बीमारियों की दस्तक कई परेशानियों को साथ लाती है। कुछ बीमारी ऐसी होती है कि लोग खाना-पीना भी ठीक तरह से नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है, जो बीमारी को बढ़ाने में सहायक हो जाती है, लेकिन बढ़ती मेडिकल टेक्नोलॉजी में लोगों को गैस्ट्रोस्टॉमी (Gastrostomy) के माध्यम से न्यूट्रिशन की पूर्ति की जाती है। क्या है गैस्ट्रोस्टॉमी (Gastrostomy) और कब पड़ती है इसकी जरूरत आज इसी से जुड़ी पूरी इन्फॉर्मेशन आपके साथ शेयर करेंगे।
गैस्ट्रोस्टॉमी क्या है और गैस्ट्रोस्टॉमी की जरूरत कब पड़ती है?
गैस्ट्रोस्टॉमी के पहले किन-किन बातों का ध्यान रखें?
गैस्ट्रोस्टॉमी के दौरान क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है?
गैस्ट्रोस्टॉमी के रिस्क फैक्टर क्या हैं?
डॉक्टर से कब कंसल्ट करना चाहिए?
चलिए अब गैस्ट्रोस्टॉमी (Gastrostomy) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
गैस्ट्रोस्टॉमी (Gastrostomy) क्या है और गैस्ट्रोस्टॉमी की जरूरत कब पड़ती है?
गैस्ट्रोस्टॉमी को मेडिकल टर्म में फीडिंग ट्यूब (Feeding Tube) भी कहते हैं। फीडिंग ट्यूब एक डिवाइस है, जिसे स्टमक से होते हुए एब्डॉमेन में इन्सर्ट किया जाता है। इस फीडिंग ट्यूब की सहायता से वैसे पेशेंट को न्यूट्रिशन पहुंचाया जाता है, जिन्हें खाने में तकलीफ होती है। फीडिंग ट्यूब इंसर्शन (Feeding Tube Insertion) को परक्यूटेनियस इंडोस्कोपिक गैस्ट्रोस्टॉमी (PEG), एसोफेगोगैस्ट्रोड्युडेनोस्कोपी (EGD) और जी-ट्यूब इंसर्शन (G-tube insertion) भी कहा जाता है।
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार गैस्ट्रोस्टॉमी की आवश्यकता तभी पड़ सकती है, जब व्यक्ति को खाने में तकलीफ हो और इसकी जरूरत निम्नलिखित स्थितियों में पड़ सकती है। जैसे:
मुंह या एसोफैगस से जुड़ी एब्नॉर्मलटी होने पर।
खाना निगलने या खाने में अत्यधिक कठिनाई होना।
अगर सामान्य तरीके से शरीर को न्यूट्रिशन या फ्लूइड की पूर्ति ना हो।
अब अगर आपके मन में यह विचार आ रहा है कि ऐसी स्थिति कब पैदा हो सकती है, तो इसका नीचे दी गई बीमारियों के शिकार होने पर गैस्ट्रोस्टॉमी (Gastrostomy) की मदद ली जा सकती है। जैसे:
इन बीमारियों के होने पर इलाज तो की ही जाती है, लेकिन इस दौरान फीडिंग ट्यूब इंसर्शन (Feeding Tube Insertion) से पेशेंट को न्यूट्रिशन की पूर्ति की जाती है, जिससे बीमारी से लड़ने की शमता बढ़ जाती है।
नोट: अगर इन ऊपर बताये बीमारियों में से कोई भी बीमारी के शिकार हैं, तो इलाज में लापरवाही ना बरतें क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही किसी बड़ी शारीरिक परेशानी (Physical Illness) या मानसिक परेशानी (Mental Illness) बढ़ सकती है। इसलिए अगर कोई भी बीमारी (Health Condition) आपके शरीर में अपना आशियाना ढूढ़ ले तो उसे समझदारी, अच्छी देखरेख और डॉक्टर द्वारा दी गई जानकारियों का पालन करें और बीमारी को दूर करें।
गैस्ट्रोस्टॉमी के दौरान क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है? (Process of Gastrostomy)
गैस्ट्रोस्टॉमी के दौरान निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है। जैसे:
मेडिसिन (Medication) और इंजेक्शन (Injection) दी जाती है।
फीडिंग ट्यूब इंसर्शन के दौरान तकलीफ महसूस ना हो, इसलिए एनेस्थीसिया (Anesthesia) दी जाती है।
एंडोट्रेकियल ट्यूब (Endotracheal Tube) को गले से सांस लेने वाली नली में पहुंचाया जाता है, जिससे सर्जरी के वक्त पेशेंट आसानी से सांस ले सकें।
गैस्ट्रोस्टॉमी के दौरान एक और ट्यूब मुंह (Mouth) या नाक (Nose) से पेट (Stomach) तक डाला जाता है। इस ट्यूब को नैसगैस्ट्रिक ट्यूब (Nasogastric Tube) कहते हैं। इस ट्यूब (Tube) की सहायता से पेट में मौजूद लिक्विड को निकाला जाता है।
फीडिंग ट्यूब इंसर्शन (Feeding Tube Insertion) के बाद तब तक लगा रहता है, जबतक पेशेंट ठीक से खाना शुरू ना कर दें। वहीं फीडिंग ट्यूब (Feeding Tube) दो अलग-अलग तरह के होते हैं। एक शॉर्ट टर्म के लिए लगाया जाता है और दूसरा हमेशा के लिए लगाई जाती है।
नोट: कुछ फीडिंग ट्यूब (Feeding Tube) लम्बे वक्त के लिए लगाए जाते हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर डायट से जुड़ी जानकारी शेयर करते हैं और ट्यूब को इंफेक्शन (Infection) से कैसे बचाना है यह भी समझाया जाता है।
गैस्ट्रोस्टॉमी के रिस्क फैक्टर क्या हैं? (Risk factor of Gastrostomy)
गैस्ट्रोस्टॉमी के बाद ज्यादातर लोगों को कोई परेशानी तो नहीं होती है, लेकिन कुछ लोगों को सांस लेने में कठिनाई (Breathing problem), दवाओं की वजह से जी मिचलाना (Nausea), ब्लीडिंग (Bleeding) होना या फिर इंफेक्शन (Infection) की समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर को इसकी जानकारी दें और उनके द्वारा दी गई गाइड लाइन को फॉलो करें। अपनी मर्जी से घरेलू उपाय इस दौरान ना करें।
डॉक्टर से कब कंसल्ट करना चाहिए? (Consult Doctor if-)
गैस्ट्रोस्टॉमी (Gastrostomy) के बाद निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें। जैसे:
फीडिंग ट्यूब (Feeding Tube) अगर अपने आप निकल जाए।
ट्यूब में ब्लॉकेज (Blockage) की समस्या हो।
फीडिंग ट्यूब इंसर्शन (Feeding Tube Insertion) के कई दिनों बाद ब्लीडिंग की समस्या हो।
सर्जरी की वजह बार-बार बुखार (Fever) आ रहा हो, सर्जरी वाली जगह लाल हो, सूजन हो या इंफेक्शन (Infection) हो।
बीमारियों की दस्तक कई परेशानियों को साथ लाती है। कुछ बीमारी ऐसी होती है कि लोग खाना-पीना भी ठीक तरह से नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है, जो बीमारी को बढ़ाने में सहायक हो जाती है, लेकिन बढ़ती मेडिकल टेक्नोलॉजी में लोगों को गैस्ट्रोस्टॉमी (Gastrostomy) के माध्यम से न्यूट्रिशन (Nutrition) की पूर्ति की जाती है। क्या है गैस्ट्रोस्टॉमी (Gastrostomy) और कब पड़ती है इसकी जरूरत आज इसी से जुड़ी पूरी इन्फॉर्मेशन आपके साथ शेयर करेंगे।
अगर आपको कोई भी शारीरिक या मानसिक परेशानी हो, तो उसे नजरअंदाज ना करें। छोटी से छोटी बीमारी को नजरअंदाज करने का मतलब है आप अनजाने में किसी गंभीर बीमारी को इन्वाइट कर रहें हैं। इसलिए ऐसा ना करें और डॉक्टर से सलाह लें।
कॉन्स्टिपेशन (Constipation) की समस्या को योग से भी दूर किया जा सकता है। कब्ज की समस्या कई गंभीर बीमारियों को दावत दे सकती है। इसलिए इससे बचना जरूरी है। तो कॉन्स्टिपेशन की समस्या से बचने के लिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें।
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