सिजेरियन के बाद वजायनल डिलिवरी: सिजेरियन डिलिवरी के जुड़ें अध्ययन
साल 2010 से लेकर दिसंबर 2011 के बीच महाराष्ट्र के प्रवारा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में एक अध्ययन किया गया। आस-पास के ग्रामीण एवं शहरी इलाकों से यहां पर सबसे ज्यादा सिजेरियन के केस आते हैं।
इस अध्ययन में 100 महिलाओं को शामिल किया गया था। यहां करीब 6,000 डिलिवरी होती हैं। इनमें 22- 24 फीसदी मामले सिजेरियन डिलिवरी के होते हैं। 77 प्रतिशत मामलों में महिलाओं की पिछली सिजेरियन डिलिवरी और मौजूदा प्रग्नेंसी में दो वर्ष से ज्यादा का अंतर था। अध्ययन में पाया गया कि 85 प्रतिशत महिलाओं ने वजायनल डिलिवरी से शिशु को जन्म दिया जो पहले सिजेरियन डिलिवरी से गुजर चुकी हैं। वहीं 15 प्रतिशत मामलों में दोबारा सिजेरियन डिलिवरी करानी पड़ी।
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नॉर्मल डिलिवरी के लिए उपलब्ध हो आपात सेवा
डॉक्टर रीना के मुताबिक, ‘सिजेरियन के बाद वजायनल डिलिवरी की जा सकती है। बशर्ते महिला के लिए तुरंत और सभी आवश्यक चिकित्सा सेवा उपलब्ध हो। वजायनल डिलिवरी के लिए महिला का मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार होना भी बहुत जरूरी है। वहीं, सिजेरियन डिलिवरी के बाद वजायनल डिलिवरी में खतरों के साथ कुछ चुनौतियां भी होती हैं। इन चुनौतियों के लिए आपके पास चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी स्थिति खंडेलवाल क्लीनिक की गायनोकॉलोजिस्ट डॉक्टर रीना खंडेलवाल ने कहा, ‘सिजेरियन डिलिवरी के बाद वजायनल डिलिवरी कराई जा सकती है या नहीं। इस पर काफी चर्चा की जाती है। कई बार मरीज को लगता है कि डॉक्टर फिजूल में उनके शरीर में चीर-फाड़ करते हैं जो कि गलत है।’