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Second Trimester Guide: प्रेग्नेंसी के सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड में किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/04/2022

    Second Trimester Guide: प्रेग्नेंसी के सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड में किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?

    अगर आप पहली बार प्रेग्नेंसी एंजॉय कर रही हैं, तो आपने लोगों को जरूर कहते हुए सुना होगा कि सेकेंड ट्राइमेस्टर बाकी दो ट्राइमेस्टर से बेहतरीन समय होता है। जी हां! यह बात बिल्कुल सही है। पहले और तीसरे ट्राइमेस्टर के दौरान शरीर में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन होते हैं, जिसके कारण रिलेक्स कम फील होता है। वहीं दूसरे ट्राइमेस्टर के दौरान उल्टी, मितली आदि समस्याओं से राहत मिलती है। इस दौरान आपको शरीर में अधिक ऊर्जा महसूस होती है और साथ ही पेट में ज्यादा भारीपन भी महसूस नहीं होता है। इस दौरान जहां एक और मिसकैरेज का रिस्क कम हो जाता है, वहीं दूसरी ओर आपका शरीर भी हो रहे परिवर्तन को स्वीकार कर लेता है। आइए जानते हैं कि सेकंड ट्राइमेस्टर के दौरान क्या होता है और सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड (Second Trimester Guide) क्या है।

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    सेकेंड ट्राइमेस्टर (Second Trimester) के दौरान क्या होते हैं शरीर में परिवर्तन?

    सेकेंड ट्राइमेस्टर प्रेग्नेंसी के 14वें सप्ताह के आसपास शुरू होती है और 27वें सप्ताह के अंत तक या गर्भावस्था के 4 से 6 महीने तक चलती है। कुल मिलाकर, दूसरी तिमाही लगभग 14 सप्ताह तक चलती है। दूसरी तिमाही के दौरान आपके शरीर में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन जारी रहते हैं लेकिन यह पहली तिमाही से आपको बेहतर महसूस कराते हैं। पहली तिमाही के दौरान उल्टी का आना, महक का एहसास, मितली आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जबकि दूसरी तिमाही के दौरान उल्टी आने की समस्या खत्म हो जाती है। वहीं आसपास की चीजों से महक आना भी बंद हो जाती है। इस दौरान आपके पेट का साइज थोड़ा बढ़ जाता है और साथ ही ब्रेस्ट भी बढ़ने लगते हैं। ऐसे में आपको सपोर्टिव ब्रा या स्पोर्ट्स ब्रा पहनने की जरूरत होती है। हो सकता है कि इस दौरान आपको स्किन में भी चेंज दिखाई दे। ऐसा हॉर्मोन में बदलाव के कारण होता है। आप स्किन में ब्राउन पैच या फिर चेहरे में ब्राउन पैच देख सकते हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि यह सभी के साथ हो लेकिन कुछ महिलाएं इसका अनुभव करती हैं।

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    वहीं सेकेंड ट्राइमेस्टर के दौरान कुछ महिलाओं को दांतों में समस्या भी हो सकती है। पहली तिमाही के दौरान महिलाओं को उल्टी की समस्या का सामना करना पड़ता है। अगर ऐसे में दांतो की नियमित सफाई ना की जाए, तो दांत संबंधी समस्या भी हो सकती है। दांतो की रोजाना सफाई करना, नमक के पानी से गरारा करना आदि दांतों की समस्या से राहत दिलाने का काम करते हैं। दूसरी तिमाही के दौरान आपको शरीर में होने वाले परिवर्तनों पर पूरी तरह से ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। अगर आपको दूसरी तिमाही के दौरान पैरों में ऐंठन महसूस हो रही हो या फिर पैरों में दर्द महसूस हो रहा हो, तो ऐसे मैं आपको वॉर्म बाथ या मसाज की मदद लेनी चाहिए। साथ ही इस दौरान आपको वाइट डिस्चार्ज भी हो सकता है, जो कि सामान्य माना जाता है। दूसरी तिमाही में आपको यूरिन इन्फेक्शन की भी संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। अगर आपको यूरिन का रंग क्लाउडी नजर आता है या फिर यूरिन पास करने के दौरान दर्द महसूस होता है, तो आपको इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। आइए जानते हैं सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड (Second Trimester Guide) के बारे में।

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    सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड (Second Trimester Guide) क्या हैं?

    आपकी प्रेग्नेंसी का कोई भी महीना चल रहा हो लेकिन आपको उस दौरान नियमित व्यायाम के साथ भरपूर आराम और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। सेकेंड ट्राइमेस्टर के दौरान भी आपको इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।

    सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड (Second Trimester Guide): कराएं रूटीन मॉनिटरिंग

    आपको रूटीन मॉनिटरिंग करनी चाहिए। आपको प्रत्येक महीने और आखिरी महीनों में प्रत्येक 15 दिन बाद डॉक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए। डॉक्टर समय-समय पर आपके वेट की जानकारी, बीपी चेकअप, यूट्रस के साइज आदि की जांच करते हैं और साथ ही बेबी के हार्टबीट की भी जांच की जाती है। इस दौरान आपको सेकेंड ट्राइमेस्टर अल्ट्रासाउंड भी शेड्यूल करना चाहिए। डॉक्टर 20 सप्ताह के दौरान अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं। अल्ट्रासाउंड प्रेग्नेंसी के 9वें से 22 सप्ताह के बीच होता है। इस दौरान डॉक्टर बच्चे के शरीर में हो रहे विकास के बारे में जानकारी लेते हैं और साथ ही उसके अंगों के विकास भी जांच करते हैं। बच्चे का लिंग क्या है, किसी प्रकार की समसया तो नहीं है आदि जानकारी भी मिलती है। एक बात का ध्यान रखें कि सभी देशों में(जैसे कि भारत)  लिंग की जानकारी नहीं दी जाती है। डॉक्टर आपको 3डी या फिर 4डी अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दे सकते हैं। आपको अगर कोई परेशानी महसूस हो रही है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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    सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड: ग्लूकोज की जांच भी है जरूरी

    अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (ACOG) ने रिकमेंड करता है कि गर्भावस्था के 24 से सप्ताह से 28वें सप्ताह के आसपास सभी महिलाओं को ग्लूकोज की जांच करानी चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ये डायबिटीज आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान होती है और फिर डिलिवरी के बाद ठीक भी हो जाती है। अगर टेस्ट के दौरान आपका रिजल्ट पॉजिटिव आता है या फिर जेस्टेशनल डायबिटीज की परेशानी हो जाती है, तो आपको डॉक्टर द्वारा बताई गई डायट लेने के साथ ही जरूरी दवाओं का सेवन करना चाहिए। ऐसा करना इसलिए जरूरी होता है ताकि होने वाले बच्चे को किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े। यह परमानेंट डायबिटीज नहीं है। यह कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन आपको अपने खान-पान के साथ ही अन्य बातों का भी ध्यान रखने की जरूरत पड़ेगी।

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    सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड:  करवट लेकर सोना है सही

    प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही के दौरान महिलाओं को सोने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा बढ़ें हुए यूट्रस के कारण होता है। जबकि दूसरी तिमाही में कम समस्या का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर आपको एक साइड में लेटने की सलाह देते हैं। बेहतर होगा कि ऐसे समय में आप पीठ के बल बिल्कुल भी ना लेटे। आप किसी भी साइड लेफ्ट या राइट साइड का चुनाव कर सकते हैं। यूट्रस वेना कावा (वेंस) पर प्रेशर डालता है, जिसके कारण सर्कुलेशन में दिक्कत होती है। अगर आप करवट लेकर लेटते हैं, तो यह प्रेशर कम हो जाता है। अगर फिर भी आपको इस संबंध में डॉक्टर से कोई जानकारी लेनी हो, तो आप ले सकते हैं। बेहतर नींद के लिए आप प्रेग्नेंसी पिलो का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये आपके पेट को सपोर्ट करने के साथ-साथ पीठ और पैरों को भी आराम महसूस कराती है।

    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही के दौरान आपको जरूरी टीके लगवाने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर से आप इस बारे में जानकारी लें और समय पर टीके जरूर लगवाएं। इसके साथ ही आप दूसरी तिमाही के दौरान चाइल्डबर्थ क्लासेज भी अटेंड कर सकती हैं। इस दौरान आपको शरीर में हो रहे बदलावों के साथ ही डिलिवरी के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस बारे में भी जानकारी दी जाती है। अगर फिर भी आपको कोई समस्या है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

    इस आर्टिकल में हमने आपको सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड (Second Trimester Guide) के बारे में अहम जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको प्रेग्नेंसी के संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हैलो हेल्थ की वेबसाइट में आपको अधिक जानकारी मिल जाएगी।

     

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