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पेट भरा हुआ होना चाहिए
स्लीप ट्रेनिंग (Sleep Training) की यह जानकारी अधिकतर लोगों को पता होती है। बच्चे को सुलाने से पहले यह बात हमेशा याद रखें कि उसका पेट भरा हुआ होना चाहिए। चाहे दोपहर की नींद हो या रात की नींद यदि आप चाहते हैं कि बच्चा अच्छी नींद सोए तो उसे कुछ ऐसा खिलाएं, जिससे उसकी नींद भूख के कारण ना टूटे।
नींद न आने तक रहें पास
बच्चों की नींद या स्लीप ट्रेनिंग (Sleep Training) में यह तरीका भी काम का है। इसमें बच्चे को जब तक गहरी नींद नहीं आ जाती तब तक उसके पास पेरेंट्स बैठे रहते हैं। माता-पिता के आसपास रहने से भी बच्चा सुरक्षित महसूस करता है और सो जाता है। इसमें बच्चे के नजदीक रहना होता है उसे गोद में नहीं लेना होता।
स्लीप ट्रेनिंग: दोपहर में सोने का समय भी तय करें
बच्चे को स्लीप ट्रेनिंग (Sleep Training) देना चाहते हैं तो दोपहर में उसके सोने का समय कम कर दें। रात को सोने-उठने का ही नहीं दोपहर के समय भी बच्चों के सोने-उठने का समय तय करना चाहिए। दोपहर के समय बच्चों को ज्यादा देर नहीं सुलाना चाहिए। इससे उनकी रातों की नींद टूटती है।
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प्रतिकूल परिस्थितियों में भी रखें ध्यान
कई बार बच्चों की तबीयत खराब होती है तो पेरेंट्स रात भर उन्हें गोद में लेकर ही सोते हैं, ताकि उन्हें कोई परेशानी ना हो। बच्चों के सोने-उठने के समय में भी वह समझौता करने लगते हैं। ऐसा ना करना भी बच्चों को सुलाना या स्लीप ट्रेनिंग का ही हिस्सा है। जो समय निर्धारित किया हो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उसपर कायम रहने की कोशिश करें।
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स्लीप ट्रेनिंग: दिन और रात की समझ पैदा करें
बच्चे के जन्म के पहले दिन से ही बच्चों में रात और दिन की समझ पैदा करनी चाहिए। बच्चों को सुलाना या स्लीप ट्रेनिंग में यह सबसे जरूरी चीज है और यह सबसे पहली ट्रेनिंग भी है। सुबह होने पर घर के अंधेरे को धूप की रोशनी से दूर करें या बच्चे को बाहर लेकर जाएं। वहीं रात होने पर घर में अंधेरा कर दें। बच्चे में यह समझ पैदा करना जरूरी है कि दिन खाने-पीने और खेलने-कूदने के लिए होता है तो रात सोने के लिए होता है।
‘स्लीप हैल्थ जर्नल’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार तरीका चाहे कोई भी हो। जरूरी है उसको नियमित रूप से फॉलो करना। यदि आप हर दिन एक नई तकनीक आजमाएंगे तो बच्चा ही नहीं आप भी परेशान रहेंगे। इसलिए बच्चों को सुलाना या स्लीप ट्रेनिंग के लिए पहले आप अपनी तैयारी करें और फिर बच्चे को ट्रेनिंग दें।
बच्चों की नींद अगर पूरी नहीं होती है, तो उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है। ऐसे में नींद का पूरा होना बहुत जरूरी होता है। आप बच्चे को ऐसा माहौल दें, जिससे उसे आराम से नींद आ जाए। कुछ बच्चों को अंधेरे में नींद नहीं आती है, ऐसे में उनके कमरे में आप हल्की लाइट लगा सकते हैं, ताकि उन्हें समस्या न हो। अगर बच्चे को अक्सर डरावने सपने के कारण नींद न आने की समस्या हो गई है, तो आपको उन्हें डरावने टीवी सीरियल या फिर अन्य चीजों से दूर रखने की जरूरत है, जो उनके बुरा सपनों का कारण हो सकती है।
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उम्मीद है बच्चे को इस तरह की बच्चों को सुलाना या स्लीप ट्रेनिंग देने के बाद उसकी नींद में सुधार आएगा। लेकिन, अगर आपको लगे कि बच्चे को स्लीप ट्रेनिंग देने पर भी वो ठीक से नहीं सो पाता और दिन भर चिड़चिड़ा रहता है, तो एक बार उसे बच्चों के डॉक्टर से पास ले जाएं। हो सकता है कि इसका कारण कुछ और हो और बच्चा किसी समस्या से परेशान हो रहा हो। ऐसे में डॉक्टर सही कारणों का पता लगाकर उसे सटीक दवा दे सकते हैं, जिससे उसे ठीक से नींद भी आए और समस्या दूर भी हो जाए।
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