अनडिफ्रेंटशिएटेड जेआईए : यह बीमारी जूवेनाइल आइडियोपैथिक अर्थराइटिस की किसी भी श्रेणी में फिट नहीं होती है।
बच्चों में अर्थराइटिस के इलाज पर नजर
बता दें कि वैसे तो इस बीमारी का कोई इलाज नहीं होता है। लेकिन इस बीमारी से पीड़ित मरीजों का जल्द उपचार शुरू कर दिया जाए तो अच्छे नतीजे आ सकते हैं। डॉक्टर, नर्स, साइकोथैरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट, डायटिशियन, पोडिएट्रिस्ट, साइकोलॉजिस्ट व सामाजिक कार्यकर्ता आपके बच्चे के इलाज में अहम भागीदारी निभा सकते हैं। वैसे तो अलग अलग प्रकार के अर्थराइटिस हैं, ऐसे में इसका इलाज भी हर बच्चे में अलग अलग प्रकार से किया जाता है।
इन दवाओं से किया जाता है बच्चों में अर्थेराइटिस का इलाज
– बायोलॉजिक व बायोसिमिलर मेडिसिन देकर, बीमारी का इलाज के साथ इम्युन सिस्टम को बेहतर करने के लिए दवाएं दी जाती है। बायोलॉजिक खास सेल्स व प्रोटीन को टारगेट करती है, जिससे पूरे इम्युन सिस्टम को बेहतर करने की बजाय दर्द कम करने के साथ डैमेज को कंट्रोल किया जाता है।
– नॉन स्टोराइडल एंटी इंफ्लिमेंटरी ड्रग्स देकर, ताकि जलन व दर्द को कम किया जा सके
– कार्टिकोस्टोरायड्स (corticosteroids),
दर्द को तुरंत राहत पहुंचाने के लिए यह दिया जाता है। टेबलेट के रूप में या फिर इंजेक्शन के रूप में शरीर के सॉफ्ट टिशू में यह दिया जाता है।
– क्रीम व मलहम देकर, ज्वाइंट में क्रीम लगाकर दर्द से आराम दिलाने की कोशिश की जाती है
– आंखों में जलन को कम करने के लिए आई ड्राप दिया जाता है
– एंटी रुमेटिक दवा देकर, इसके तहत ऐसी दवाएं दी जाती है जिससे शरीर का इम्युन सिस्टम बेहतर करने की कोशिश की जाती है। यह दवा दर्द व जलन कम करने के साथ ज्वाइंट के डैमेज को कम करने में मददगार साबित होती हैं।
लेबोरेटरी टेस्ट पर एक नजर
बच्चों में अर्थराइटिस की बीमारी का पता ब्लड टेस्ट की जांच कर भी की जाती है। इसके अलावा टिशू फ्लूड की जांच भी कारगर है। यह टेस्ट इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इसके द्वारा बच्चों में अर्थराइटिस के प्रकार को पता किया जा सकता है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाक्टरी सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।