परिभाषा
एपिग्लोटाइटिस (Epiglottitis) क्या है?
एपिग्लोटाइटिस एक जानलेवा बीमारी है। यह एपिग्लॉटिस में होती है। जीभ के निचले हिस्से को एपिग्लॉटिस (Epiglottitis) कहते हैं। इस बीमारी से एपिग्लॉटिस में सूजन और ब्लॉकिंग आ जाती है। एपिग्लोटाइटिस होने से सांस लेने में दिक्कत होती है। सूजन की वजह से फेफड़ों तक हवा नहीं पहुंच पाती है। दम घुटने के कारण मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। यह बीमारी किसी चोट या गर्म चीज पी लेने की वजह से होती है। इससे एपिग्लॉटिस में इनफेक्शन हो जाता है।
एपिग्लोटाइटिस (Epiglottitis) को सुप्राग्लोटाइटिस नाम से भी जाना जाता है। एपिग्लोटाइटिस होने के बाद मरीज कुछ खाने-पीने में असमर्थ हो जाता है और उसे बोलने में भी परेशानी होती है। अगर आपको ऐसे कुछ लक्षण दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर के संपर्क करना चाहिए। यह बीमारी ज्यादातर युवाओं में देखी गई है।
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कारण
एपिग्लोटाइटिस होने का कारण (Cause of Epiglottitis)
एपिग्लोटाइटिस ज्यादातर बैक्टीरिया, फंगल या वायरल इनफेक्शन (Viral infection) के कारण होता है। बच्चों से ज्यादा ये बीमारी वयस्कों में देखी गई है। इसके कारण निम्नलिखित है—
- जब आप सांस लेते हैं, तो शरीर के अंदर कुछ बैक्टीरिया चले जाते हैं। जो एपिग्लॉटिस (Epiglottitis) को प्रभावित करते हैं।
- इस बीमारी को पैदा करने वाले बैक्टीरिया का नाम हीमोफाइलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Haemophilus Influenzae Type B) है। इसे हिब HIB भी कहा जाता है। यह बैक्टीरिया तेजी से फैलता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उससे निकलने वाले कीटाणु दूसरे में जाते हैं और एपिग्लोटाइटिस का कारण बनते हैं।
- इसके अलावा जिस वायरस से दाद और चिकनपॉक्स (Chicken Pox) होता है वे भी एपिग्लोटाइटिस का कारण बन सकते हैं।
- कोई शारीरिक चोट भी एपिग्लोटाइटिस का कारण बन सकती है। इसके अलावा कोई गर्म चीज पीने से गला जल सकता है। ये भी इस बीमारी का कारण बनता है।
- कोकीन या ड्रग्स लेने वालों को भी ये बीमारी आसानी से हो सकती है। महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ये बीमारी ज्यादा होती है।
- जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर (Immune System week) होता है, उन्हें ये बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है।
- कभी-कभी ऐसा भी होता है एपिग्लॉटिस में होने वाली ये बीमारी पूरे शरीर में फैल जाती है। जिससे निमोनिया (Pneumonia) और खून में संक्रमण (Blood infection) जैसी समस्या पैदा हो जाती है।
- अगर आप किसी ऐसी जगह रहते या काम करते हैं तो भी कीटाणु एक से दूसरे में तेजी से फैलते हैं और एपिग्लोटाइटिस (Epiglottitis) का कारण बनते हैं।
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लक्षण
एपिग्लोटाइटिस के लक्षण (Symptoms of Epiglottitis)
एपिग्लोटाइटिस के लक्षण बच्चों और वयस्कों में अलग-अलग हो सकते हैं। हो सकता है कि बच्चों में बैक्टीरिया जाने के तुरंत बाद लक्षण दिखने लगें। वहीं वयस्कों में धीरे-धीरे लक्षण दिखाई देते हैं। इस बीमारी के लक्षण हैं:
बच्चों में दिखाई देने वाले लक्षण (Epiglottitis symptoms in kids)
- तेज बुखार
- गले में खराश
- आवाज में भारीपन
- लार बहना
- खाना निगलने में मुश्किल
- बेचैनी होना
- मुंह से सांस लेना
- खून में ऑक्सीजन ना पहुंच पाने की वजह से त्वचा नीची दिखने लगती है
वयस्कों में दिखाई देने वाले लक्षण (Epiglottitis symptoms in adult)
- बुखार (Fever)
- सांस लेने मे (Breathing problem) तकलीफ
- निगलने में कठिनाई
- भारी आवाज
- सांस लेने में मुश्किल
- गले में खराश
निदान
एपिग्लोटाइटिस का परीक्षण (Test for Epiglottitis)
- एपिग्लोटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, जिसमें तुरंत इलाज मिलना जरूरी है। अगर इस बीमारी का कोई लक्षण दिखता है तो मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए। ऐसे समय पर मरीज को शांत रखें और आराम पहुंचाने की कोशिश करें। एपिग्लोटाइटिस (Epiglottitis) वाले मरीज के गले का परीक्षण घर पर बिल्कुल ना करें। ऐसा करने से ये विंडपाइप और आस-पास के ऊतकों को ब्लॉक कर सकता है। सूजन बढ़ने से सांस लेने में दिक्कत होगी और दिल की धड़कन (Heart beat) भी रुक सकती है। बीमारी ज्यादा गंभीर होने पर मरीज की जान भी जा सकती है।
- डॉक्टर सबसे पहले एक्स-रे (X-ray) करेंगे। साथ ही यह भी देखते हैं कि एपिग्लॉटिस (Epiglottitis) में कितनी सूजन है।
- इसके अलावा डॉक्टर जांच के लिए एक लचीले लेरिंगोस्कोप का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस लचीली ट्यूबनुमा चीज को गले के अंदर डाल दिया जाता है। इसमें कैमरा फिट होता है। इस ट्यूब से गले की स्थिति के बारे में सटीक जानकारी मिल सकती है।
- इसके अलावा संक्रमण (Infection) या सूजन (Inflammation) का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण होता है।
- डॉक्टर बायोप्सी कर सकते हैं, जिसमें एपिग्लॉटिस के ऊतक का एक नमूना लेकर उसे लैब में टेस्ट किया जाएगा।
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उपचार
एपिग्लोटाइटिस का इलाज (Treatment for Epiglottitis)
जिसमें एपिग्लोटाइटिस (Epiglottitis) के लक्षण दिखते हैं उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया जाता है। परीक्षण के आधार पर ही डॉक्टर निम्न तरह से मरीज का इलाज करते हैं:
- मेडिकल टीम सबसे पहले यह सुनिश्चित करेगी कि मरीज को सांस लेने में दिक्कत ना हो। उसे ऑक्सिजन मास्क लगाकर ही इलाज शुरू किया जाएगा जिससे उसे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन मिल सके।
- यदि ऑक्सिजन मास्क से काम नहीं चलता तो डॉक्टर फेफड़ों तक ऑक्सिजन पहुंचाने के लिए एक ट्यूब का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह ट्यूब व्यक्ति के मुंह या नाक में डाला जाता है। ट्यूब एपिग्लॉटिस (Epiglottitis) से होते हुए विंडपाइप तक जाता है।
- जब स्थिति गंभीर होती है तो व्यक्ति को ट्रेकियोस्टोमी (Trakeostomi) या क्रिकोथायरॉइडोटॉमी (Cricothyrotomy) की जरूरत होती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सर्जन व्यक्ति की गर्दन से होते हुए विंडपाइप तक एक सांस की नली को फिट कर देता है।
- डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं का एक इंजेक्शन भी दे सकता है। भले ही यह बीमारी गर्म चीज पीने की वजह से हुई हो लेकिन जीवाणु के संक्रमण का खतरा बना रहता है।
- जब परीक्षण से पता चल जाता है कि व्यक्ति को किस तरह का संक्रमण है तो डॉक्टर उस हिसाब से एंटिबायोटिक्स (Epiglottitis) देते हैं।
कुछ जरूरी बातें
- एपिग्लोटाइटिस एक गंभीर बीमारी है। यह बीमारी एपिग्लॉटिस में सूजन का कारण बनती है। इसका एक प्रमुख कारण संक्रमण हो सकता है, लेकिन कुछ अन्य कारणों की वजह से भी ये बीमारी होती है। इसके अन्य कारणों को भी नजरअंदाज ना करें।
- ये बीमारी होने पर व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। अगर ऐसा होता है, तो यह मृत्यु का कारण भी बन सकता है। इस वजह से अगर आपको ऐसा कोई भी लक्षण दिखता है तो बिना देर किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
- हिब HIB के टीके लगवाना एपिग्लोटाइटिस को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है। बच्चों को ये टीक जरूर लगवाने चाहिए। टीकाकरण बच्चों को ऐसी बीमारियों से दूर रखते हैं।
- वयस्कों में एपिग्लोटाइटिस होने पर निमोनिया भी हो सकता है। सही समय पर इलाज मिलने पर ये बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
- अगर बैक्टीरिया (Bacteria) खून में पहुंच जाता है तो ये पूरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
। बेहतर जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।