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Helicobacter Pylori Infection: हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन क्या है?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 31/01/2022

Helicobacter Pylori Infection: हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन क्या है?

परिचय

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन (Helicobacter Pylori Infections) क्या है?

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी एक तरह का बैक्टीरिया है। यह रोगाणु शरीर में प्रवेश करता है और मनुष्य के पाचन तंत्र में रहता है। इससे पेट में इन्फेक्शन हो सकता है। कई सालों के बाद यह अल्सर का कारण भी बन सकता है। यही नहीं, आगे चल इससे पेट का कैंसर होने की संभावना भी बढ़ सकती है। यह इन्फेक्शन छोटी उम्र के बच्चों को भी हो सकता है और यह इंफेक्शन दुनिया की आधी आबादी में मौजूद होता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लोगों को इस बात का पता भी नहीं होता कि उन्हें हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन (Helicobacter Pylori Infections) है और न ही वो इसकी वजह से बीमार होते हैं। अगर किसी व्यक्ति में पेप्टिक अल्सर के लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर आपको हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन के टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। इसके उपचार के लिए एंटीबायोटिक दवाएँ दी जा सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस बात की सही से जानकारी नहीं है कि यह इंफेक्शन कैसे फैलता है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह पानी और भोजन के अलावा संक्रमित व्यक्ति की लार और शरीर के अन्य तरल पदार्थों से फैल सकता है।

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लक्षण

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन के क्या लक्षण हैं? (Symptoms of Helicobacter Pylori Infections)

ऐसा माना जाता है कि इस संक्रमण से पीड़ित लोगों में से 85 प्रतिशत लोगों को इसके लक्षणों के बारे में पता नहीं चलता। हालांकि, इस संक्रमण के लक्षण इस प्रकार हैं:

पेट में अलसर के लक्षण

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन से पीड़ित लोगों में से 10-20 प्रतिशत लोगों में पूरी उम्र पेट का अलसर होने की संभावना रहती है। गैस्ट्रिक या पेप्टिक अलसर होने पर आमतौर पर पेट में दर्द होती है। इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  • काले रंग का मल
  • मल में खून
  • थकावट
  • सांस लेने से समस्या
  • बेहोशी
  • खून की उल्टियां

पेट के कैंसर

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन का सबसे सामान्य जोखिम पेट के कैंसर से जुड़ा होता है। केवल यह इंफेक्शन ही पेट के कैंसर का कारण नहीं होता बल्कि अगर किसी के परिवार में अन्य व्यक्ति को यह समस्या हो, मोटापा, धूम्रपान या खानपान भी इस समस्या का कारण हो सकते हैं। इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

  • लगातार कमजोरी या थकावट
  • भोजन के बाद पेट का फूलना
  • मतली और उल्टी
  • निगलने में समस्या होना
  • डायरिया या कब्ज
  • मल में खून
  • अधिक वजन का कम होना
  • खून की उल्टी

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कारण

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन के क्या कारण हैं? (Cause of Helicobacter Pylori Infections)

  • इस बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है कि हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन का कारण क्या है या यह कैसे फैलता है। यह इंफेक्शन एक व्यक्ति के मुंह से दूसरे व्यक्ति के मुंह तक फ़ैल सकता है। 
  • यह मल के माध्यम से भी मुंह तक जा सकता है। ऐसा तब हो सकता है जब कोई व्यक्ति बाथरूम का उपयोग करने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से नहीं धोता है। 
  • यह इंफेक्शन दूषित पानी या भोजन के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
  • यह संक्रमण लार, उल्टी या मल के सीधे संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पारित किया जा सकता है।
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जोखिम

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन के क्या जोखिम हैं? (Risk factor of Helicobacter Pylori Infections)

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन आमतौर पर बचपन में या छोटी उम्र से शुरू हो सकता है। यह इंफेक्शन उन लोगों को होने की संभावना अधिक रहती है जो लोग अपना बचपन निम्नलिखित स्थितियों में गुजारते हैं:

  • भीड़ में रहना : यह रोग होने की संभावना उन लोगों को होने की अधिक रहती है, जो लोग अधिक लोगों या भीड़ वाली जगह पर रहते हैं।
  • दूषित पानी: अगर कोई व्यक्ति ऐसा जगह रहता है जहां उसे साफ़ पानी नहीं मिलता है, तो इससे भी यह इंफेक्शन होने का जोखिम बढ़ जाता है।
  • विकासशील देश में रहना : जो लोग विकासशील देश में रहते हैं जहां भीड़ है, सफाई आदि नहीं होती जहां लोगों का लाइफस्टाइल गंदा होता है, उनमे भी यह जोखिम बढ़ जाता है।
  • ऐसा व्यक्ति के साथ रहने से जिन्हे पहले से ही यह संक्रमण है, यह रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

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उपचार

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन का उपचार क्या है? (Treatment forHelicobacter Pylori Infections)

अगर आपको हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन है तो सबसे पहले डॉक्टर आपसे इसके लक्षण आदि के बारे में पूछेंगे। यही नहीं, डॉक्टर आपका पेट का कैंसर होने का टेस्ट करा सकते हैं। इसके अलावा आपको निम्नलिखित टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है।

  • शारीरिक जांच
  • एनीमिया के बारे में जानने के लिए ब्लड टेस्ट (Blood Test)
  • फेकल ब्लड टेस्ट, जिसमे आपके मल की जांच की जाती है।
  • एंडोस्कोपी
  • बायोप्सी, जब डॉक्टर आपके पेट से टिश्यू का एक छोटा टुकड़ा लेते हैं, ताकि कैंसर की जांच की जा सके। एंडोस्कोपी के दौरान डॉक्टर आपका यह टेस्ट करा सकते हैं।
  • टेस्ट जो आपके शरीर के अंदरूनी हिस्सों की विस्तृत तस्वीरें लेते हैं, जैसे कि सीटी स्कैन (CT scan) या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI)।
  • ब्रेथ टेस्ट

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन का उपचार एक साथ दो विभिन्न एंटीबायोटिक्स के साथ किया जाता है।

आपके डॉक्टर आपके स्टमक लाइनिंग को ठीक करने में मदद करने के लिए एक एसिड-सप्प्रेसिंग दवा को भी दे सकते हैं।

एसिड सप्प्रेसिंग करने वाली दवाओं में शामिल हैं:

  • प्रोटोन पंप इन्हिबिटर्स (PPIs)- ये दवाएं पेट में एसिड बनने से रोकती हैं। PPIs के कुछ उदहारण है

    ओमेप्राज़ोल (omeprazole), इसोप्राजोल (esomeprazole ), लानसोप्राज़ोल (lansoprazole), पैंटोप्राज़ोल (pantoprazole)

  • हिस्टामिन (H-2) ब्लॉकर्स- ये दवाएं हिस्टामिन नामक पदार्थ को रोकती हैं, जो एसिड उत्पादन को ट्रिगर करता है। इसका एक उदाहरण सिमेटिडिन है।
  • बिस्मथ सबसालिसिलेट- यह दवा अल्सर को कोटिंग करके पेट के एसिड से बचाने का काम करती है।

आपका डॉक्टर सुझाव दे सकता है कि आप अपने इलाज के कम से कम चार सप्ताह बाद हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन के लिए फिर से टेस्ट करवाएं। अगर आपके टेस्ट यह दिखाते हैं कि उपचार असफल है, तो आपको फिर से एंटीबायोटिक दवाईयों का विभिन्न सयोंजन दिया जा सकता है।

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घरेलू उपचार

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन का घरेलू उपचार क्या है? (Home remedies for Helicobacter Pylori Infections)

  • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए बाथरूम का प्रयोग करने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाना खाने से पहले अपने हाथों को धोना न भूलें।
  • अगर पानी और भोजन साफ़ नहीं है तो इसे न खाएं या पीएं।
  • ऐसी किसी चीज़ को न खाएं जिसे अच्छे से न पकाया गया हो।
  • ऐसा लोगों से भोजन या खाने की कोई भी चीज़ न लें जिनके हाथ अच्छे से धुले न हों।
  • साफ़-सफाई का खास ध्यान रखें।
  • कैफीन युक्त आहार, एसिडिक भोजन या कार्बोनेटेड पेय पदार्थों का सेवन करने से बचे। अधिक फाइबर युक्त फल या सब्जियों, सादे चिकन या मछली या दही जैसे आहारों का सेवन करे।
  • भरपूर पानी पीएं इससे पेट में एसिड बनने की समस्या कम होगी।
  • रोजाना कसरत करें इससे आपका एनर्जी लेवल रहेगा।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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