सिजेरियन और नॉर्मल डिलिवरी के फायदे के बारे में जानने से पहले जानिए सिजेरियन डिलिवरी के बारे में। प्लेसेंटा पूर्णतः या आंशिक रूप से गर्भाशय के मुंह को ढंक लेता है। इस स्थिति को प्लेसेंटा प्रीविया कहा जाता है। लो लाइन प्लेसेंटा, पार्शियल प्लेसेंटा, मार्जिनल प्लेसेंटा प्रीविया मां और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती 20 सप्ताह (पांच महीने) तक प्लेसेंटा बच्चेदानी में नीचे की तरफ होता है। 20 सप्ताह बाद यह अपने आप गर्भाशय के ऊपर आ जाता है। प्लेसेंटा प्रीविया की स्थिति में यह बच्चेदानी के मुंह के निकट या उसे पूरी तरह ढंक लेता है।
इस स्थिति में सामान्य डिलिवरी कराते वक्त बच्चे से पहले प्लेसेंटा बाहर आ जाता है। प्लेसेंटा और गर्भाशय के कई रक्त वाहिकाएं होती हैं। सामान्य डिलिवरी की कोशिश में यह रक्त वाहिकाएं फटने का डर रहता है। इसकी वजह महिला को भारी ब्लीडिंग हो सकती है।
कई मामलों में यह ब्लीडिंग मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा साबित होती है। ऑक्सिजन की सप्लाई की रुकने की स्थिति में गर्भाशय में बच्चे की मौत हो सकती है। इस स्थिति में सिजेरियन डिलिवरी सबसे ज्यादा कारगर साबित होती है। इससे मां और बच्चे दोनों की जान बचाई जा सकती है।
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जुड़वा बच्चों में सिजेरियन का फायदा
सिजेरियन और नॉर्मल डिलिवरी के फायदे के बारे में जानने से पहले जानिए सिजेरियन डिलिवरी के बारे में। गर्भाशय में जुड़वा बच्चे होने की स्थिति में सामान्य डिलिवरी कराना मुश्किल होता है। कई बार एक बच्चा सामान्य तो दूसरा ब्रीच पुजिशन में होता है। सामान्य डिलिवरी की कोशिश में गर्भनाल फटने का खतरा रहता है। ऐसे में सिजेरियन डिलिवरी मां और बच्चे दोनों के जीवन की सुरक्षा करती है।
अध्ययनों में सिजेरियन के फायदों की पुष्टि हुई
युनाइटेड किंग्डम की यूनिवर्सिटी ऑफ इडनबर्ग में एमआरसी सेंटर फोर रिप्रोडक्टिव हेल्थ के सारह स्टॉक ने सिजेरियन पर उपलब्ध तमाम शोध का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि सिजेरियन डिलिवरी पेल्विक प्रोलेप्स और यूरिनरी इनकोन्टिनेंट के खतरे को कम करती है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि जरूरत पड़ने पर ही सिजेरियन डिलिवरी की जानी चाहिए।