के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
हॉर्नर सिंड्रोम नर्वस सिस्टम संबंधी समस्या है। जिसमें चेहरे और आंखों के एक और की तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क से संयोजन नहीं कर पाता है। आसान भाषा में कहा जा सकता है कि हॉर्नर सिंड्रोम में एक आंख की पुपिल छोटी, पलकें ढली हुई हो जाती है। साथ ही चेहरे पर पसीने की कमी से वह विकृत होने लगता है।
हॉर्नर सिंड्रोम स्ट्रोक (Stroke), ट्यूमर (Tumor) या स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (Spinal cord injury) के कारण होने वाली समस्या है। हॉर्नर सिंड्रोम का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, ट्रीटमेंट के जरिए हॉर्नर सिंड्रोम के साथ सामान्य जीवन व्यतीत किया जा सकता है।
हॉर्नर सिंड्रोम को हॉर्नर-बरनार्ड सिंड्रोम (Horner syndrome) या ऑक्यूलोसिम्पेथेटिक पाल्सी (Oxylio Sympathetic Palsy) कहा जाता है। यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकती है। यह आंखों और चेहरे पर आसानी से नजर आ जाती है, जिससे इस बीमारी को समझना आसान हो जाता है।
हॉर्नर सिंड्रोम होना बहुत सामान्य है। ये पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में पाया जाता है। ये व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकती है। जब आपको इसके लक्षण आंख और चेहरे (Face) पर नजर आने लगें तो ज्यादा जानकारी के लिए और सही इलाज के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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हॉर्नर सिंड्रोम के सामान्य लक्षण निम्न हैं :
इसके अलावा हॉर्नर सिंड्रोम (Horner syndrome) के ज्यादा लक्षणों की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
निम्नलिखित परेशानी महसूस हने पर हेल्थ एक्सपर्ट से जरूर मिलें। जैसे-
अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही हॉर्नर सिंड्रोम से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर हॉर्नर सिंड्रोम (Horner syndrome) के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है।
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आंखों के नर्व फाइबर सर्किटस रूट के द्वारा ब्रेन (Brain) से जुड़े रहते हैं। ये नर्व फाइबर ब्रेन से होकर स्पाइनल कॉर्ड से नीचे जाते हैं। स्पाइनल कॉर्ड बैक में होता है, जो गर्दन से पीछे की ओर कैरॉटिड आर्टरी (Carotid artery) के बगल से सिर में जाती है। जहां पर यह आंखों से जुड़ता है। अगर यह नर्व फाइबर (Fiber) बाधित होता है तो आंखों और चेहरे से संबंधित सिंड्रोम हो जाता है। जिसे हॉर्नर सिंड्रोम (Horner syndrome) कहते हैं।
कभी-कभी हॉर्नर सिंड्रोम (Horner syndrome) कुछ विकारों के कारण हो जाता है। उदाहरण के लिए, सिर, ब्रेन (Brain), गर्दन या स्पाइनल कॉर्ड में समस्या के कारण भी हॉर्नर सिंड्रोम (Horner syndrome) हो जाता है।
इन परेशानियों के साथ-साथ अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसलिए फिट (Fit) रहने की कोशिश करें और कोई भी शारीरिक परेशानी होने पर खुद से इलाज न करें और डॉक्टर की सलाह लें।
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हॉर्नर सिंड्रोम के जोखिम को जानने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
हॉर्नर सिंड्रोम का पता लगाने के लिए डॉक्टर कई तरह की जांच करते हैं। क्योंकि लक्षणों के आधार पर ही टेस्ट कर के डॉक्टर आपका इलाज कर सकते हैं।
हॉर्नर सिंड्रोम का पता लगाने के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपकी मेडिकल हिस्ट्री की जांच करते हैं। हॉर्नर सिंड्रोम का इलाज करने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ की मदद लेनी पड़ती है। ऑफ्थैलमोलॉजिस्ट सबसे पहले आपकी आंखों में एक आई ड्रॉप (Eye drop) डालते हैं और पुपिल को खोलने का प्रयास करते हैं। जिसके बाद आंखों की जांच करते हैं। आपके स्वस्थ आंख की तुलना आपके प्रभावित आंखों से करते हैं। इसके बाद आपके नर्व के डैमेज होने के कारणों के बारे में जानते हैं।
डॉक्टर लक्षणों के आधार पर नर्व डैमेज होने का टेस्ट करते हैं। आपकी आंखों में एक आई ड्रॉप (Eye drop) डालते हैं और पुपिल को खोलने का प्रयास करते हैं। जिसके बाद आंखों की जांच करते हैं। आपके स्वस्थ आंख की तुलना आपके प्रभावित आंखों से करते हैं। फिर हॉर्नर सिंड्रोम Horner syndrome) के उत्पन्न करने वाले थर्ड-ऑर्डर न्यूरॉन (Third order Neuron) में आई असामान्यता के बारे में जानते हैं।
इन टेस्ट के अलावा जरूरत पड़ने पर कुछ अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं :
जिन बच्चों को हॉर्नर सिंड्रोम (Horner syndrome) होता है, डॉक्टर ब्लड और यूरीन टेस्ट भी कराते हैं। ताकि हॉर्मोनल या नर्वस सिस्टम में ट्यूमर की जानकारी हो सके।
हॉर्नर सिंड्रोम का कोई सटीक इलाज नहीं है। अक्सर हॉर्नर सिंड्रोम लक्षणों के आधार पर इलाज के साथ गायब हो जाता है। इलाज संबंधित जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से बात करें।
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इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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