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Mary Kom's Birthday : मां बनने के बाद थम नहीं जाती है दुनिया, मैरी कॉम ने ऐसे बदली समाज की पुरानी सोच

Mary Kom's Birthday : मां बनने के बाद थम नहीं जाती है दुनिया, मैरी कॉम ने ऐसे बदली समाज की पुरानी सोच

मां बनने के बाद महिलाएं खुद की हेल्थ का ख्याल नहीं रख पाती हैं या फिर खुद के करियर पर फोकस नहीं कर पाती है। ये बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि समाज में ऐसी बातें अक्सर होती रहती हैं।  लेकिन महिला किसी भी उम्र में हेल्थ के साथ ही अपने करियर पर भी पूरा फोकस कर सकती है। इसका जीता जागता उदाहरण हैं मैरी कॉम। मैरी कॉम एक ऐसी महिला हैं, जिन्हें देखकर भारत की कोई भी महिला गर्व महसूस कर सकती है। हमारे देश में जहां एक ओर धारणा है कि शादी और बच्चे हो जाने के बाद महिला की जिंदगी उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती रहती है, मैरी कॉम ने इस धारणा को बदलने का काम किया है। छह विश्व चैंपियन खिताब, एक ओलंपिक कांस्य, एशियाई गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में एक-एक स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय बॉक्सर एमसी मैरी कॉम की जीतने की भूख अभी कम नहीं हुई है।

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मैरी कॉम से महिलाओं को लेनी चाहिए ये सीख

मैरी कॉम ने अपने पदकों की बढ़ती संख्या से ये बात साबित कर दिया है कि एक महिला, एक पत्नी और एक मां समय के साथ और जिम्मेदारियों के बढ़ने पर भी कमजोर नहीं पड़ती। बल्कि और भी अधिक मजबूत के साथ निखरती जाती है। 1 मार्च को मैरी कॉम अपना 37 वां बर्थडे सेलीब्रेट कर रही हैं। आपको बताते चले कि मैरी कॉम के लिए साल 2012 में लंदन में हुए ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना सुनहरा लम्हा था। भले ही मैरी कॉम को गोल्ड न ला पाने का अफसोस हो, लेकिन उनका प्रयास आज भी जारी है। हमारे समाज में एक महिला और मां को लेकर सोची-समझी धारणा बना ली गई है लेकिन मैरी कॉम का जीवन इन सभी धारणाओं को तोड़ने का काम कर रहा है।

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मैरी कॉम : कीप ट्रेनिंग, कीप लर्निंग एंड नेवर गिव अप

छह बार विश्व चैम्पियन रह चुकीं और पद्म विभूषण मैरी कॉम अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। पहली भारती महिला बॉक्सर जिसने ओलंपिक में कास्य पदक जीता, उनका चेहरा देखकर अन्य महिलाओं का आत्मविश्वास प्रबल हो उठता है। अगर आपने मैरी कॉम पर बनी फिल्म देखी होगी तो आपको उनके संघर्ष के बारे में भी पता चल जाएगा। मैरी कॉम का महिला बॉक्सर बनने तक का सफर आसान नहीं था, फिर भी उन्होंने सामने आने वाली सभी तकलीफों का हिम्मत के साथ सामना किया और आगे बढ़ती चली गई। ये कहना गलत नहीं होगा कि मैरी कॉम के इस सफर में उनके पति के ओनलर कॉम ने उनका बहुत साथ दिया।

जहां एक ओर मैरी बॉक्सिंग के जरूरी पेंच सीखती रहीं, वहीं मैरी के पति ने परिवार का हर पल पूरा ध्यान रखा। भले ही हमारे समाज में घर की जिम्मेदारी महिलाओं को थमा देने का पुराना रिवाज हो, लेकिन मैरी कॉम के पति ने साबित कर दिया समय पड़ने पर एक-दूसरे का साथ देना ही सच्चा रिश्ता कहलाता है। एमसी मैरी कॉम का मानना है कि सीखते रहो, ट्रेनिंग लेते रहो और कभी भी हिम्मत न हारो। जो हिम्मत हार जाता है, उसके लिए मंजिल तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।

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मैरी कॉम ने मां बनने के बाद जीते अधिकतर मेडल

अक्सर मां बनने के बाद मांओं को जिम्मेदारी निभाने के लिए अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। करियर किसी महिला का हो या पुरुष का, उसे बनाने के लिए समान मेहनत ही करनी पड़ती है। लेकिन जब बात जिम्मेदारी की आती है तो मां को ही करियर से हाथ धोना पड़ता है।

मैरी कॉम की अगर बात की जाए तो उनकी लाइफ में भी यहीं मोड़ आया था जब उन्हें बच्चों और करियर को संभालना था। उन्होंने किसी एक चीज का चुनाव नहीं किया, बल्कि दोनों में बैलेंस बनाएं रखने की पूरी कोशिश की। उनकी इस कोशिश में पति का फुल सपोर्ट भी शामिल है। मैरी के हसबैंड ने इस बात की परवाह नहीं की कि लोग मेरे बारे में क्या कहेंगे। मैरी के पति ओनलर कॉम को उनकी पत्नी की मेहनत पर पूरा विश्वास था। मैरी कॉम ने किसी का भी भरोसा नहीं तोड़ा। आपको बताते चले कि की मैरी कॉम ने अधिकतर मेडल मां बनने के बाद ही जीते।

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महिला हेल्दी तो परिवार भी रहेगा स्वस्थ्य

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एक महिला का शरीर कई प्रकार के चेंजेस से होकर गुजरता है। ऐसे में किसी भी उम्र में सही खानपान न लेने से आने वाले समय में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मैरी कॉम हेल्दी डायट और हेल्दी लीविंग पर भरोसा करती हैं। आपको बताते चले कि मैरी कॉम की पहली डिलिवरी सिजेरियन थी। बॉडी को फिट रखने के लिए मैरी रोजाना कड़ी मेहनत करती हैं और साथ ही अपनी डायट में हेल्दी फूड शामिल करती हैं। मैरी कॉम के फूड में सिंपल इंडियन फूड शामिल होता है। खाने में प्रोटीन के साथ ही जरूरी कार्बोहाइड्रेट मैरी खाने में जरूर शामिल करती हैं।

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जब मैरी कॉम से पूछी गई थी रिटायरमेंट की बात

भले ही महिला हो या फिर पुरुष, एक उम्र के बाद लोगों की हेल्थ डीग्रेड करना शुरू कर देती है। ऐसा मैरी कॉम के साथ भी हो चुका है। एम सी मैरी कॉम बेहतर प्रदर्शन कर रही है फिर भी किसी ने उनसे बातों बातों में एज फैक्टर के बारे में पूछ लिया। मैरी कॉम ने जो जवाब दिया, उससे कई महिलाएं सीख ले सकती हैं। एम सी मैरी कॉम ने कहा कि यहां मेरे पास आओ, फिर मैं तुम्हे एज फैक्टर का मतलब समझाती हूं। जवाब साफ है कि बॉक्सिंग के पैतरों की रानी मैरी कॉम एज बस नंबर भर ही है। अगर किसी भी महिला को उसकी एज को लेकर काम को आंका जाए तो यकीनन ये गलत बात ही होगी। बेहतर होगा कि उस व्यक्ति को ही निर्णय लेने दिया जाए कि उसे किस उम्र में क्या करना चाहिए।

यकीनन महिलाओं के लिए एम सी मैरी कॉम से प्रेरणा लेना बहुत जरूरी है। हमारे समाज में एक लड़की, महिला और मां को करियर में आगे बढ़ने के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मैरी कॉम के जीवन के बारे में आपको भी महसूस हो रहा होगा कि अगर कुछ ठान लिया जाए तो समाज की पुरानी अवधारणाओं को बदला जा सकता है। हर महिला को उसका जीवन अपने तरीके से जीने का अधिकार है। परिवार के सभी सदस्यों की ये जिम्मेदारी है कि महिलाओं को जिम्मेदारी के बोझ के तले न दबाएं बल्कि सभी लोग बराबरी से जिम्मेादारियों का निर्वहन करें। एक महिला के लिए अपने सपनों को पूरा करने के साथ ही अपनी सेहत पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए।

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Indian women boxers: Mary Kom Accessed on 28/2/2020

https://www.instagram.com/mcmary.kom/?hl=en/

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK304191/

https://www.womenandinfants.org/services/pregnancy/postpartum-health

https://my.clevelandclinic.org/health/articles/9679-caring-for-your-health-after-delivery

https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/labor-and-delivery/in-depth/postpartum-care/art-20047233

Current Version

28/10/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Bhawana Awasthi


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Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/10/2021

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