परिचय
कोलन पॉलीप्स (Colon polyps) या कोलोरेक्टल पॉलीप्स क्या है?
कोलन पॉलीप्स आपके बृहदान्त्र या बड़ी आंत ( colon, or large intestine) की लाइनिंग में दिख सकती है।अधिकांश कोलन पॉलीप्स हानिकारक नहीं हैं लेकिन कुछ समय के साथ ये पेट के कैंसर में बदल सकते हैं। इस कारण से, आपके डॉक्टर किसी भी कोलन पॉलीप्स को बाहर निकालने की जरूरत होती है।
कोलन पॉलीप्स कोलन की लाइनिंग में एक उभार की तरह नजर आते हैं। जो कोलन पॉलीप्स या कोलोरेक्टल पॉलीप्स किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, उनसे व्यक्ति को किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है। कुछ पॉलीप्स जो कि कैंसर के रूप में तब्दील हो जाते हैं, उन्हें हटाने की जरूरत होती है।ये कहना सही होगा कि पॉलीप्स के साइज बढ़ने पर कोलन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। अगर कोई व्यक्ति 50 साल से अधिक का है तो उसे कोलोरेक्टल पॉलीप्स होने का खतरा रहता है। अगर किसी की कोलोरेक्टल पॉलीप्स की फैमिली हिस्ट्री है तो ऐसे व्यक्ति को भी कोलन पॉलीप्स होने का अधिक खतरा है। इस आर्टिकल के माध्यम से कोलन पॉलीप्स या कोलोरेक्टल पॉलीप्स के लक्षण, कारण, जोखिम उपचार के बारे में जानिए।
और पढ़ें: Alopecia Areata: अलोपेसिया अरीटा क्या है?
लक्षण
कोलन पॉलीप्स या कोलोरेक्टल पॉलीप्स (colorectal polyps) के लक्षण क्या है?
कोलन पॉलीप्स अक्सर कोई लक्षण नहीं होते हैं। हो सकता है कि आपको तब तक पता न चले जब तक आपके डॉक्टर को आपकी आंत की जांच के दौरान यह पता न चल जाए।
लेकिन कुछ लोग कोलन पॉलीप्स को अनुभव करते हैं:
रेक्टल ब्लीडिंग(Rectal bleeding) – यह कोलन पॉलीप्स या कैंसर की बीमारी के या अन्य कंडीशन के संकेत हो सकते हैं, जैसे कि बवासीर (पाइल्स ) या आपके एनस(anus) का थोड़ा कटना।
स्टूल के रंग में बदलाव (Change in stool color) – रक्त आपके स्टूल में लाल धारियों के रूप में दिखाई दे सकता है या स्टूल काला दिखाई दे सकता है। रंग में बदलाव फूड, दवाओं और सप्लिमेंट के कारण भी हो सकता है।
बाउल हैबिट्स में बदलाव (Change in bowel habits) – कब्ज की समस्या या दस्त जो एक सप्ताह से अधिक समय तक रहता है, एक बड़े कोलन पॉलीप के होने का संकेत हो सकता है। लेकिन कई अन्य स्थितियों में भी स्टूल मूवमेंट में बदलाव हो सकता है।
दर्द- एक बड़ा कोलन पॉलीप आंशिक रूप से आपके बाउल मूवमेंट को बाधित कर सकता है, जिससे पेट में दर्द हो सकता है।
आयरन की कमी से एनीमिया (Iron deficiency anemia) -पॉलीप्स से ब्लीडिंग धीरे-धीरे होती रहती है लेकिन ये मल में दिखाई नहीं पड़ती है। क्रोनिक ब्लीडिंग के कारण आयरन की कमी होने लगती हैं। आयरन डिफिसिएंसी के कारण एनीमिया भी हो सकता है। एनीमिया के कारण व्यक्ति थका हुआ महसूस करता है या फिर व्यक्ति को सांस लेने में समस्या महसूस हो सकती है। ॉ
अगर किसी भी व्यक्ति को ऐसे लक्षण नजर आ रहे हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कई बार बीमारी के लक्षण पता चल जाने पर सही समय पर बीमारी का इलाज हो जाता है और बड़ी समस्या टल जाती है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से भी परामर्श कर सकते हैं। बीमारी के लक्षण दिखने पर लापरवाही न करें।
और पढ़ें : Amenorrhea: एमेनोरिया क्या है?
डॉक्टर काे कब दिखाएं
डॉक्टर से कब मिलें?
निम्नलिखित अनुभव होने पर अपने चिकित्सक को दिखाएं:
- पेट में दर्द
- आपके स्टूल में ब्लड
- आपकी स्टूल मूवमेंट में बदलाव जो एक सप्ताह से अधिक समय तक रहता है
आपको पॉलीप्स के लिए नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए यदि:
- आपकी उम्र 50 या उससे अधिक है।
- आपको ये जोखिम हो सकते हैं, जैसे कि कोलन कैंसर का पारिवारिक इतिहास। कुछ उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को 50 वर्ष की आयु से बहुत पहले ही नियमित जांच शुरू कर देनी चाहिए।
[mc4wp_form id=’183492″]
और पढ़ें: Anal Fistula: भगंदर क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
कारण
कोलन पॉलीप्स या कोलोरेक्टल पॉलीप्स के कारण क्या हैं?
हेल्दी सेल्स एक क्रमबद्ध तरीके से बढ़ती और विभाजित होती हैं। कुछ जीनों में उत्परिवर्तन के कारण सेल्स तब भी विभाजित हो सकती हैं, जब नई सेल्स की आवश्यकता न हो। कोलन और रेकटम में, इस अनियमित विकास से पॉलीप्स बन सकते हैं। आपकी बड़ी आंत में कहीं भी पॉलीप्स विकसित हो सकते हैं।
पॉलीप्स की दो मुख्य श्रेणियां हैं, नॉन-नियोप्लास्टिक(non-neoplastic) और नियोप्लास्टिक(neoplastic)। गैर-नियोप्लास्टिक पॉलीप्स में हाइपरप्लास्टिक पॉलीप्स, इंफ्लेमेटरी पॉलीप्स और हैमार्टोमैटस पॉलीप्स शामिल हैं। गैर-नियोप्लास्टिक पॉलीप्स आमतौर पर कैंसर नहीं बनते हैं।
इंफ्लेमेटरी पॉलीप्स अल्सरेटिव कोलाइटिस(ulcerative colitis) या कोलन के क्रोहन के रोग के साथ देखा जा सकता है। हालांकि पॉलीप्स स्वयं एक महत्वपूर्ण खतरा नहीं हैं, लेकिन कोलन के अल्सरेटिव कोलाइटिस या क्रोहन रोग होने से आपके पेट के कैंसर का पूरा जोखिम बढ़ जाता है।
नियोप्लास्टिक पॉलीप्स में एडेनोमा और सीरेटेड प्रकार शामिल हैं। ज्यादातर कोलोन पॉलीप्स एडेनोमा हैं। दाँतेदार पॉलीप्स कैंसर हो सकते हैं, जो कोलन में उनके आकार और स्थान पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर, एक पॉलिप जितना बड़ा होता है, विशेष रूप से नियोप्लास्टिक पॉलीप्स के साथ कैंसर का खतरा उतना अधिक होता है।
और पढ़ें: Aortic Regurgitation : महाधमनी अपर्याप्तता क्या है?
जोखिम
कोलोन पॉलीप्स के जोखिम क्या है?
कोलन पॉलीप्स या कैंसर होने में योगदान करने वाले कारकों में शामिल हैं:
- उम्र- कोलन पॉलीप्स वाले ज्यादातर लोग 50 या उससे अधिक उम्र के होते हैं।
- इंफ्लेमेटरी आंतों की कंडीशन, जैसे कि अल्सरेटिव कोलाइटिस(ulcerative colitis) और क्रोहन रोग।
- फैमिली हिस्ट्री, यदि आपके माता-पिता में ये बीमारी थी, तो आपको कोलन पॉलीप्स या कैंसर होने की अधिक संभावना है। यदि परिवार के कई सदस्यों में ये बीमारी हैं, तो आपका जोखिम और भी अधिक हो सकती है। कुछ लोगों में, यह बीमारी वंशानुगत नहीं होते है।
- तंबाकू और शराब का उपयोग।
- मोटापा और व्यायाम की कमी।
- अफ्रीकी-अमेरिकियों को पेट के कैंसर के विकास का अधिक खतरा होता है।
- टाइप 2 मधुमेह जो अच्छी तरह से नियंत्रित नहीं है।
और पढ़ें: Bacterial pneumonia: बैक्टीरियल निमोनिया क्या है?
शायद ही कभी, लोगों को आनुवांशिक तौर पर विरासत में मिलते हैं, जो कोलन पॉलीप्स को बनाते हैं। यदि आपके पास इन आनुवंशिक उत्परिवर्तनों में से एक है, तो आपको कोलोरेक्टल कैंसर विकसित होने का बहुत अधिक खतरा है। स्क्रीनिंग और शुरुआती पता लगाने से इन कैंसर के विकास या प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है।
वंशानुगत डिसऑर्डर के कारण कोलन पॉलीप्स शामिल हैं:
लिंच सिंड्रोम(Lynch syndrome), जिसे वंशानुगत नॉनपोलिपोसिस कोलोरेक्टल(nonpolyposis colorectal) कैंसर भी कहा जाता है। लिंच सिंड्रोम वाले लोगो को कुछ कोलन पॉलीप्स विकसित होते हैं, लेकिन वे पॉलीप्स जल्दी से घातक बन सकते हैं। लिंच सिंड्रोम वंशानुगत कोलन कैंसर का सबसे आम रूप है और यह स्तन, पेट, छोटी आंत, यूरीनरी ट्रेक्ट और अंडाशय में ट्यूमर से भी जुड़ा हुआ है।
पारिवारिक एडिनोमेटस पॉलीपोसिस (Familial adenomatous polyposis (FAP)), एक दुर्लभ डिसऑर्डर है जो आपके किशोरावस्था के दौरान आपके कोलन के शुरुआत के दौरान सैकड़ों या यहां तक कि हजारों पॉलीप को विकसित करने का कारण बनता है। यदि पॉलीप्स का इलाज नहीं किया जाता है, तो आपके पेट के कैंसर के विकास का जोखिम लगभग 100 प्रतिशत है, आमतौर पर 40 वर्ष की आयु से पहले। जेनेटिक परीक्षण एफएपी के आपके जोखिम को निर्धारित करने में मदद कर सकता है।
और पढ़ें :Bacterial Vaginal Infection : बैक्टीरियल वजायनल इंफेक्शन क्या है?
गार्डनर सिंड्रोम(Gardner’s syndrome), एफएपी का एक प्रकार है जो आपके कोलन और छोटी आंत में पॉलीप्स को विकसित करने का कारण बनता है। यह त्वचा, हड्डियों और पेट सहित अपने शरीर के अन्य हिस्सों में गैर-कैंसर वाले ट्यूमर का विकास कर सकत है।
एमवायएच-एसोसिएट पॉलीपोसिस (MYH-associated polyposis (MAP), एफएपी के समान स्थिति जो एमवायएच जीन में उत्परिवर्तन के कारण होती है। एमएपी वाले लोग अक्सर कम उम्र में कई एडेनोमौटस पॉलीप्स(adenomatous polyps ) और कोलोन कैंसर का विकास करते हैं। आनुवंशिक परीक्षण MAP के जोखिम को निर्धारित करने में मदद करता है।
प्यूत्ज जिगर सिंड्रोम (Peutz-Jeghers syndrome) एक ऐसी स्थिति है जो आमतौर पर होठों, मसूड़ों और पैरों सहित पूरे शरीर में विकसित होने वाले झाईयों से शुरू होती है। फिर गैर-आंतों के पॉलीप्स पूरे आंतों में विकसित होते हैं। ये पॉलीप्स घातक हो सकते हैं, इसलिए इस स्थिति वाले लोगों में पेट के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
सीरेटेड पॉलीपोसिस सिंड्रोम(Serrated polyposis syndrome), एक ऐसी स्थिति जो कोलन के ऊपरी हिस्से में कई दाँतेदार एडेनोमेटस पॉलीप्स की ओर ले जाती है। ये पॉलीप्स घातक हो सकते हैं।
कुछ कोलोन पॉलीप्स कैंसर बन सकते हैं। पहले के पॉलीप्स को हटा दिया जाता है, कम संभावना है कि वे घातक हो जाएंगे।
और पढ़ें : मेल ब्रेस्ट कैंसर के क्या हैं कारण, जानिए लक्षण और बचाव
निदान
कोलन पॉलीप्स या कोलोरेक्टल पॉलीप्स का निदान कैसे किया जाता है?
कोलोरेक्टल पॉलीप्स का पता लगाने के लिए डॉक्टर कई परीक्षण कर सकता है। जानिए इन परिक्षण में क्या शामिल है,
कोलोनेस्कोपी ( Colonoscopy)
इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर एक पतली, लचीली ट्यूब (जिसमे एक कैमरा जुड़ा रहता है) को एनस के माध्यम से अंदर डाला जाता है। इसकी सहायता से डॉक्टर को मलाशय (बड़ी आंत) के अंदर देख पाता है। अगर डॉक्टर को पॉलीप्स दिखते हैं तो आपका डॉक्टर इसे तुरंत हटा सकता है या फिर वो टेस्ट करने के लिए टिशू सैम्पल भी ले सकता है।
सिग्मोइडोस्कोपी (Sigmoidoscopy)
यह स्क्रीनिंग प्रोसेस कोलोनोस्कोपी के जैसी ही है लेकिन इसका यूज केवल मलाशय या रैक्टम और लोअर कोलन को देखने के लिए किया जा सकता है। इस विधि का उपयोग बायोप्सी या फिर टिशू कलेक्ट करने के लिए नहीं किया जाता है। अगर डॉक्टर को एक पॉलीप दिखता है तो वो कोलोनोस्कोपी की मदद से उसे हटा सकता है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से जरूर पूछें।
और पढ़ें : Broken Nose : नाक में फ्रैक्चर क्या है? जानिए इसके लक्षण, कारण और उपचार
बेरियम एनीमा (Barium enema)
बेरियम एनीमा (Barium enema)के टेस्ट के दौरान डॉक्टर रेक्टम में लिक्विड बेरियम इंजेक्ट करता है और फिर एक्स-रे कि मदद में कोलन की इमेज यानी चित्र लेता है। वाइट कोलन के बीच पॉलीप्स का गहरा रंग अलग ही नजर आता है। इस तरह से डॉक्टर कोलन पॉलीप्स की पहचान कर लेते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से परामर्श कर सकती हैं।
सीटी कोलोनोग्रॉफी (CT colonography)
इसकी सहायता से कोलन और रैक्टम की साथ में इमेज प्राप्त होती है। स्कैन के बाद कोलन और रैक्टम की इमेज को साथ में जोड़ा जाता है ताकि 2डी और 3 डी व्यू तैयार किया जा सके। सीटी कोलोनोग्रॉफी को वर्चुअल कोलोनोग्रॉफी भी कहते हैं।
कोलोनोस्कोपी (colonoscopy)
कोलोनोस्कोपी (colonoscopy) की हेल्प से सूजे हुए टिशू यानी ऊतक, पॉलीप्स, अल्सर आदि दिखते हैं। डॉक्टर आपको टेस्ट किट देगा और साथ ही आपको स्टूल सैंपल के लिए निर्देश भी देगा। टेस्ट की सहायता से पता चलेगा कि मल में खून आ रहा है या फिर नहीं। अगर मल में खून होगा तो ये पॉलीप्स होने का संकेत होता है। इस बारे में आप डॉक्टर से अधिक जानकारी ले सकते हैं।
और पढ़ें :Broken (Fractured) Hand : हाथ का फ्रैक्चर क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
उपचार
कोलन पॉलीप्स के उपचार क्या है?
आप नियमित जांच कराने से कोलोन पॉलीप्स और कोलोरेक्टल कैंसर के अपने जोखिम को काफी कम कर सकते हैं। इसके अलावा अपने जीवनशैली में बदलाव करके इसे कम सकते हैं:
- स्वस्थ आदतों को अपनाएं- अपने आहार में खूब सारे फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज शामिल करें और फेट का सेवन कम करें। शराब का सेवन सीमित करें और तंबाकू छोड़ दें। व्यायाम करें और शरीर का स्वस्थ वजन बनाए रखें।
- कैल्शियम और विटामिन डी के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें- अध्ययनों से पता चला है कि कैल्शियम की लेने से कोलन एडेनोमा दोबारा न आए इसमें मदद मिल सकती है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि पेट के कैंसर के खिलाफ कैल्शियम के कोई सुरक्षात्मक लाभ हैं या नहीं। अन्य अध्ययनों से पता चला है कि विटामिन डी कोलोरेक्टल कैंसर के खिलाफ एक सुरक्षात्मक प्रभाव हो सकता है।
- यदि आपको हाई रिस्क है, तो इन विकल्पों पर विचार करें- यदि आपके पास कोलन पॉलीप्स का पारिवारिक इतिहास है, तो जेनेटिक काउन्सलिंग कराने पर सोचे। यदि आपको एक वंशानुगत डिसऑर्डर का पता चला है जो कोलन पॉलीप्स का कारण बनता है, तो आपको युवा वयस्कता में शुरू होने वाले नियमित कॉलोनोस्कोपी की आवश्यकता होगी।
उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको कोलन पॉलीप्स या कोलोरेक्टल पॉलीप्स से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। कैंसर की बीमारी की इलाज सावधानी ही है। अगर आप अच्छी लाइफस्टाइल अपनाते हैं और शरीर के बदलते लक्षणों पर ध्यान देते हैं तो कैंसर की बीमारी से आप काफी हद तक बच सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।