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Prenatal Care: प्रेग्नेंसी के दौरान क्यों जरूरी है 'प्रीनेटल केयर'?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/04/2022

    Prenatal Care: प्रेग्नेंसी के दौरान क्यों जरूरी है 'प्रीनेटल केयर'?

    प्रेग्नेंसी …यानी बनने वाली मां को अब अपना ज्यादा ख्याल रखना है जैसे समय पर खाना, हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करना और समय-समय पर डॉक्टर से कंसल्टेशन करना। प्रेग्नेंसी के दौरान गायनोकोलॉजिस्ट से कंसल्टेशन को एक खास मेडिकल टर्म दिया है प्रीनेटल केयर (Prenatal Care) यानी प्रसव से पहले देखभाल (antenatal care)। प्रेग्नेंसी के दौरान प्रीनेटल केयर आवश्यक है, क्योंकि यह गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए लाभकारी है। इसलिए आज इस आर्टिकल में प्रीनेटल केयर (Prenatal Care) से जुड़ी जानकारी आपके साथ शेयर करने जा रहें हैं।     

    • प्रीनेटल केयर क्या है?
    • प्रीनेटल केयर कितने तरह का होता है?
    • प्रीनेटल केयर क्यों महत्वपूर्ण है?
    • प्रीनेटल केयर की शुरुआत कब से की जा सकती है?
    • प्रीनेटल केयर के दौरान डॉक्टर के पास कब-कब जाने की जरूरत पड़ती है?
    • प्रीनेटल केयर के दौरान डॉक्टर गर्भवती महिला का चेकअप कैसे करते हैं?

    चलिए अब प्रीनेटल केयर (Prenatal Care) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं। 

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    प्रीनेटल केयर (Prenatal Care) क्या है?

    प्रीनेटल केयर (Prenatal Care)

    प्रीनेटल केयर को अगर आसान शब्दों में समझें तो प्रसव से पहले देखभाल (Antenatal care) को प्रीनेटल केयर कहते हैं। इस दौरान डॉक्टर, नर्स या मिडवाइफ के संपर्क में रखकर प्रेग्नेंसी से जुड़ी सभी तरह की  चेकअप की जाती है। इससे गर्भवती महिला एवं जन्म लेने वाले शिशु दोनों को लाभ मिलता है। प्रसव से पहले देखभाल भी अलग-अलग तरह के होते हैं।   

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    प्रीनेटल केयर कितने तरह का होता है? (Types of Prenatal Care) 

    प्रीनेटल केयर निम्नलिखित प्रकार के होते हैं। जैसे:  

    1. ओबी/गायनोकोलॉजिस्ट (OB/GYN)
    2. फेमिली फिजिशियन (Family physician)
    3. सर्टिफायड नर्स-मिडवाइफ (Certified nurse-midwife)
    4. डायरेक्ट एंट्री मिडवाइफ (Direct-entry midwife)

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    प्रीनेटल केयर क्यों महत्वपूर्ण है? (Importance of Prenatal Care)

    हेल्दी प्रेग्नेंसी के दौरान प्रीनेटल केयर को महत्वपूर्ण माना गया है। इस दौरान गायनोकोलॉजिस्ट, नर्स या मिडवाइफ गर्भवती महिला एवं गर्भ में पल रहे शिशु दोनों की सेहत को लगातार मॉनिटर करते रहते हैं। प्रसव से पहले देखभाल के दौरान रूटिंग चेकअप और अलग-अलग टेस्ट भी किये जाते हैं, जिससे गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को समझने में मदद मिलती है। प्रीनेटल केयर से गर्भवती महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान महसूस होने वाली परेशानियों से कैसे बचना है इसे भी समझने में मदद मिलती है। गर्भवती महिला के मन में अगर सेहत से या जन्म लेने वाले बच्चे से जुड़े भी अगर किसी सवाल का जवाब जानना चाहती हैं, तो अपने सभी सवालों को पूछ सकती हैं।  

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    प्रीनेटल केयर की शुरुआत कब से की जा सकती है? (When to start Prenatal Care)

    प्रीनेटल केयर की शुरुआत प्रेग्नेंसी के शुरुआत से करनी चाहिए। वैसे अगर आप प्रेग्नेंसी की प्लानिंग (Pregnancy planning) कर रहें हैं, तो डॉक्टर से कंसलटेशन शुरू कर देना चाहिए। प्रेग्नेंसी के पहले से की जाने वाली देखभाल को प्री-प्रेग्नेंसी केयर (Pre-pregnancy care) या प्रीकॉन्सेप्शन प्लानिंग (Preconception planning) भी कहते हैं। वैसे अगर आपने प्री-प्रेग्नेंसी केयर या प्रीनेटल केयर की ओर ध्यान नहीं दिया है, तो जैसी पता चले की आप गर्भवती हैं वैसे ही गायनोकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।  

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    प्रीनेटल केयर के दौरान डॉक्टर के पास कब-कब जाने की जरूरत पड़ती है? (When to visit Gynecologist during Prenatal Care)

    प्रेग्नेंसी के दौरान गायनोकोलॉजिस्ट से कंसल्टेशन इस बात पर निर्भर करती है कि गर्भवती महिला को कितनी शारीरिक परेशानी हो रही है या हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (High Risk pregnancy) तो नहीं है। वैसे अगर गर्भवती महिला की उम्र 18 से 35 वर्ष के बीच है और प्रेग्नेंसी में कोई कॉम्प्लिकेशन (Pregnancy complication) नहीं है, तो-

    • 32वें सप्ताह तक प्रत्येक 4 से 6 सप्ताह के बीच।  
    • 32 से 37वें सप्ताह के बीच प्रत्येक 2 से 3 सप्ताह के बीच।  
    • 37वें सप्ताह से बेबी डिलिवरी (Baby delivery) तक हर सप्ताह में डॉक्टर से कंसल्टेशन की जरूरत पड़ती है। 

    नोट: प्रेग्नेंसी के दौरान अगर किसी तरह की कोई परेशानी नजर आती है या हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की संभावना होने पर डॉक्टर प्रेग्नेंट लेडी को उनकी हेल्थ के अनुसार कंसल्टेशन की सलाह देते हैं। वहीं अगर प्रेग्नेंसी के किसी भी स्टेज में कभी भी कोई परेशानी महसूस होने पर गायनोकोलॉजिस्ट से संपर्क करना जरूरी है।    

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    प्रीनेटल केयर के दौरान डॉक्टर गर्भवती महिला का चेकअप कैसे करते हैं?

    प्रसव से पहले देखभाल (Antenatal care) के दौरान गायनोकोलॉजिस्ट निम्नलिखित सवाल पूछ सकते हैं। जैसे:

    • गर्भवती महिला की मेडिकल हिस्ट्री (Medical history) और प्रेग्नेंसी से जुड़े सवाल। 
    • डॉक्टर प्रेग्नेंट लेडी के फिजिकल हेल्थ (Physical exam) की जानकारी लेने के साथ-साथ पेल्विस एग्जाम (Pelvic exam) और पैप टेस्ट (Pap test) भी करते हैं। 
    • ब्लड टेस्ट (Blood test) और यूरिन टेस्ट (Urine test) की जाती है। 
    • गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर (Blood pressure), हाइट (Height) एवं वेट (Weight) भी चेक करते हैं। 
    • ड्यू डेट (Due date) की जानकारी भी देते हैं। 

    प्रग्नेंसी के दौरान चेकअप सिर्फ एक बार ही नहीं की जाती है, बल्कि डॉक्टर रूटीन चेकअप के लिए पहले से जानकारी दे देते हैं। गर्भवती महिला को उसी चेकअप डेट के अनुसार फॉलोअप के लिए जाना पड़ता है। वहीं अगर फॉलोअप डेट के बीच में कोई परेशानी होती है, तो उसी वक्त डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।

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    प्रेग्नेंसी के दौरान समय-समय पर की वाली चेकअप (Checkup during Pregnancy)-

    • ब्लड प्रेशर (Blood pressure) चेक करना। 
    • वजन कितना बढ़ा (Weight gain) है। 
    • एब्डॉमेन मॉनिटर करते हैं, जिससे शिशु के ग्रोथ (Baby’s growth) की जानकारी मिलती है। 
    • शिशु का हार्ट रेट भी चेक (Baby’s heart rate) किया जाता है। 

    प्रसव से पहले देखभाल (Antenatal care) के दौरान गायनोकोलॉजिस्ट या हेल्थ एक्सपर्ट इन ऊपर बताये अनुसार गर्भवती महिला की सेहत और गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत को लगातार मॉनिटर करते रहते हैं। ऐसा करने से किसी भी कॉम्प्लिकेशन से बचने में मदद मिलती है। 

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    प्रेग्नेंसी अगर 40 वर्ष की आयु में हो, तो डॉक्टर से लगातार संपर्क में रहना चाहिए। वहीं अगर ट्विन प्रेग्नेंसी है, तो ऐसी स्थिति में भी डॉक्टर गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे की सेहत की जानकारी के लिए रेगुलर चेकअप करते हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान कॉम्प्लिकेशन हो या ना हो, दोनों ही स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क में रहना चाहिए।

    इस आर्टिकल में हमनें प्रसव से पहले देखभाल (Antenatal care) की जानकारी शेयर की है। उम्मीद करते हैं कि प्रीनेटल केयर (Prenatal Care) से जुड़ी ये जानकारी आपके लिए मददगार होगी। प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी शारीरिक तकलीफ या मानसिक परेशानियों से दूर रहें। अगर इस दौरान किसी भी तरह की परेशानी होती है, तो गायनोकोलॉजिस्ट से जल्द से जल्द कंसल्ट करें। 

    प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला अपना ख्याल तो रखती हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी के बाद भी गर्भवती महिला को अपने विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसलिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें और एक्पर्ट से जानें न्यू मदर के लिए खास टिप्स यहां।

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