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Restless Leg Syndrome : रातों की नींद और दिन का चैन उड़ाने में माहिर है रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित · अपडेटेड 14/01/2020

    Restless Leg Syndrome : रातों की नींद और दिन का चैन उड़ाने में माहिर है रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम

    रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम जिसे विलीस-इक्बॉम डिजि​ज (Willis-Ekbom disease (WED))भी कहते हैं यह एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। यह समस्या अक्सर आराम करने की स्थिति में दिखाई देती है। यदि आप दोपहर को थोड़ा सुस्ता रहे हैं या रात को बिस्तर में लेट जाएं तो आरएलएस की समस्या खड़ी हो जाती है। इसमें पैरों में ऐंठन या जुंझुनी होने लगती है। ऐसे समय में पैरों को हिलाने की इच्छा तो होती है लेकिन चाह के भी पैरों को हिलाना मुश्किल सा लगने लगता है।

    रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम की समस्या पुरुष महिला या उम्र देखकर नहीं लगती। यह किसी भी उम्र और व्यक्ति को हो सकती है। हां, यह जरूर है कि बढ़ती उम्र और महिलाओं में आरएलएस की स्थिति को ज्यादा देखा गया है।

    रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (Restless Leg Syndrome) के लक्षण क्या है?

    इस समस्या के कई लक्षण होते हैं, जिन्हें पहचानने की जरूरत होती है। अगर आपको नीचे बताए गए लक्षण महसूस होते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जैसे :

    • जब कई बार एक लंबे समय के लिए व्यक्ति एक ही स्थिति में बैठे रहता है तो उसे रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम का सामना करना पड़ता है।
    • पैरों का सुन्न पड़ जाना जिसे आम भाषा में लोग पैरों का सोना या सुन्न पड़ जाना भी कहते हैं।
    • पैर में ऐंठन हो जाना, जिसमें पैर को हिलाने में काफी दिक्कत होती है।
    • पैरों में करंट या सूई चुभने का एहसास होना। ऐसे में पैरों में जुंझूनी उठती है। कई बार इससे दर्द होता है तो कई बार कोई एहसास ही महसूस नहीं होता है।
    • कई बार सोते हुए लगता है कि पैर में कीड़ा काट रहा है।
    • रात को सोते हुए पैरों में बेचैनी सी महसूस होती है।
    • कई बार पैरों की नसों में खिचाव सा लगता है।

    ये कुछ ऐसी सामान्य स्थितियां हैं, जो रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं। ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण आपको नजर आते हैं, तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं, ताकि समय रहते इस बीमारी का इलाज किया जा सके।

    रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम किन कारणों से होता है?

    इस समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं। हैलो हेल्थ को उदयपुर स्थित नींद की बीमारियों के विशेषज्ञ डॉ. पुनीत शर्मा ने बताया कि यह समस्या रात को सोते हुए सबसे ज्यादा सक्रिय हो जाती है। यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है।

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    डोपामाइन में बदलाव

    विशेषज्ञों का मानना है कि यह मस्तिष्क में डोपामाइन केमिकल में आए बदलाव के कारण भी हो सकता है। यह डोपामाइन केमिकल मसल को नियंत्रित करता है। यानी अगर मस्तिष्क में डोपामाइन केमिकल में बदलाव आता है, तो रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के होने की आशंका बढ़ सकती है।

    उच्च रक्तचाप

    अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल बोस्टन और वुमेन्स हॉस्पीटल बर्मिंघम में किए गए शोध में पाया गया कि रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से प्रभावित लगभग 26 प्रतिशत महिलाओं में उच्च रक्तचाप की समस्या होती है। इस अध्ययन के अनुसार यदि पैरों में दर्द का उपचार शुरुआती दौर में ही पहचान लिया जाए तो उच्च रक्तचाप को रोका जा सकता है।

    आनुवंशिक कारण

    अभी तक सही कारणों के बारे में विशेषज्ञ पता नहीं लगा पाए हैं पर कई वैज्ञानिकों का कहना है कि यह आनुवांशिक सिंड्रोम भी हो सकता है। माना गया है कि यदि यह समस्या 40 की उम्र से पहले शुरू हो जाती है तो यह माता-पिता आदि से जुड़ी हो सकती है।

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    गर्भावस्था के कारण

    गर्भावस्था में महिला को कई तरह के शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है। यह बदलाव इसलिए होते हैं क्योंकि इन नौ महीनों में गर्भवती के अंदर काफी सारे हॉर्मोनल बदलाव आते हैं। ऐसे में हॉर्मोनल बदलाव या प्रेग्नेंसी के कारण भी रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम की समस्या महिला को हो सकती है। अधिकतर महिलाओं में यह आखिरी ट्राइमेस्टर में शुरू होती है और डिलिवरी के बाद सही भी हो सकती है।

    रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के अन्य कारण

    ऊपर बताए गए कारणों के अलावा और भी अन्य कई कारण हैं, जिनसे रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम हो सकता है। नीचे हम इन्हीं अन्य कारणों के बारे में भी बता रहे हैं :

    रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम का उपचार क्या है?

    • यदि आप अपनी जीवनशैली में बदलाव करते हैं तो इंसोम्निया से लेकर रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम तक की समस्या से काफी हद तक निजाद पा सकते हैं। अच्छे लाइफस्टाइल में समय पर सोना-उठना, रोज एक्सरसाइज करना कैफीन से दूर रहना आदि शामिल हैं। अगर आप इन चीजों को फॉलो करेंगे तो काफी हद तक रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम पर नियंत्रण पा सकते हैं।
    • चाहे घरेलू उपचार से या आयरन के सप्लीमेंट हो विशेषज्ञ की सलाह के बाद आयरन की कमी को दूर करने की कोशिश करें।
    • डोपामाइन, बेजोडाइजिपिन्स (Benzodiazepines) आदि दवाओं के माध्यम से भी इसका उपचार किया जाता है।
    • एल्कोहॉल से दूरी बना लेनी चाहिए। चूंकि शराब बेचैनी को बढ़ाने में मददगार होती है।
    • योगा या मेडिटेशन मददगार साबित हो सकते हैं।
    • मसाज भी आरामदायक हो सकती है।

    इलाज नहीं इसे कंट्रोल किया जा सकता है

    एक्सपर्ट्स की मानें तो यह बीमारी जीवनभर चलती है, जिसका कोई विशेष इलाज मौजूद नहीं है। हालांकि, कुछ थेरिपी और जीवनशैली में बदलावों को अपनाकर इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है, जिससे नींद बेहतर हो जाती है।

    यदि आप भी रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के शिकार हैं तो पहले घरेलू उपचार और उसके बाद डॉक्टरी सलाह लेना न भूलें। ज्यादा गंभीर होने पर यह सिंड्रोम लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा देता है।

    उम्मीद है आपको रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से संबंधित हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में आपको जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में इससे जुड़े और भी कोई सवाल हैं, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपको एक्सपर्ट्स के जरिए सही राय देने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा, अगर आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया है तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर जरूर पूछ लें।

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