प्रेग्नेंसी वीक 32 में गर्भस्थ शिशु का विकास
प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) या गर्भावस्था के 32वें सप्ताह में मेरे शिशु का विकास कैसा है?
प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) के दौरान आपके शिशु का शरीर काफी हद तक विकसित हो चुका होता है, जिसकी वजह से उसे गर्भ में ज्यादा जगह चाहिए होती है। प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) में गर्भ में शिशु का वजन 1.7 किलोग्राम और लंबाई 42.5 सेंटीमीटर हो चुकी होती है। प्रेग्नेंसी वीक 32 में भी शिशु को जन्म दिया जा सकता है और वह बाहरी दुनिया में सर्वाइव करने लायक हो चुका होता है।
प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) में शिशु की पलकें, भौहें और बाल साफ-साफ दिखाई देने लगते हैं और उसके पंजों के नाखून भी विकसित हो चुके होते हैं। प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) में शिशु के शरीर के इर्द-गिर्द रह रही लानूगो की परत भी झड़ने लगती है। हालांकि, जन्म के समय उसके कंधों पर लानूगो की परत बाकी रह सकती है। प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) में शिशु के फेफड़ों का विकास बहुत जल्दी होता है और वे थोड़ी मात्रा में सर्फेक्टेंट्स उत्पादित करते रहते हैं। सर्फेक्टेंट्स एक फैटी सब्सटांस होता है, जो फेफड़ों के नाजुक हिस्सों को ढकता है। यह फेफड़ों को लचीला बनाने में मदद करता है, ताकि शिशु के जन्म के बाद वह पूरी तरह से सांस को अंदर ले और छोड़ सकें। जन्म के कुछ हफ्ते बाद भी शिशु को पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से सांस लेने में मदद करने के लिए सर्फेक्टेंट उत्पादित होते रहते हैं।
प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) तक शिशु चूसना सीख जाता है, लेकिन स्वतंत्र रूप से खाने के लिए उसे अभी समय लगेगा। प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) के दौरान होने वाले प्री-मैच्योर बर्थ में शिशु को खिलाने के लिए उसके पेट तक एक पतली ट्यूब या एक इंट्रावेनस ड्रिप की अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता होती है। प्री-मैच्योर बर्थ के तकरीबन 80 प्रतिशत मामले प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) से प्रेग्नेंसी वीक 37 के बीच होते हैं।
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प्रेग्नेंसी वीक 32 में शारीरिक और दैनिक जीवन में परिवर्तन
प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) के दौरान मेरे शरीर में क्या-क्या बदलाव आएंगे?
गर्भावस्था की शुरुआत से प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) तक आपके और आपके शिशु के विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए आपकी ब्लड वॉल्यूम 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। यूट्रस की वजह से डायाफ्राम और पेट पर प्रेशर पड़ने की वजह से आपको सीने में जलन या सांस चढ़ने जैसी दिककत हो सकती है। इस परेशानी को कम करने के लिए आपको सही पोजीशन में सोना चाहिए और हर बार छोटे-छोटे मील खाने चाहिए।
गर्भावस्था के बढ़ने के साथ-साथ आपको निचली कमर में दर्द की शिकायत हो सकती है। अगर, आपको प्रेग्नेंसी के अभी तक के समय में यह दर्द नहीं हुआ और प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) के आसपास ही होना शुरू हुआ है, तो अपने डॉक्टर को जरूर बताएं। क्योंकि, यह प्री-टर्म लेबर का संकेत हो सकता है।
प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) के आसपास उठने वाले निचली कमर के दर्द की वजह प्री-टर्म लेबर के अलावा यूट्रस का विकास और हॉर्मोनल चेंज भी हो सकता है। यूट्रस का बड़ा हुआ आकार आपके शरीर की सेंटर ऑफ ग्रेविटी में बदलाव, स्किन के स्ट्रेच होने, पेट की मांसपेशियों के कमजोर होने, पोस्चर में बदलाव और कमर पर तनाव पड़ने की वजह होता है। प्रेग्नेंसी में होने वाले हॉर्मोनल चेंज की वजह से आपके जोड़ और पेल्विक बोन्स को स्पाइन से जोड़ने वाले लिगामेंट ढीले हो जाते हैं। इसकी वजह से आपको चलने, खड़े होने या ज्यादा देर तक बैठने में दर्द के साथ-साथ अस्थिरता महसूस होती है। इसके अलावा आपको बेड पर करवट लेते, लो चेयर या टब से उठने, झुकने या चीजें उठाने में भी दर्द होगा।
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प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) के दौरान मुझे किन बातों के बारे में चिंतित होना चाहिए?
प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) के दौरान प्री-टर्म लेबर की संभावना होती है। प्री-टर्म लेबर के लक्षण निम्नलिखित हैं-
- संकुचन के समय दर्द नहीं होता, बल्कि आपको पेट में कसाव से महसूस होता है
- कमर दर्द के साथ संकुचन और पेल्विस और जांघों में प्रेशर महसूस होना
- वजनाइनल डिस्चार्ज में स्पॉटिंग या ब्लीडिंग दिखना, वजाइना से फ्लूड लीक होना या खून के धब्बों के साथ डिस्चार्ज होना
अगर आपको एख घंटे में छह संकुचन से ज्यादा महसूस हो रहे हैं और हर संकुचन 45 सेकेंड से ज्यादा रह रहा है, तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इसके अलावा, वजाइनल ब्लीडिंग और पेट में क्रैंप पड़ने पर भी आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
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प्रेग्नेंसी वीक 32 में डॉक्टरी सलाह
प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) में मुझे डॉक्टर को किन-किन बातों के बारे में बताना चाहिए?
आपको प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) में अपने डॉक्टर या जिन दोस्तों, पड़ोसियों, सहकर्मियों या जानकारों के बच्चे हैं, उनसे किसी अच्छे बाल रोग विशेषज्ञ के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। क्योंकि आपको, शिशु के जन्म के बाद उसके पास जाने की जरूरत हो सकती है। इसके साथ ही आपको अपने शरीर में दिखने वाले छोट से छोटे बदलाव पर भी ध्यान देना चाहिए। जैसे- सांस चढ़ने जैसा आम बदलाव भी आयरन की कमी का संकेत हो सकता है। अगर, आपको अपने किसी भी शारीरिक बदलाव के बारे में चिंता है, तो अपने डॉक्टर के पास तुरंत जाएं। डॉक्टर आपको किसी भी संभावित बीमारी के गंभीर होने से पहले उससे बचाव में मदद करेगा।
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प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) के दौरान मुझे किन टेस्ट के बारे में जानकारी होनी चाहिए?
प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) से डिलिवरी तक आपको हर हफ्ते में दो बार डॉक्टर के पास जाना चाहिए। ताकि, डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट्स की मदद से आपकी गर्भावस्था के विकास का पता लगा सके।
- वजन और ब्लड प्रेशर की जांच
- यूरिन में शुगर और प्रोटीन की जांच
- शिशु की हृदय गति
- बाहर से यूट्रस के आकार की जांच
- यूट्रस के फंडस (ऊपरी हिस्से) की लंबाई
- वेरीकोज वेन और हाथों-पैरों में सूजन की जांच
- ग्लूकोज स्क्रीनिंग
- एनीमिया के लिए ब्लड टेस्ट
- डिप्थीरिया से बचाव के लिए टीका
- प्रेग्नेंसी के असामान्य लक्षणों की जांच
प्रेग्नेंसी के दौरान अगर आपको आसामान्य लक्षण दिख रहे हो तो डॉक्टर को इस बारे में जानकारी जरूर दें। अगर आप सही समय पर जांच कराएंगे तो समस्या का निदान किया जा सकता है। देरी होने पर मां और होने वाले बच्चे, दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है।
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प्रेग्नेंसी वीक 32 में स्वास्थ्य और सुरक्षा
गर्भावस्था का 32वां सप्ताह : करें योगा अभ्यास
अगर आप प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) के दौरान योगा करना चाहती हैं, तो कुछ सावधानियां बरतने के साथ यह सबसे बेहतर फिटनेस रूटीन होगा। योगा के अभ्यास से आपको गहरी और लंबी सांस लेने की आदत पड़ती है, जो कि लेबर, बर्थ के दौरान बहुत जरूरी शारीरिक क्रिया होती है। योगा की मदद से आपका शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आप भावनाओं और तनाव को भी नियंत्रित कर पाते हैं। अन्य गर्भवती महिलाओं से मिलने और एक दूसरे की मदद करने के लिए योगा क्लास सबसे बेहतर स्थान है।
पंजे के नाखून का फंगस ट्रीटमेंट
प्रेग्नेंसी वीक 32 (Pregnancy Week 32) के दौरान अगर आपके पंजे के नाखून में फंगस लग गया है, तो बेहतर ये है कि आप टॉपिकल एंटी-फंगल क्रीम का इस्तेमाल करें। प्रेग्नेंसी के दौरान इन क्रीम का इस्तेमाल करना बेहतर होता है, क्योंकि यह आपके खून में दाखिल नहीं हो पाते। जिस वजह से खतरे की कोई बात नहीं होती।
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में आ रहे परिवर्तनों पर आपको खास ध्यान देने की जरूरत है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या महसूस हो रही हो तो बेहतर होगा कि आप लापरवाही न करें और तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया है, तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर जरूर करें, ताकि उन्हें भी इसकी जानकारी हो और वो इस डिलिवरी से घबराएं नहीं।
अगले आर्टिकल में हम प्रेग्नेंसी वीक 33 के बारे में बात करेंगे।
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