के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
रेये सिंड्रोम (Reye’s syndrome) को रेये-जॉनसन सिंड्रोम भी कहा जाता है। रेये सिंड्रोम बहुत ही कम होने वाला विकार है, यह दुर्लभ विकार लिवर और मस्तिष्क को नुकसान पहुचाता है। अगर रेये सिंड्रोम का समय रहते इलाज नही करवाया जाए तो यह स्थायी मस्तिष्क (Brain) की चोट या मौत का कारण बन सकता है। रेये सिंड्रोम तेजी से बढ़ने वाली एन्सेफेलोपैथी है जो 20 से 40 प्रतिशत प्रभावित लोगों की मृत्यु का कारण बनता है। वैसे तो रेये सिंड्रोम किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन रेये सिंड्रोम के ज्यादातर मामले बच्चों में देखे गए है। रेये सिंड्रोम (Reye’s syndrome) अधिकतर उन बच्चों को होता है, जिन्हें हाल ही में वायरल संक्रमण (Viral Infection) जैसे कि चिकनपॉक्स या फ्लू हुआ है। जब बच्चों में चिकनपॉक्स (Chickenpox) या फ्लू के संक्रमण (Flu infection) का इलाज करने के लिए एस्पिरिन दवाई दी जाती है तो रेये सिंड्रोम का जोखिम बढ़ जाता है। चिकनपॉक्स और फ्लू (Flu) दोनों ही ऐसे वायरल संक्रमण (Viral infection) है जिसमें सिर दर्द (Headache pain) होता है जब सिरदर्द को ठीक करने के लिए एस्पिरिन (Aspirin) दी जाती है तो रेये सिंड्रोम होने का जोखिम बढ़ जाता है।
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रेये सिंड्रोम क्या है जानने के बाद जानिए रेये सिंड्रोम के लक्षण। रेये सिंड्रोम (Reye’s syndrome) से पीड़ित बच्चे के खून में ग्लूकोज का स्तर गिर जाता है, साथ ही उसके खून में अमोनिया (Ammonia) और अम्लता (Acidity) का स्तर बढ़ जाता है। उस समय लीवर में सूजन भी आ जाती है और फैट (Fat) भी जमा होने की संभावना होती है। इस सिंड्रोम के कारण दिमाग में सूजन भी हो सकती है, जिससे दौरे और चेतना (Consciousness) में कमी हो सकती है। रेये सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर वायरल संक्रमण की शुरुआत के तीन से पांच दिन बाद दिखाई देने लग जाते हैं, जैसे फ्लू (इन्फ्लूएंजा) या चिकनपॉक्स या सांस में समस्या या श्वसन संक्रमण (Respiratory infection) जैसे कि सर्दी।
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1.रेये सिंड्रोम के शुरूआती संकेत और लक्षण:-
2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में रेये सिंड्रोम के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते है:
2.बड़े बच्चों और किशोरों में रेये सिंड्रोम शुरुआती लक्षण में निम्न शामिल है:
इनके अलावा भी रेये सिंड्रोम के संकेत और लक्षण है। जैसे जैसे स्थिति आगे बढ़ती है, यदि इलाज न किया जाएं तो संकेत और लक्षण ज्यादा गंभीर हो जाते है, इनमें निम्न शामिल है।
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रेये सिंड्रोम क्या है जानने के बाद जानिए रेये सिंड्रोम के कारण। डॉक्टर्स ने अभी तक रेये सिंड्रोम (Reye’s syndrome) होने का कोई निश्चित कारण नहीं बताया है इसलिए रेये सिंड्रोम होने का कारण अब तक अज्ञात ही है। यह ज्यादातर उन बच्चों को होता है, जिन्हें फैटी एसिड ऑक्सीकरण विकार है। इस डिसऑर्डर में एंजाइम (Enzyme) फैट (Fat) यानी वसा (Fat) को हजम करने में दिक्कत आती है। ओवर-द-काउंटर दवाइयों के कारण भी रेये सिंड्रोम की समस्या बढ़ सकती है। कुछ दवाइयां ऐसी भी है जो एस्पिरिन के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाती है, जैसे कि बिस्मथ सैलिसिलेट (Pepto-Bismol, Kaopectate), विंटरग्रीन के तेल वाले उत्पाद (ये आमतौर पर सामयिक दवाओं के तौर पर इस्तेमाल की जाती है), इन सभी चीजों को बच्चों को नहीं दिया जाता, इससे उन्हें वायरल संक्रमण (Viral infection) होने की संभावना होती है। यदि बच्चे को चिकनपॉक्स का टीका लगाया गया है तो कई हफ्तों तक इन चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसके अलावा पेंट थिनर्स या हर्बिसाइड्स जैसे कुछ रसायनों के संपर्क में आने से भी रेये सिंड्रोम को बढ़ने में मदद मिलती है।
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रेये सिंड्रोम क्या है जानने के बाद जानिए रेये सिंड्रोम के जोखिम। फैटी एसिड ऑक्सीकरण विकार होने वाले बच्चों को रेये सिंड्रोम का रिस्क सबसे ज्यादा होता है। इस विकार की जानकारी बच्चे के स्क्रीनिंग टेस्ट से पता चल जाती है। यह एक बुनियादी मेटाबॉलिक स्थिति होती है, जो वायरस के जरिये उजागर होती है। यदि बच्चे को वायरल संक्रमण (Viral infection) है तो एस्पिरिन (Aspirin) का इस्तेमाल बिलकुल न करें। आपको बता दें कि रेये सिंड्रोम बहुत ही दुलर्भ सिंड्रोम है, इसके बारे में जानकारी अभी भी सीमित है।
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रेये सिंड्रोम क्या है जानने के बाद जानिए रेये सिंड्रोम की जांच कैसे की जाती है। जब किसी मरीज में रेये सिंड्रोम के लक्षण दिखाई देते है तो डॉक्टर उसकी जांच करके इलाज शुरू करते है। प्रयोगशाला में रेये सिंड्रोम का पता लगाने के लिए निम्न प्रयोग किए जाते है-
1.स्पाइनल टैप- डॉक्टर स्पाइनल टैप की सहायता से मिलने वाले लक्षणों और अन्य संकेतों की सहायता से इस बीमारी का पता लगा सकते हैं।
2.लिवर बायोप्सी- रेये सिंड्रोम की जांच के लिए लीवर की बायोप्सी की जाती है जिसके जरिए लीवर को प्रभावित करने वाले कारको का पता लगाया जाता है।
3.कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी स्कैन- रेये सिंड्रोम की जांच के लिए मस्तिष्क की छवियों को देखने के लिए और स्नायविक असामानताओं का मूल्यांकन किया जाता है।
4.स्किन बायोप्सी- रेये सिंड्रोम का पता लगाने के लिए स्किन की बायोप्सी (Skin biopsy) भी की जाती है।
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रेये सिंड्रोम क्या है जानने के बाद जानिए रेये सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है। रेये सिंड्रोम (Reye’s syndrome) गंभीर समस्या है, इसका इलाज जरूरी है। रेये सिंड्रोम होने पर अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया जाता है। यदि स्थिति गंभीर हो जाएं तो आईसीयू (ICU) में भर्ती कर इलाज किया जाता है। रेये सिंड्रोम का इलाज कर इसके लक्षण और जोखिम को कम किया जाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इलाज के दौरान डॉक्टर इस बात का ध्यान रखते है कि बच्चा हाइड्रेटेड रहें, उसके शरीर (Body) में पानी की कमी न हो। साथ ही दिल, फेफड़े (Lungs) और लीवर को मॉनिटर किया जाता है।
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रेये सिंड्रोम के लक्षणों के आधार पर इसका इलाज शुरू किया जाता है। डॉक्टरों द्वारा रेये सिंड्रोम के इलाज में निम्न दवाएं दी जाती है-
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यदि रेये सिंड्रोम का इलाज न करवाया जाएं तो दिमाग में क्षति (Brain Damage) होकर मौत भी हो सकती है। इसलिए लक्षणों के आधार पर डॉक्टर से तुरंत सलाह लेना जरूरी है।
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