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बच्चों में ग्रोइंग पेन का इलाज
बच्चों में ग्रोइंग पेन का कारण अज्ञात है इसी वजह से इसका कोई इलाज नहीं है। हालांकि, अच्छी बात यह है की ग्रोइंग पेन अपने आप ठीक हो जाता है और बच्चे की ग्रोथ को इफेक्ट नहीं करता है। एक या दो साल में बच्चों के पैरों में दर्द की स्थिति बेहतर होने लगता है। अगर यह पूरी तरह से ठीक नहीं भी होते हैं तो भी दर्द उम्र के साथ कम जरूर हो जाता है। इसके अलावा आप बच्चे को दर्द से आराम दिलाने के लिए कुछ घरेलू उपचार का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अपने बच्चे के प्रभावित पैर को आराम से रगड़े। मसाज से बच्चे की मांसपेशियों को आराम पहुंचेगा।
- हीटिंग पैड या गर्म कपड़े से सिकाई करने पर मांसपेशियों को आराम पहुंचता है। जिससे बच्चे को दर्द से राहत मिलती है। अगर आपके शिशु को पैरों में दर्द महसूस होता है तो रात को सोने से पहले लो सेटिंग पर बच्चे की हीटिंग पैड से सिकाई करें। इसके अलावा सोने से पहले गर्म पानी से नहाना भी फायदेमंद हो सकता है।
- दर्दनिवारक दवाओं जैसे आइबूप्रोफेन (एडविल, चिल्ड्रन मोटरीन और आदि) या एसिटामिनोफेन (टाइलेनोल) की मदद से कुछ समय के लिए दर्द को कम किया जा सकता है। बच्चे को किसी भी प्रकार की दवा देने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें। इसके अलावा बच्चे को एस्पिरिन न दें। इससे उनमें रेये सिंड्रोम का खतरा बढ़ सकता है। यह एक दुर्लभ रोग है लेकिन बच्चों में एस्पिरिन के कारण इसकी आशंका बढ़ जाती है।
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ग्रोइंग सिंड्रोम के जोखिम कारक
ग्रोइंग पेन प्रीस्कूल और स्कूल जानें वाले बच्चों में सामान्य होता है। लड़कों के मुकाबले लड़कियों में ग्रोइंग पेन की आशंका ज्यादा होती है। दौड़ने, चढ़ाई करने या कूदने से रात के समय पैरों में होने वाले दर्द का खतरा बढ़ सकता है। बच्चे में निम्न लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें –
- लंबे समय से ठीक नहीं हो रहा है
- सुबह होने के बाद भी नहीं गया
- जोड़ों का प्रभावित होना
- चोट के कारण दर्द होना
- इसके अलावा अन्य प्रकार के लक्षणों जैसे सूजन, लालिमा, टेंडनाइटिस, बुखार, भूख न लगना, कमजोरी या थकान के साथ दर्द महसूस होने पर
ग्रोइंग पेन के बारे में कैसे किया जाता है पता
ग्रोइंग पेन के बारे में पता लगाने के लिए डॉक्टर आपके बच्चे से कुछ सवाल कर सकती है। जैसे बच्चे से उसकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं, वहीं इस बीमारी से जुड़े लक्षणों की जानकारी हासिल कर सकते हैं। सबसे अहम यह कि ग्रोइंग पेन होने के पहले दर्द से जुड़े अन्य कारणों के बारे में भी एक्सपर्ट बच्चे से पूछताछ करते हैं। उसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि डॉक्टर बच्चे से कई तरह के सवाल कर यह जानना चाहते हैं कि क्या दर्द वाकई में ग्रोइंग पेन है या फिर किसी प्रकार का लिंब पेन। यदि आपके बच्चे को ग्रोइंप पेन की बीमारी है, तो ऐसे में आपके डॉक्टर को फिजिकल एग्जामिनेशन में किसी प्रकार की समस्या नहीं दिख सकती है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए सामान्य तौर पर एक्सपर्ट ब्लड टेस्ट, एक्स-रे जैसे टेस्ट नहीं कराते हैं।
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जानें इसका कैसे किया जाता है इलाज
ग्रोइंप पेन का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपके बच्चे को कितना दर्द हो रहा है। बता दें कि बच्चे के इलाज की प्रक्रिया में इन तरीकों को आजमाकर बच्चे को राहत देने का काम किया जाता है। जैसे ;
- बच्चे के पैरों को मसाज देकर।
- लेग मसल्स की स्ट्रेचिंग कर, यह प्रक्रिया छोटे बच्चों के साथ आजमाने के दौरान काफी जटिल हो सकती है।
- जिस पैर में दर्द हो रहा है, वहां पर गर्म कपड़ा लगाकर या फिर हिटिंग पैड रख इलाज करना। इस दौरान एक बात का ख्याल रखना चाहिए कि कहीं आपकी स्किन जल न जाए, वहीं इस इलाज को करने के दौरान सोना नहीं चाहिए।
इन तमाम प्रक्रिया को आजमाने के बाद भी यदि दर्द ठीक नहीं हो रहा है, तो उस स्थिति में आपको हेल्थकेयर प्रोवाइडर से सलाह लेना चाहिए। इस मामले में डॉक्टर कुछ दवा का सेवन करने का सुझाव दे सकते हैं,। इसके तहत बच्चों को एसीटेमिनोफेन, आईब्रूफेन आदि दवा का सेवन करने की सलाह दी जाती है। शिशु को बिना डॉक्टरी सलाह के यह दवा कभी भी नहीं देनी चाहिए। वहीं बच्चों को इस बीमारी के केस में उन्हें एसप्रिन भी नहीं दी जानी चाहिए। ऐसे में बेहतर यही होगा कि आप डॉक्टरी सलाह ले।
जानें कब लें डॉक्टी सलाह
इस बीमारी को लेकर डॉक्टरी सलाह कब लेना चाहिए, तो बता दें कि यह बीमारी होने पर दोनों ही पैरों में दर्द का एहसास होता है। यदि आपके बच्चे के एक ही पैर में दर्द हो रहा है, तो यह काफी गंभीर समस्या है। ऐसे में जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। आपको यह भी जानना जरूरी है कि ग्रोइंग पेन आपके मसल्स को प्रभावित करता है न कि ज्वाइंट को। ऐसे में आपको लिंपिंग और बुखार जैसे लक्षण नहीं देखने को मिलते हैं।
पैरे में दर्द जब इन लक्षणों के साथ हो, तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए।
- गिरने के कारण इंजरी
- बुखार
- भूख में कमी
- लिंपिंग और चलने में परेशानी
- रैश
- पैरे में लालीपन, गर्माहट, ज्वाइंट में सूजन
- थकान
- कमजोरी
- वजन में कमी
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।