टीबी
टीबी एक भयंकर संक्रामक रोग है। यह रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलॉसिस (Mycobacterium tuberculosis) (Mtb) नामक बैक्टीरिया की वजह से फैलता है। इन दिनों टीबी का स्किन टेस्ट भी होने लगा है जिसे ट्यूबरक्यूलिन (tuberculin test) या पीपीडी (PPD) टेस्ट भी कहते हैं। पीपीडी टेस्ट से ये भी पता लगाया जा सकता है कि किसी संक्रमित व्यक्ति के शरीर में टीबी के प्रति रोगप्रतिरोधक क्षमता बन गई है या नहीं।
ट्यूबरक्यूलॉसिस खासकर क्षय रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलॉसिस (Mycobacterium Tuberculosis) की वजह से होता है। ट्यूबरक्यूलॉसिस से पीड़ित व्यक्ति किसी भी प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने से ट्यूबरक्यूलॉसिस हो सकता है। यह बीमारी दुबारा भी हो सकता है। यही नहीं अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं जहां पर ट्यूबरक्यूलॉसिस संक्रमण की सबसे अधिक है, तो भी आपको भी ये संक्रमण हो सकता है। पहली बार ट्यूबरक्यूलॉसिस (Tuberculosis) का सही तरीके से इलाज न होने पर ट्यूबरक्यूलॉसिस का संक्रमण दोबारा होता है। अगर पहली बार ट्यूबरक्यूलॉसिस का इलाज सही ढंग से नहीं हुआ है तो माइकोबैक्टीरियम स्ट्रेन शरीर में रह जाते हैं और शरीर के कमजोर पड़ते ही ये सक्रिय होकर दोबारा ट्यूबरक्यूलॉसिस पैदा करते हैं।
टीबी के लक्षण क्या हैं?
इससे पीड़ित व्यक्तियों में निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं। जैसे-
ट्यूबरक्यूलॉसिस से संक्रमित होने वाले व्यक्तियों को बुखार रहता है। शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा होता है। कभी-कभी टीबी के मरीज को संक्रमित रहने पर हमेशा बुखार भी रहता है। शुरुआत में लो-ग्रेड फीवर होता है लेकिन बाद में संक्रमण ज्यादा फैलने पर बुखार तेज हो जाता है।
टीबी से पीड़ित मरीजों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो जाती है। इससे पीड़ित व्यक्ति शारीरिक तौर से कमजोर होने पर कोई भी काम करने से असमर्थ हो जाता है। टीबी से पीड़ित मरीज सामान्य दिनों की अपेक्षा टीबी होने पर कम काम करने पर भी आदमी को थकान होने लगती है।
ट्यूबरक्यूलॉसिस होने पर अत्यधिक खांसी होती है जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। कई बार ज्यादा खांसने के कारण से आदमी को सांस लेने में परेशानी महसूस हो सकती है। क्षय रोग होने पर आदमी के शरीर के अन्य भाग भी प्रभावित होते हैं। शरीर के जोड़ों, हड्डियों, मांसपेशियों और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में दिक्कत शुरू हो जाती है।
टीबी होने पर खाने की इच्छा न के बराबर होती है। टीबी होने पर आदमी को भूख कम लगती है जिसकी वजह से खाने के प्रति रुचि कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में पेशेंट को अन्य शारीरिक परेशानी तेजी से शुरू हो सकती है।
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कैसे होता है टीबी का स्किन टेस्ट (TB Skin Test) ?
अगर आप किसी टीबी ग्रस्त व्यक्ति के लगातार संपर्क में हैं या आप ऐसे स्थिति में हैं, जिससे आपको टीबी होने का खतरा है, तो इस टेस्ट की मदद से भी संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।
इंजेक्शन की मदद से टीबी स्किन टेस्ट की जाती है।
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टीबी स्किन टेस्ट (TB Skin Test) लेने से पहले किन चीजों का जानना बेहद जरूरी?
आमतौर पर टीबी स्किन टेस्ट के कोई साइड इफेक्ट नहीं होते। हालांकि, कुछ मामलों में इसके रिएक्शन होने की संभावना ज्यादा रहते हैं। जैसे हाथ में सूजन और लाल चिट्टे पड़ना। ये रिएक्शन खासतौर पर उन लोगों में हो सकते हैं जिन्हें पहले कभी टीबी हुआ हो या बीसीजी (BCG) वैक्सीन लगी हो। इस टेस्ट में जिंदा बैक्टीरिया का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसलिए टेस्ट से टीबी होने की संभावना नहीं होती।
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टेस्ट की प्रक्रिया
टीबी स्किन टेस्ट (TB Skin Test) दो भागों में किया जाता है
पहला भाग – जब आप पहली बार डॉक्टर के पास इस टेस्ट के लिए पहुंचते हैं, तो डॉक्टर आपकी स्किन के नीचे ट्यूबरक्यूलिन का इंजेक्शन लगाता है। हाथ में लगने वाले इस इंजेक्शन के जरिए ट्यूबरक्यूलिन नामक प्रोटीन आपके शरीर में पहुंच जाता है।
दूसरा भाग- यह प्रक्रिया 48 से 72 घंटे के बीच शुरू होती है। इस दौरान डॉक्टर आपकी स्किन पर ट्यूबरक्यूलिन का असर देखता है। स्किन का रिएक्शन डॉक्टर को यह तय करने में मदद करता है कि व्यक्ति को टीबी है या नहीं। इस टेस्ट में 72 घंटे की अधिकतम समय सीमा है। 72 घंटे से ज्यादा होने पर पहला भाग फिर दोहराया जाता है। अगर आपका यह पहला टीबी टेस्ट है और रिजल्ट नेगेटिव आता है, तो डॉक्टर आपको कुछ हफ्तों बाद फिर टेस्ट के लिए बुलाते हैं, जिससे पुख्ता किया जा सके कि आपको टीबी नहीं है।
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टीबी स्किन टेस्ट (TB Skin Test) के बाद क्या होता है ?
अगर आपका रिजल्ट पॉजिटिव आता है और आपके लक्षण टीबी के बड़े खतरों की ओर इशारा करते हैं, तो डॉक्टर तुंरत आपको इंफेक्शन और उसके लक्षणों को कम करने संबंधी दवाईयां देता है। वहीं अगर आपको टीबी से कम खतरा है तो डॉक्टर ब्लड टेस्ट की सलाह देता है,जिसके आधार पर इलाज किया जा सके। टीबी स्किन टेस्ट ब्लड टेस्ट से ज्यादा भरोसेमंद नहीं है इसमें त्रुटि हो सकती है। ऐसे में कई बार स्किन टेस्ट पॉजिटिव और ब्लड टेस्ट नेगेटिव आ सकता है।
तो मेरे टेस्ट रिजल्ट का क्या मतलब है?
आपका डॉक्टर टीबी स्किन टेस्ट के रिजल्ट कुछ आधार पर बनाता है। सबसे पहले आपके हाथ में जिस जगह पर इंजेक्शन लगाया गया होता है उस जगह को 48 से 72 घंटे के बीच देखा जाता है। जब टीबी का पॉजिटिव रिजल्ट होता है तब इंजेक्शन लगने वाली जगह पर लाल रंग की सूजन आ जाती है। इस सूजन का आकार टीबी के संक्रमण की पुष्टि करता है। हालांकि, इसका आकार व्यक्ति के स्वास्थ्य, उम्र आदि चीजों पर भी निर्भर करती है। इसके बाद टीबी की पुष्टि होने पर शरीर की अन्य जांचें जैसे एक्स-रे, ब्लड टेस्ट और कुछ लैब टेस्ट से इसकी पुष्टि और उपचार की तैयारी की जाती है।
टीबी तेजी से फैलने वाली जानलेवा बीमारी है। कभी भी इसके लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर आपको इन लक्षणों को लेकर मन में कोई भी शंका है तो अपने डॉक्टर संपर्क अवश्य करें। खुद से इलाज न करें। वक्त पर शुरू किया गया इलाज पेशेंट को किसी भी गंभीर बीमारी से बचाया जा सकता है।
टीबी होने पर रखें इन बातों का विशेष ध्यान
टीबी के मरीज और परिवारों वालों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि यह संक्रमण परिवार के सदस्यों के बीच ना फैले और बीमारी व्यक्ति को भी ज्यादा परेशानी ना हो।
- टीबी के मरीज को घर पर ही आराम करना चाहिए। जब तक डॉक्टर न कहे तब तक घर से बाहर निकलना अवॉयड करना सही होगा।
- टीबी का इलाज हफ्तों से लेकर महीनों तक चल सकता है। डॉक्टर के पुष्टि करने के बाद कि टीबी की बीमारी अब किसी और को नहीं फैल सकती, दैनिक जीवन के कार्य दोबारा शुरू किया जा सकते हैं।
- इस बीमारी को बैक्टीरिया हवा से फैलते हैं इसलिए हमेशा मुंह को ढंककर या मास्क पहनकर रखें। खांसते या छींकते वक्त मुंह को टिशू पेपर से ढकें और उसे सुरक्षित तरीके से फेंक दें।
- ध्यान रखें कि जिस कमरे में मरीज हो वहां पर्याप्त वायु संचरण (ventilation) हो।
- आप चाहें तो एक फैन खिड़की की दिशा में रख सकते हैं, जिससे संक्रमित हवा बाहर निकलती रहे और ताजी हवा अंदर आती रहे।
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