के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
कान का संक्रमण तब होता है जब वायरस या बैक्टीरिया के कारण ईयरड्रम के पीछे सूजन पैदा हो जाता है। यह समस्या बच्चों में आम है। कान के संक्रमण को ओटिटिस मीडिया (otitis media) भी कहा जाता है। कान के इंफेक्शन की समस्या आमतौर पर सर्दियों के मौसम में या वसंत ऋतु की शुरुआत में होता है।
हालांकि कभी-कभी कान का इंफेक्शन बिना किसी दवा के ही ठीक हो जाता है। लेकिन यदि कान में दर्द लगातार बना हो या व्यक्ति को बुखार हो तो कान के संक्रमण का इलाज कराना जरुरी होता है। अगर समस्या जद से बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
और पढ़ें : Ruptured eardrum: कान के पर्दे में छेद के लक्षण, कारण और इलाज
कान का संक्रमण एक आम समस्या है। ये महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। पूरी दुनिया में लाखों लोग कान के संक्रमण से पीड़ित हैं। यह समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। आमतौर पर 3 साल की उम्र तक के 80 प्रतिशत बच्चे कान के इंफेक्शन से पीड़ित होते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
कान के संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति को कान में दर्द सहित अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। समय के साथ कान के संक्रमण के कारण ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से कुछ समय के लिए कान में तेज खुजली महसूस होती है।
और पढ़ें : Cauliflower ear: कॉलीफ्लॉवर इयर क्या है?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। कान के संक्रमण के लक्षण यदि एक दिन से अधिक रहते हैं या ये लक्षण 6 महीने की उम्र से कम के बच्चे में दिखायी देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
इसके अलावा कान में गंभीर दर्द होने या पस निकलने पर भी तत्काल इलाज कराना जरुरी है। हर किसी के शरीर पर कान का संक्रमण अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें।
और पढ़ें : कान में फंगल इंफेक्शन के कारण, कैसे किया जाता है इसका इलाज ?
कान का संक्रमण मिडिल ईयर में बैक्टीरियम या वायरस के इंफेक्शन के कारण होता है। यह इंफेक्शन आमतौर पर सर्दी, फ्लू, एलर्जी जैसी समस्याओं के कारण होता है जिससे नाक, गले और यूस्टेशियन ट्यूब में सूजन हो जाती है। बच्चों में कान का संक्रमण कई कारणों से होता है। बच्चों का श्वसन तंत्र पहले से ही संक्रमित होता है और फिर कान में भी इंफेक्शन हो जाता है। बच्चों के कान में बैक्टीरिया फ्लूइड के रुप में विकसित होते हैं जिससे कान में दर्द और संक्रमण की समस्या हो जाती है।
और पढ़ें : Tinnitus: कान में आवाज आना हो सकता है खतरनाक, इसे न करें नजरअंदाज
कान के संक्रमण के कारण रेयर ही कोई समस्या होती है। लेकिन यदि कान में इंफेक्शन बार-बार होता है तो इसके कारण गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। संक्रमण कान की हड्डियों में फैल सकता है। साथ ही मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड में भी संक्रमण हो सकता है। कुछ लोगों को बहरापन हो सकता है जो कभी ठीक नहीं हो सकता है। इसके अलावा कान के संक्रमण के कारण ईयरड्रम टूट सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
और पढ़ें : जानिए क्यों होती है आपके कान में खुजली?
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
कान के संक्रमण का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का स्वास्थ्य इतिहास भी देखते हैं। इसके बाद डॉक्टर ओटोस्कोप से मरीज के ईयरड्रम में लालिमा, सूजन, पस और फ्लूइड की जांच करते हैं। इस समस्या को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
बच्चों के कान में फ्लूइड जमा होने या इंफेक्शन होने पर ऑडियोलॉजिस्ट कान की जांच करते हैं। साथ ही स्पीच थेरेपिस्ट और डेवलपमेंटल थेरेपिस्ट मरीज के सुनने की क्षमता, स्पीच और लैंग्वेज टेस्ट करते हैं।
कान के संक्रमण के इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं। कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में कान के संक्रमण के असर को कम किया जाता है। कान के संक्रमण के इलाज के लिए दो तरह की मेडिकेशन की जाती है :
इसके अलावा मरीज को एंटीबायोटिक और बुखार की दवाएं दी जाती हैं जिससे कान का इंफेक्शन खत्म हो जाता है। साथ ही जीवनशैली में बदलाव करने से भी इसका जोखिम कम होता है। अगर कान का इंफेक्शन बहुत गंभीर हो चुका हो तो कान की सर्जरी एक मात्र विकल्प बचा रहता है।
और पढ़ें : हवाई यात्रा में कान दर्द क्यों होता है, जानें कैसे बचें?
अगर आपको कान का संक्रमण है तो आपके डॉक्टर साफ सफाई और अच्छी आदतें अपनाने की सलाह देंगे। साथ ही अपने हाथों को अच्छी तरह साफ करने, खाने और पीने का बर्तन दूसरों से शेयर न करने की सलाह भी देंगे। इसके अलावा आपको धूम्रपान नहीं करना चाहिए और बच्चे को शुरूआत के 6 महीनों तक बॉटल से दूध नहीं पिलाना चाहिए। इस समस्या से बचने के लिए सभी जरूरी टीके लगवाना चाहिए।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।