कोरोना वायरस, ओमिक्रोण, डेल्टा एवं और भी कई वायरस है जिसने लोगों की समस्या बढ़ा दी है। हालांकि इन परेशानियों या वायरस पर पूरी तरह से ब्रेक लग जाए तो राहत भरी सांस ली जा सकती है, लेकिन ऐसा कहां हो रहा है। अब देखिए ना इन दिनों मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox virus) ने अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World Health Organization) की ओर से भी मंकीपॉक्स की जानकारी शेयर की गई है। मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox virus) को देखते हुए भारत में भी सतर्कता बरती जा रही है। इसलिए इस बीमारी से बचने के लिए इस बीमारी के बारे में समझना जरूरी है।
मंकीपॉक्स भी एक तरह का वायरस है और इससे भी सतर्क रहने की जरूरत है। हालांकि मंकीपॉक्स की समस्या ज्यादा गंभीर नहीं है, लेकिन इसे इग्नोर करना भी ठीक नहीं है। इसलिए आज यहां आपके साथ मंकीपॉक्स (Monkeypox) से जुड़ी जानकारी शेयर करेंगे।
- मंकीपॉक्स वायरस क्या है?
- मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण क्या हो सकते हैं?
- मंकीपॉक्स के कारण क्या हो सकते हैं?
- मंकीपॉक्स वायरस का निदान कैसे किया जाता है?
- मंमंकीपॉक्स वायरस का इलाज कैसे किया जाता है?
- मंकीपॉक्स वायरस से बचाव कैसे किया जा सकता है?
चलिए अब मंकीपॉक्स (Monkeypox) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
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मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox virus) क्या है?
मंकीपॉक्स एक ऐसा वायरस है, जो जानवरों से इंसानों में फैलता है। मंकीपॉक्स (Monkeypox) अफ्रीकी देशों में होने वाली समस्या है हालांकि कुछ समय से अमेरिका, कनाडा और कई अन्य यूरोपीय देशों में मंकीपॉक्स के केस डायग्नोस किये जा रहें हैं। डब्लूएचओ (WHO) के अनुसार मंकीपॉक्स वायरस एक ऑर्थोपॉक्सवायरस (Orthopoxvirus) है, जो चेचक (Chicken pox) से मिलती जुलती समस्या है। यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में सेलुलर माइक्रोबायोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर साइमन क्लार्क ने साइंस मीडिया सेंटर को दी गई जानकारी के अनुसार मंकीपॉक्स (Monkeypox) को पहली बार साल 1950 में बंदरों पाया गया था, लेकिन साल 1970 तक यह इंसानों में फैल गया था। यह अन्य जंगली जानवरों, जैसे कुछ कुतरने वाले जानवरों में भी पाया जाता है। रिसर्चर्स के अनुसार इस वायरस के दो अलग-अलग वेरिएंट हैं। एक मध्य अफ्रीका का वेरिएंट जो अधिक लक्षणों वाली बीमारी का कारण बनता है, और दूसरा पश्चिम अफ्रीका में पाए जाने वाला वेरिएंट जो मामूली लक्षणों वाले संक्रमण (Infection) का कारण बनता है।मंकीपॉक्स की समस्या होने पर बुखार (Fever) के साथ-साथ अन्य परेशानी भी देखी जा सकती है। इसलिए मंकीपॉक्स के लक्षण को समझना जरूरी है।
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मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण क्या हो सकते हैं? (Symptoms of Monkeypox)
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार मंकीपॉक्स के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण (Monkeypox symptoms) जो शुरुआती स्टेज में नजर आ सकते हैं या महसूस किये जा सकते हैं। जैसे:
- बुखार (Fever) होना।
- सिरदर्द (Headache) की समस्या होना।
- मसल्स में दर्द (Muscle aches) की समस्या होना।
- पीठ दर्द (Backache) की समस्या होना।
- लिम्फ नॉड में सूजन (Swollen lymph nodes) की समस्या होना।
- ठंड (Chills) लगना।
- थकावट (Exhaustion) महसूस होना।
ये हैं मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण (Monkeypox symptoms) जो शुरुआती दिनों में हो सकते हैं, लेकिन ये तकलीफें बढ़ने लगती है और इसके साथ ही अन्य समस्या भी हो सकती है। जैसे:
- मैक्यूल्स (Macules)
- पेपुल्स (Papules)
- वेसिकल्स (Vesicles)
- छाले (Pustules)
- स्कैब्स (Scabs)
मंकीपॉक्स की समस्या होने पर तकरीबन दो से चार सप्ताह में मरीज ठीक हो जाते हैं। वहीं सीडीसी (CDC) के अनुसार अफ्रीका में 10 मंकीपॉक्स पेशेंट्स में से 1 पेशेंट की डेथ भी रजिस्टर की जाती है।
नोट: स्मॉलपॉक्स (Smallpox) की समस्या होने पर भी ऊपर बताई गई परेशानी हो सकती है, लेकिन मंकिपॉक्स (Monkeypox) की समस्या होने पर लिम्फ नॉड्स (Lymph nodes) में सूजन की समस्या होती है।
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मंकीपॉक्स के कारण क्या हो सकते हैं? (Cause of Monkeypox)
मंकीपॉक्स का मुख्य कारण ऑर्थोपॉक्सवायरस (Orthopoxvirus) ही है और यह एनिमल से ह्यूमन में ट्रांसमिट होने वाली समस्या है।
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मंकीपॉक्स वायरस का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Monkeypox)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार मंकीपॉक्स के निदान के लिए पीसीआर टेस्ट (PCR Test), वायरल स्वैब (Viral swab) या फिर पपड़ी के ड्राय स्क्रैपिंग (Dry scraping) से डायग्नोस किया जाता है।
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मंकीपॉक्स वायरस का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Monkeypox)
मंकीपॉक्स का इलाज स्मॉलपॉक्स के वैक्सीन (Vaccine) से ही किया जाता है, जो वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World Health Organization) एवं सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार 85 प्रतिशत तक इफेक्टिव मानी गई है। वहीं बाजार में पहले उपलब्ध दवाएं जैसे सिडोफोविर (Cidofovir), एसटी -246 (ST -246) और वैक्सीनिया इम्युनोग्लोबुलिन (Vaccinia Immunoglobulin) का इस्तेमाल मंकीपॉक्स के इंफेक्शन (Monkeypox infection) को दूर करने के लिए किया जाता है।
कुछ रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार मंकीपॉक्स की समस्या खुद भी ठीक हो जाती है, लेकिन अगर मंकीपॉक्स के लक्षण (Monkeypox symptoms) गंभीर हों या कई दिनों से लगातार बने हुए हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी है।
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मंकीपॉक्स वायरस से बचाव कैसे किया जा सकता है? (Tips to prevent Monkeypox)
मंकीपॉक्स से बचाव के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो किये जा सकते हैं। जैसे:
- बीमार एवं मरे हुए जानवरों के पास ना जाएं।
- बिस्तर और वायरस से दूषित अन्य सामग्री के संपर्क में ना आयें।
- अगर इन्फेक्टेड एनिमल (Infected animal) के संपर्क में आये हैं, तो हाथों को साबुन (Soap) से अच्छी तरह धोएं।
- पूरी तरह से पके हुए मीट (Meat) का सेवन करें।
- जिन लोगों में मंकीवायरस (Monkey Virus) की समस्या है, तो उनसे डिस्टेंस मेंटेन करें।
- अगर आप मंकीवायरस के पेशेंट की देखभाल कर रहें हैं, तो पीपीई (PPE) ड्रेस पहनकर करें।
इन टिप्स को फॉलो कर मंकीपॉक्स (Monkeypox) से बचाव में मदद मिल सकती है।
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मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox virus) बीमारी का प्रकोप अभी बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन कुछ देशों में आए नए केस ने लोगो में चिंता जरूर बढ़ा दी है। ऐसी स्थिति में सतर्क रहने की जरूरत है।
अगर आप मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox virus) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। ऐसे वक्त में अगर कोई परेशानी समझ आती है, तो खुद से इलाज न करें और डॉक्टर से कंसल्ट करें। अगर आपको डर है कि कहीं आप इंफेक्शन (infection) के शिकार हो चुके हैं, तो किसी के संपर्क में ना आएं और सबसे पहले टेस्ट करवाएं। वो कहते हैं ना सावधानी हटी दुर्घटना घटी। यहां भी कुछ यही हाल है। आपको पैनिक नहीं करना है सिर्फ समझदारी से काम करना है।
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