यूटरस को सामान्य साइज में आने के लिए तीन से लेकर छह महीनों का समय लगता है। इस स्थिति में बॉडी में फ्लूड कंपाटमेंट में बदलाव होता है। दूसरी तरफ, महिलाएं शिशु को स्तनपान कराने के लिए अक्सर देर रात तक जागती हैं और ज्यादातर महिलाएं इस दौरान पानी कम पीती हैं। जिसकी वजह से बॉडी वॉटर रिटेंशन (बॉडी में पानी का इक्कट्ठा होना) करती है। इसकी वजह से डिलिवरी के बाद सूजन आ जाती है।
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प्रेग्नेंसी के बाद बॉडी में सूजन का इलाज
डॉक्टर गंधाली के मुताबिक, ‘सूजन को कम करने के लिए महिलाओं को रोजाना कम से कम 10 गिलास पानी पीना चाहिए। इससे बॉडी में पानी की आपूर्ति होगी, जिसकी वजह से बॉडी वॉटर रिटेंशन करना कम करेगी।’ उनके मुताबिक इस दौरान महिलाओं को अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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पैरों को ऊंचा करके सोएं
महिलाओं को रात में सोते वक्त अपने पैर ऊंचे रखने चाहिए। इससे उनकी बॉडी वॉटर रिंटेशन को ना करके, जमे हुए पानी को निकालती है। इसके लिए पैरों के नीचे एक तकिया लगा लें। डॉक्टर के अनुसार इससे बॉडी के ब्लड फ्लो में भी सुधार होता है। उन्होंने कहा कि प्रेग्नेंसी से पहले बॉडी में ब्लड फ्लो और प्रेग्नेंसी के दौरान दोनों में अंतर होता है। ऐसी स्थिति में इसे सामान्य अवस्था में आने में कम से कम एक महीने का वक्त लगता है। ब्लड फ्लो के सामान्य होने से सूजन कम हो जाती है।