्चा दूध पीता है तो प्रोलेक्टिन का स्तर खून में बढ़ जाता है।

कॉर्टिसोल और इंसुलिन – ये दोनो हाॅर्मोन ब्रेस्ट मिल्क की सप्लाई का काम करते हैं।

ऑक्सिटोसिन हार्मोन- इस हार्मोन के कारण मिल्क का फ्लो बना रहता है।

प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन- प्रेग्नेंसी के दौरान प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन के कारण मिल्क स्तनों से बाहर नहीं निकलता है। डिलिवरी के बाद हाॅर्मोन का लेवल कम हो जाता है और दूध का रिसाव शुरू हो जाता है।

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स्तनों में दूध आपूर्ति – कब शुरू होता है दूध का रिसाव

डिलिवरी के बाद प्रोजेस्ट्रॉन और ईस्ट्रोजन का लेवल कम हो जाता है और प्रोलेक्टिन का लेवल बढ़ने के कारण दूध का रिसाव होता है। पहले गाढ़े पीले दूध को कोलोस्ट्रम कहते हैं। बर्थ के बाद पहले कुछ दिनों में बेबी को इसी खास पौष्टिक दूध की जरूरत होती है। डिलिवरी के चार से पांच दिन बाद ये गाढ़ा दूध मैच्योर मिल्क के साथ मिल जाता है। इसे ट्रांजीशनल मिल्क कहते हैं।

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ब्रेस्ट मिल्क में क्यों होती है कमी?

न्यूबॉर्न बेबी के लिए ब्रेस्ट मिल्क में पूरा पोषण होता है। कुछ महिलाओं में पहले सप्ताह में बहुत कम दूध निकलता है जिस कारण वे चिंतित हो जाती हैं। स्तनों में दूध आपूर्ति कम होने का ये मतलब बिलकुल नहीं है कि आप अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पाएंगी। कुछ कारण हैं जिनकी वजह से ब्रेस्ट मिल्क में कमी आ जाती है। आइए जानते हैं इसके बारे में।

हॉर्मोनल गड़बड़ी की वजह से स्तनों में दूध आपूर्ति कम

इसकी एक वजह डायबिटीज भी हो सकता है। डायबिटीज की वजह से शरीर में जरूरत के हिसाब से इंसुलिन प्रोड्यूस नहीं होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज की संभावना भी बढ़ जाती है।

मास्टर ग्लैंड के कारण

मास्टर ग्लैंड या पियूष ग्रन्थि की वजह से हाॅर्मोन में गड़बड़ी पैदा होती है तो भी ब्रेस्ट मिल्क में कमी आ सकती है। मास्टर ग्लैंड ऑक्सिटोसिन और प्रोलेक्टिन हार्मोन प्रोड्यूस करता है।

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थायराॅइड की समस्या

कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान थायराॅइड की समस्या होती है तो इस वजह से भी ब्रेस्ट मिल्क में कमी आ जाती है।

मेडिकेशन के कारण स्तनों में दूध आपूर्ति कम

कुछ खास तरह की मेडिसिन भी ब्रेस्ट मिल्क में कमी पैदा कर सकती हैं। बर्थ कंट्रोल मेडिसिन या फिर कुछ हर्ब जैसे पार्सले, मिंट आदि भी ब्रेस्ट मिल्क में कमी पैदा कर सकते हैं। बेहतर होगा कि आप एक बार इस बारे में अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

मदर की हेल्थ कंडिशन

कई बार होने वाली मां की हेल्थ कंडिशन भी स्तनों में दूध की कमी का कारण बन सकती है। अगर एक हफ्ते बाद भी ठीक से मिल्क का प्रोडक्शन नहीं हो रहा है तो आपको पंपिंग का सहारा लेना चाहिए। हो सकता है कि आपको ये परेशानी वाला काम लगे, लेकिन इसे भी आजमाया जा सकता है। कुछ कंडिशन और ट्रीटमेंट की वजह से भी दूध में कमी होती है जैसे-

  • तनाव
  • सिजेरियन डिलिवरी
  • प्रसव के बाद ब्लीडिंग
  • मां का मोटापा
  • बुखार के साथ संक्रमण
  • प्रेग्नेंसी के दौरान लंबे समय का आराम
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    दूध के प्रोडक्शन के लिए करें ये उपाय

    अगर आपको डिलिवरी के बाद स्तनों में दूध की आपूर्ति में कमी महसूस हो रही है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। वे परिस्थिति के अनुसार परामर्श देंगे। कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाकर आप दूध के प्रोडक्शन को बढ़ाने का काम कर सकती हैं।

    स्तनों में दूध आपूर्ति बढ़ाने के लिए जल्द कराएं ब्रेस्टफीड

    बच्चे को देर से फीड कराने से भी स्तनों में दूध की आपूर्ति में कमी हो सकती है। डिलिवरी के एक घंटे बाद आपने बेबी को सीधी तरफ से पकड़ें और ब्रेस्ट फीड कराएं

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    पहले सप्ताह दें ध्यान

    डिलिवरी के बाद पहले सप्ताह के दौरान आप दिन में दो से तीन घंटे के अंतराल में बच्चे को 10 से 12 बार ब्रेस्टफीड कराएं। दूध पिलाते समय ये बात भी ध्यान रखनी होगी कि बच्चा दूध पी रहा है या फिर नहीं। बच्चे की पुजिशन दूध पिलाते समय सही रखें, नहीं तो बच्चे को असुविधा महसूस हो सकती है।

    दोनों ब्रेस्ट से पिलाएं दूध

    कुछ महिलाओं के स्तनों में दूध का अधिक प्रोडक्शन होता है। ब्रेस्टफीडिंग के समय ध्यान देना चाहिए कि एक स्तन से दूध न पिलाएं। दोनों तरफ से दूध पिलाएं ताकि दूध की कमी न हो। आप चाहे तो ब्रेस्ट मिल्क पंप का भी यूज कर सकती हैं।

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    मेडिसिन का करें प्रयोग

    स्तनों में दूध की कमी होने पर सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर आपको कुछ दवाएं सजेस्ट करेंगे। डॉक्टर आपको हाॅर्मोन से रिलेटेड मेडिसिन भी दे सकते हैं। मेडिसिन लेने से दूध के प्रोडेक्शन में कमी नहीं होगी।

    स्तनों में दूध आपूर्ति बढ़ाने के लिए एल्कोहॉल और निकोटिन से रहें दूर

    एल्कोहॉल और निकोटिन शरीर में दूध की कमी को बढ़ावा देने का काम करता है। दूध पिलाने वाली मांओं को इससे दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

    बच्चे की अच्छी हेल्थ के लिए स्तनों में दूध की बराबर मात्रा होना बहुत जरूरी है। अगर आपको भी डिलिवरी के बाद स्तनों में दूध की कमी महसूस हो रही है तो बेहतर होगा कि एक बार अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।



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