बच्चे में अनुशासन (Discipline) हो यह हर पेरेंट्स की पहली जिम्मेदारी है। लेकिन, कई बार अनुशासन सिखाने के गलत तरीकों के कारण बच्चे कुछ ऐसा कर देते हैं कि पेरेंट्स को उससे तकलीफ हो जाती है। अमूमन तीन साल के बाद से बच्चे झूठ बोलना सीखने लगते हैं। ऐसे में उन्हें सुधारना और अनुशासित करना बेहद जरूरी है। अलग-अलग उम्र के बच्चों को अनुशासन सीखाने के तरीके अलग-अलग होते हैं। जैसे बढ़ते उम्र के बच्चों को हमेशा एक जैसे कपड़ें नहीं आते हैं, वैसे ही हर उम्र में पेरेंटिंग के एक ही नियम काम नहीं आते हैं। इसके लिए पेरेंट्स को हैलो स्वास्थ्य बातएगा कि किस उम्र के बच्चे को अनुशासन कैसे सिखाएं (How to teach discipline to children?)
1 वर्ष के बच्चे के लिए (How to teach discipline to children?)
एक साल का बच्चा बच्चे का व्यवहार : इस उम्र में बच्चे शब्दों को सीखते और समझते रहते हैं। इस उम्र में बच्चे के व्यवहार को समझने की जरूरत माता-पिता को होती है। ऐसे में बच्चे को खुद ही नहीं पता होता है कि उसे क्या चाहिए? या किस चीज से उसे नुकसान पहुंच सकता है?
बच्चे को अनुशासन कैसे सिखाएं (How to teach discipline to children?) : इस उम्र में बच्चे आपके व्यवहार से ही सीखते हैं। आपको अपने बोलने के तरीके और लहजे पर ध्यान देना होगा। कोशिश करें कि आपका बात करने का तरीका पॉजिटिव हो। इस उम्र में बच्चे की सुरक्षा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
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2 साल का बच्चा
बच्चे का व्यवहार : इस उम्र में बच्चे भावनात्मक दौर से गुजरते हैं। उनके मन में हजारों सवाल होते हैं। वह हर एक चीज के बारे में जानना चाहते हैं। वह हर एक विषय पर बात करना चाहते हैं। साथ ही वे नखरे भी दिखाते रहते हैं। वह बहुत कुछ करना चाहते हैं।
बच्चे को अनुशासन कैसे सिखाएं (How to teach discipline to children?) : बच्चे को भावनात्मक सपोर्ट करें। उन पर कत्तई ना चिल्लाएं। बच्चे को प्यार से समझाएं कि उसे क्या करना है क्या नहीं। बच्चे को कम शब्दों में ज्यादा बताने की कोशिश करें क्योंकि बच्चा अभी शब्दकोष सीख रहा है। बच्चे को सिखाएं कि किसी को नहीं मारते, ऐसा करने से चोट लगती है। ढाई साल की उम्र से बच्चे में सहानुभूति का भाव पैदा होने लगता है। जिससे वह आपकी इस बात को आसानी से समझ सकते हैं। अगर बच्चा जिद या नखरे करें तो प्यार से समझाएं और कभी-कभी उसकी जिद को नजरअंदाज करें।
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3 साल का बच्चा
बच्चे का व्यवहार : इस उम्र में बच्चे कई आदतों को सीख जातें हैं, जैसे- ब्रश करना, हाथ धोना आदि। साथ ही बच्चों को अपनी भावनाएं और तनाव भी संभालने आ जाते हैं। बच्चे की शैतानी और जिद इस उम्र में और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
बच्चे को अनुशासन कैसे सिखाएं (How to teach discipline to children?) : बच्चे को डांटना या सजा देना ठीक नहीं है। इससे बच्चा सुधरने के बजाए और बिगड़ जाता है। उसे दंड के तौर पर काम करने के लिए दें। उसे एक निश्चित समय में दिए गए काम को खत्म करने के लिए कहें। इससे बच्चे पर प्रेशर रहेगा और वह अनुशासनात्मक तरीके से रहना सीखेगा।
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4 साल का बच्चा
बच्चे का व्यवहार : अमूमन इस उम्र के बच्चे स्कूल जाने लगते हैं। चार साल का बच्चा अन्य एक्टिविटी के साथ बहुत कुछ सीखने के लिए उत्सुक होता है। उसे क्या पसंद है क्या नहीं, वह ये सब बता सकता है। बच्चे को अभी भी सही और गलत का पता नहीं होता है। बच्चा सच्चाई को अपने निजी विचारों के आधार पर मोड़ भी देता है, जो कि सरासर गलत है। उसे नहीं पता होता है कि वह झूठ बोल रहा है।
बच्चे को अनुशासन कैसे सिखाएं (How to teach discipline to children?): बच्चे की एक्टिविटी पर नजर बनाए रखें। अगर वह खेलने बाहर जाना चाहता है तो उसे रोकें नहीं, बल्कि उसके साथ खुद भी जाएं। वहां पर देखें कि आपके बच्चे का व्यवहार दूसरे बच्चों के लिए कैसा है। अगर कभी बच्चा बाहर जाने की ज्यादा जिद करे तो उसे प्यार से समझाएं। अगर तब बी ना माने तो थोड़ा सख्त हों। बच्चा अगर झूठ बोले तो उसे समझाएं कि उसने क्या बोला है? इसके अलावा अगर उसने कोई गलती की है तो उसे सुधारने के लिए कहें।
5 साल का बच्चा
बच्चे का व्यवहार : इस उम्र के बच्चे मानसिक रूप से परिपक्व होते हैं। उन्हें ज्यादातर बातों का परिणाम और अपनी सीमाएं पता होती हैं। लेकिन, वह इतने उत्तेजक प्रवृत्ति के होते है कि वे सीमाओं से बाहर जाने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा मना करने पर उनका रवैया उग्र हो जाता है।
बच्चे को अनुशासन कैसे सिखाएं (How to teach discipline to children?): इस उम्र में बच्चे को मार्क देना उसकी कमियां बताने का सबसे अच्छा तरीका है। आप रोज सुबह उठ कर एक पेज पर तीन स्माइली बना दें। इसके बाद बच्चे से कहें कि अगर वह शैतानी या जिद करता है तो इसमें से एक स्माइली कम हो जाएगी। साथ ही अगर उसने कोई भी शैतानी नहीं की तो आप उसे एक स्माइली देंगे। अगर हफ्ते की छह या सात स्माइली मिली तो उसे उसकी पसंदीदा जगह ले जाएंगे या उसका फेवरेट फूड खिलाएंगे। ऐसा करने से बच्चा धीरे-धीरे अनुशासित हो जाता है।
6 से 7 साल के बच्चे
बच्चे का व्यवहार : छह और सात साल के उम्र के बच्चों का व्यवहार लगभग एक समान होता है। वह खुद को स्कूल में बहुत कुछ सीखने के काबिल बना चुका होता है। बच्चा चाहता है कि लोग उसके साथ बड़ों जैसा व्यवहार करे। लेकिन, ऐसा ना करने पर वह निराश महसूस करते हैं। बच्चा कोई भी काम करने के लिए उत्सुक होता है।
बच्चे को अनुशासन कैसे सिखाएं (How to teach discipline to children?) : बच्चे को उसके छोटे बड़े काम के लिए प्रोत्साहित करें। इसके साथ ही पांच साल की उम्र में की गई स्माइली मार्किंग जारी रखें। उदाहरण के तौर पर अगर बच्चे ने अपना कमरा साफ रखा है या बैग अच्छे से पैक किया है तो उसकी तारीफ करें। इससे उसमें आत्मविश्वास पैदा होता है। साथ ही उसमें अनुशासन अपने आप आने लगता है।
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8 से 10 साल तक के बच्चे
बच्चे का व्यवहार : आठ से दस साल तक के बच्चे सामाजिक होने लगते हैं। उनके अपने दोस्त बनते हैं और स्कूल में दोस्तों का समूह बना लेते हैं। बच्चे बड़ों से प्रेरित भी होते हैं। लेकिन, अपनी बात मनाने के लिए जिद भी करते हैं। इसके अलावा वह सही और गलत में अंतर करना भी सीख जाते हैं।
बच्चे को अनुशासन कैसे सिखाएं (How to teach discipline to children?) : इस उम्र के बच्चों के साथ पैरेंट्स को एक हेल्दी बातचीत करनी चाहिए। इससे उनमें आपसे बातें शेयर करने की प्रवृत्ति बनेगी। उनसे उनकी समस्याएं पूछें जिनका वे समाज में सामना करते हैं। अगर वह कोई गलती करते हैं तो उन्हें समझाएं कि वह माफी मांगें। बच्चे के अहम (Ego) को ठेस ना पहुंचे इसलिए उसे बताएं कि “माफी मांगना अच्छी बात हैं, इससे कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है।”
11 से 12 साल के बच्चे
बच्चे का व्यवहार : इस उम्र के बच्चे टीनएज (Teenage) के होने वाले रहते हैं। इनके लिए बहुत कुछ नया होने वाला होता है। इसके साथ ही इनके व्यवहार में बदलाव भी नजर आता है। जिससे वह खुद को बड़ा समझने लगते हैं। वहीं, इनके झूठ बोलने में भी इजाफा होता है।
बच्चे को अनुशासन कैसे सिखाएं (How to teach discipline to children?): इस उम्र में माता-पिता को बच्चे के साथ मित्र जैसा व्यवहार करना शुरू करें। ऐसा करने से आप बच्चे का भरोसा जीत सकेंगे। बच्चे आपको अपने साथ होने वाले बदलाव के बारे में बताएंगे। जिससे उनका उग्र व्यवहार कम होगा। साथ ही बच्चे का सम्मान करें और उसे बड़ों का सम्मान करना सिखाएं। उसे समझाएं कि बड़पन अकड़ दिखाने में नहीं है, बल्कि सौम्य व्यवहार रखने में हैं। इसलिए हमेशा सबसे अच्छे से पेश आए।
इन सभी उम्र के बच्चों के साथ पैरेंट्स को गुस्सा नहीं करना चाहिए, बल्कि नम्रता से पेश आना चाहिए। क्योंकि, बच्चे प्यार के भूखे होते हैं और प्यार से समझायी गई हर बात को अच्छे से समझते हैं। कभी भी गुस्से से बच्चे को अवुशासन ना सिखाएं, वरना उनका व्यवहार उग्र हो सकता है।
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