
अल्जाइमर और डिमेंशिया ये दोनों ही याददाशत से जुड़ी बीमारियां हैं और यही वजह है कि लोग अक्सर इन्हें एक ही समझ बैठते हैं। लेकिन अल्जाइमर और डिमेंशिया में अंतर हैं। यह अंतर भले ही बहुत बारीक है, लेकिन इसे एक नहीं कहा जा सकता। अल्जाइमर और डिमेंशिया में अंतर को समझने के लिए पहले आपको दोनों बीमारियों को समझना होगा।
डिमेंशिया क्या है?
सबसे पहली बात तो यह कि डिमेंशिया कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक सिंड्रोम हैं। यानी एक ऐसी मानसिक अवस्था, जिसमें व्यक्ति की सोचने, समझने, तर्क करने और निर्णय लेने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होने लगती है। उसे रोजमर्रा के ऐसे काम करने में भी दिक्कत होने लगती है जो वह बरसों से करता आया है, क्योंकि वह चीजें भूलने लगता है। डिमेंशिया कई वजहों से हो सकता है और इसमें से एक वजह अल्जाइमर भी है। यानी डिमेंशिया का दायरा बड़ा है और अल्जाइमर बीमारी इसके अंतर्गत आती है। अल्जाइमर के अलावा डिमेंशिया के अन्य और भी कई कारण हो सकते हैं:
- वास्कुलर कॉग्निटिव इंपेयरमेंट
- डिमेंशिया विद लेवी बॉडीज
- फ्रन्टोटेम्पोरल डिमेंशिया
- पार्किंसन डिजीज
- हन्टिगन्स डिजीज
- एचआईवी
- ब्रेन इंजरी
- स्ट्रोक
- डिप्रेशन
अल्जाइमर क्या है?
यह भूलने की एक बीमारी है। जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे न सिर्फ चीजों को भूलने लगता है, बल्कि वह सही निर्णय भी नहीं ले पाता। उसे बोलने में समस्या होने लगती है। यानी बोलते-बोलते वह शब्द भूल जाता है और एडवांस स्टेज में पहुंचने पर पीड़ित अपने परिवारवालों को भी नहीं पहचान पाता। एक आंकड़े के मुताबिक, देश में करीब 16 लाख लोग अल्जाइमर से पीड़ित है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी इस बीमारी को लोग आमतौर पर शुरुआत में बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं, इसलिए बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। अल्जाइमर का कोई स्थाई इलाज नहीं है, यानी किसी भी तरह के उपचार से इस बीमारी से मरीज पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता है। डिमेंशिया के लक्षण किस वजह से दिख रहे हैं इसकी जांच के लिए डॉक्टर कई टेस्ट के द्वारा कर सकता है, जिसमें शामिल हैं:
- ब्लड टेस्ट
- मानसिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन
- ब्रेन स्कैन (सिर्फ कुछ मामलों में)
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अल्जाइमर और डिमेंशिया में मुख्य अंतर
दरअसल, यह दोनों ही मस्तिष्क व याददाशत से जुड़ी अवस्था है इसलिए अक्सर लोग दोनों को एक ही समझ लेते हैं यानी भूलने की बीमारी। मगर वास्तव में ऐसा नहीं हैं। अल्जाइमर डिमेंशिया का एक प्रकार है। डिमेंशिया में कई बीमारियां शामिल हैं, जिसमें से अल्जाइमर भी एक है। किसी भी अन्य बीमारी की तरह ही अल्जाइमर भी तीन चरणों में होता है।
- पहली स्टेज में पीड़ित रोजर्मरा के काम और चीजे भूलता है, लेकिन दोस्तों व रिश्तेदारों को पहचान सकता है।
- बीमारी के दूसरे चरण में पीड़ित की याददाशत जाने लगती है और दूसरे लक्षण दिखने लगते हैं।
- तीसरे चरण में व्यक्ति की हालत बहुत बिगड़ जाती है वह अपनों को भी पहचान नहीं पाता और कई बार तो वह अपना दर्द भी बयां नहीं कर पाता है। उसका खुद पर कंट्रोल ही नहीं रहता।
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अल्जाइमर और डिमेंशिया के लक्षण
अल्जाइमर और डिमेंशिया के लक्षण एक जैसे हो सकते हैं, लेकिन उनमें थोड़ी भिन्नता भी हो सकती है। दोनों ही स्थितियों में यह समस्याएं होती हैः
- सोचने की क्षमता कम होना
- याददाशत कम होना
- बात करने में दिक्कत
अल्जाइमर के लक्षणों में शामिल हैं:
- हाल ही में किसी से बातचीत या घटना को भूल जाना
- उदासीन होना
- डिप्रेशन
- सही निर्णय नहीं ले पाना
- व्यवहार में बदलाव
- भ्रम की स्थिति
- भटकाव
- एडवांस स्टेज में बोलने, निगलने और चलने में दिकक्त होना
डिमेंशिया के कुछ प्रकारों में इन लक्षणों में से कुछ दिखाई दे सकते हैं। लेवी बॉडी डिमेंशिया और पार्किंसन डिसीज के कारण होने वाले डिमेंशिया के लक्षणों में थोड़ी भिन्नता हो सकती है।
अल्जाइमर का मस्तिष्क पर असर
अल्जाइमर के लक्षण दिखने के पहले ही यह मस्तिष्क को क्षति पहुंचाना शुरू कर देता है। अल्जाइमर पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क में प्लैक्स और टैंगल्स से निकलने वाले असामान्य प्रोटीन जमा होते जाते हैं। मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच का संबंध टूट जाता है और वे डैमेज होने लगती हैं। एडवांस स्टेज में मस्तिष्क असामान्य रूप से सिकुड़ने लगता है। किसी व्यक्ति को अल्जाइमर है या नहीं इसका 100 फीसदी सटीक निदान संभव नहीं है। सटीक निदान के लिए ऑटोप्सी की जाती है और विशेषज्ञ डॉक्टर इस तरीके से 90 प्रतिशत तक सटीक निदान करते हैं।
अल्जाइमर और डिमेंशिया का उपचार
अल्जाइमर का कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों का उपचार करके मरीज को राहत दी जा सकती है। जैसे:
- पीड़ित के व्यवहार में होने वाले बदलावों का उपचार करना।
- याददाशत कमजोर होने से रोकने के लिए दवाइयां देना।
- वैकल्पिक उपचार जिससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली ठीक तरह से चले, जैसे नारियल तेल या फिश ऑयल का इस्तेमाल।
- नींद की समस्या के लिए दवा।
- डिप्रेशन का इलाज।
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डिमेंशिया का उपचार
कुछ मामलों में डिमेंशिया के लिए जिम्मेदार कारणों का उपचार करके स्थिति में सुधार हो जाता है। डिमेंशिया के लिए जिम्मेदार कारण जिनका आमतौर पर उपचार किया जा सकता है, में शामिल हैः
- ड्रग्स का उपयोग
- ट्यूमर
- मेटाबॉलिक डिसऑर्डर
- हाइपोग्लाइसेमिया
सही उपचार से डिमेंशिया की समस्या खत्म हो सकती है। आमतौर पर डिमेंशिया का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि डिमेंशिया किस वजह से हुआ है, जैसे- यदि इसका कारण पार्किंसन रोग है, तो डॉक्टर उपचार के लिए कोलेनिस्टरेज इनहिबिटर का उपयोग करते हैं जिसका इस्तेमाल अल्जाइमर के इलाज में भी होता है। जबकि वास्कुलर डिमेंशिया के उपचार में इस बात पर फोकस किया जाता है कि मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को अधिक नुकसान न पहुंचे और स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सके।
डिमेंशिया पीड़ित व्यक्ति को घर पर सही देखभाल की ज़रूरत होती है ऐसे में एक व्यक्ति हमेशा उनकी मदद के लिए होना चाहिए।
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अल्जाइमर और डिमेंशिया के जोखिम को कम करने के उपाय
यह दोनों ही मस्तिष्क से जुड़ी अवस्था है, इसलिए इससे पूरी तरह तो बचा नहीं जा सकता, लेकिन हां कुछ उपाय करके आप इसके जोखिम को जरूर कम कर सकते हैं।
दिमाग को एक्टिव रखें– हमेशा नई-नई चीजें सीखते रहिए। चाहे वह कोई काम हो, स्किल या नई भाषा। दिमाग को हमेशा व्यस्त रखना और सकारात्मक तरीके से सोचना जरूरी है। इससे आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
हेल्दी डायट- साबूत अनाज, ताजे फल, सब्जियां और ड्राई फ्रूट्स को डायट में शामिल करें। एक रिसर्च के मुताबिक, हल्दी और नारियल तेल का सेवन मस्तिष्क में नई कोशिकाओं को बनने में मदद करता है।
वजन संतुलित रखें- यदि आपका वजन बढ़ रहा है तो डायट और एक्सरसाइज से उसे बैलेंस रखने की कोशिश करें।
एक्सरसाइज है जरूरी- शरीर और मस्तिष्क दोनों को स्वस्थ रखने के लिए डेली एक्सरसाइज जरूरी है। मन को शांत रखने के लिए मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं।
स्मोकिंग से परहेज- स्मोकिंग और किसी भी अन्य रूप में तंबाकू के सेवन से परहेज करें।
उम्मीद है कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और अल्जाइमर और डिमेंशिया में अंतर के बारे में जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल है, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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