के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj
डेंगू जिसे डेंगी भी कहते हैं, एडीज मच्छर के काटने के कारण होता है। एडीज मच्छर जमे हुए पानी जैसे कूलर में जमा हुआ पानी, गमलों में जमा हुआ पानी या अन्य कोई ऐसी जगह पर पनप सकते हैं। ऐसी जगह डेंगू का खतरा ज्यादा होता है। बच्चे हों या बड़े यह एडीज मच्छर के कारण होता है। कई बार यह बुखार ज्यादा खतरनाक साबित नहीं होता लेकिन, कई बार यह जानलेवा भी हो सकता है। हालांकि आजकल बच्चों में भी डेंगू के मामले ज्यादा देखे जाने लगे हैं। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंफेक्सियस डिजीज के रिसर्च के अनुसार 1000 बच्चों में 49.5 बच्चों को डेंगू की बीमारी होती है।
बच्चों में डेंगू की बढ़ती परेशानियों के कारण माता-पिता की भी परेशानियां बढ़ जाती हैं। ऐसे में बच्चों के पेरेंट्स को इससे काबू पाने का तरीका जरूर आना चाहिए। बच्चों में डेंगू के लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है समझने की कोशिश करते हैं।
बच्चों में डेंगू के लक्षण निम्नलिखित हैं:
डेंगू बुखार इंग्लिश में बोन ब्रेक फीवर भी कहा जाता है। दरअसल इस बुखार से शरीर की हड्डियां तो नहीं टूटतीं लेकिन, अत्यधिक तेज दर्द जरूर महसूस किया जा सकता है। आइये जानते हैं बच्चों में डेंगू के लक्षण क्या हैं?
बच्चों में डेंगू ऊपर बताये लक्षण होने पर सतर्क हो जाएं। वैसे ये साधारण लक्षण होते हैं लेकिन, बच्चों में डेंगू के निम्नलिखित लक्षण होने पर हेल्थ एक्सपर्ट से मिलना बेहतर विकल्प होगा।
ये लक्षण बच्चों में डेंगू के अत्यधिक बढ़े हुए स्टेज को दर्शाता है।
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बच्चों में डेंगू का खतरा निम्नलिखित कारणों से बढ़ सकता है। जैसे-
ऐसे इलाके जहां गर्मी ज्यादा होती है (ट्रॉपिकल रीजन) वहां के लोगों को और बच्चों में डेंगू का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे इलाके जैसे साउथईस्ट एशिया, वेस्टर्न पेसिफिक आइलैंड या लैटिन अमेरिका जैसे शहरों के ओर अगर ट्रेवल कर रहें हैं तो बच्चों का विशेष ख्याल रखें।
बच्चों को डेंगू अगर पहले हो चूका है, तो ऐसे सिचुएशन में बच्चों की देखरेख पर ज्यादा ध्यान दें। लक्षण समझ आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
हेल्थ एक्सपर्ट आप से बच्चों के हेल्थ से जुड़ी कई प्रश्न पूछ सकते हैं। जिसमें हाल ही में की गई यात्रा (बच्चों के साथ कहीं किसी बाहर के ट्रिप पर गयें हों) जैसे लक्षण-संबंधित प्रश्न शामिल होंगे। आपके रक्त परीक्षण से डेंगू के वायरस की पहचान की जा सकती है। डॉक्टर ब्लड की पूरी तरह से जानकारी की सलाह भी देते हैं। जिससे इस बात का अंदाजा मिल सके कि वायरस आपके बच्चे पर कितनी गंभीरता से असर कर रहा है , यही वायरस ब्लड प्लेटलेट्स को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। इसलिए बच्चों में डेंगू के लक्षण समझ आने पर जल्द से जल्द इस बुखार का इलाज शुरू की जा सकती है।
डेंगू की जानकारी मिलने के बाद ब्लड टेस्ट से तीन चीजें समझी जाती हैं। NS1 एंटीजन टेस्ट, एक सप्ताह के अंदर किया जाता है। जब पेशेंट में लक्षण दिखाना शुरू हो जाते हैं। बच्चे के इम्यून सिस्टम डेंगू इंफेक्शन से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है, ये एंटीबॉडी दूसरे सप्ताह से ब्लड टेस्ट में दिखाई देने लगते हैं। तीसरी और शायद सबसे जरुरी बात जो इस टेस्ट से पता चलती है वह है, डेंगू टेस्ट प्लेटलेट काउंट, यह आमतौर पर बीमारी की शुरुआत से तीसरे सप्ताह में किया जाता है। अस्पताल में डॉक्टर आपके बच्चे के ब्लड प्रेशर और ब्लड प्लेट्सलेट्स पर भी नजर बनाये रखते हैं। बच्चों में डेंगू होने पर ब्लड टेस्ट 2 से 3 दिनों के अंतराल फिर से की जा सकती है। बच्चों में डेंगू के इलाज के दौरान उनके शरीर में पानी की कमी न होने दें और उन्हें ज्यादा से ज्यादा आराम की सलाह दें।
बच्चों में डेंगू होने पर परेशान न हो जल्द से जल्द इसके लक्षणों को समझें और खुद से इस्लाज न करें। अगर आप बच्चों में डेंगू से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
नोट : नए संशोधन की डॉ. प्रणाली पाटिल द्वारा समीक्षा
डिस्क्लेमर
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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड
Dr. Pooja Bhardwaj