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मेल ब्रेस्ट कैंसर के क्या हैं कारण, जानिए लक्षण और बचाव

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/07/2021

    मेल ब्रेस्ट कैंसर के क्या हैं कारण, जानिए लक्षण और बचाव

    मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) अधिकतर मामलों में रेयर होता है। मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) के दौरान पुरुषों के ब्रेस्ट टिशू में अचानक से ग्रोथ शुरू हो जाती है। भले ही हमारे समाज में ये धारणा हो कि ब्रेस्ट कैंसर केवल महिलाओं को ही हो सकता है, लेकिन आपके लिए जानना जरूरी है कि पुरुषों को भी ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) हो सकता है। ओल्डर मैन यानी बुजुर्ग पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। अगर मेल ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण पता चल जाए तो सही समय पर ट्रीटमेंट से बीमारी का इलाज करने में आसानी होती है। जब किसी भी पुरुष में ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोस हो जाता है तो डॉक्टर सर्जरी के माध्यम से कैंसर के टिशू को रिमूव कर देते हैं। मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) की सिचुएशन के अनुसार ही कीमोथेरिपी और रेडिएशन के लिए सजेस्ट किया जाता है।

    पुरुषों में भी स्तन कैंसर होने की संभावना रहती है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, डायग्नोस हो जाने के बाद पांच साल या फिर अधिक दिनों तक इंसान के जीने की संभावना रहती है।

    96% जीने की संभावना तब रहती है जब पुरुष के केवल ब्रेस्ट टिशू कैंसर से इफेक्टेड हुए हैं।

    83% जीने की संभावना तब रहती है जब स्तन के साथ ही आस-पास का एरिया कैंसर की वजह से प्रभावित हुआ हो।

    23%  जीने की संभावना तब रहती है जब मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करें।

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    क्या होते हैं मेल ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण? (Symptoms of Male breast cancer)

    मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer)

    जिस तरह से महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) होने पर स्तन में गांठ महसूस होती है, ठीक उसी प्रकार पुरुषों में भी ब्रेस्ट कैंसर होने पर कुछ लक्षण नजर आते हैं।

    • ब्रेस्ट में दर्दरहित गांठ का बन जाना और टिशू का मोटा हो जाना
    • स्तन की त्वचा में परिवर्तन महसूस होना, त्वचा में लालिमा आ जाना या फिर स्केलिंग दिखना।
    • निप्पल में परिवर्तन आ जाना। निप्पल में लालिमा, स्केलिंग और निप्पल का अंदर की ओर घुस जाना।
    • पुरुषों के निप्पल से डिस्चार्ज का बाहर आना

    किन कारणों से होता है मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer)?

    मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer)

    मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) के कोई तय कारण नहीं है। डॉक्टर्स का मानना है कि जब कुछ सेल्स अचानक से तेजी से डिवाइड होना शुरू हो जाती हैं तो ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन जाती हैं। साथ ही तेजी से बढ़ने वाली कोशिकाएं आसपास की स्वस्थ कोशिकाओं को भी खराब कर देती हैं और संख्या में बढ़ती जाती हैं।

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    पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर या मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) का समझें गणित

    आपके मन में ये सवाल आ सकता है कि जब पुरुषों के स्तन में दूध नहीं बनता और न ब्रेस्ट का विकास होता है तो कैसे ब्रेस्ट कैंसर हो जाता है। आपको बताते चले कि महिलाओं की तरह ही पुरुषों में भी ब्रेस्ट टिशू होते हैं। ब्रेस्ट टिशू में मिल्क प्रोड्यूसिंग ग्लैंड्स (Milk production glands) होती हैं और साथ ही डक्ट भी होती है जोने में हेल्प करती है। प्युबर्टी के समय महिलाओं के ब्रेस्ट टिशू डेवलप होना शुरू हो जाते हैं जबकि पुरुषों में ऐसा नहीं होता है। चूंकि जन्म के समय ही पुरुषों में कुछ ब्रेस्ट टिशू (Breast tissue) होते हैं, इस कारण से ब्रेस्ट कैंसर की संभावना भी होती है।

    मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) के प्रकार निप्पल तक दूध पहुंचा

    • डक्टल कार्सिनोमा यानी मिल्क डक्ट का कैंसर मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) का मुख्य प्रकार है। जिन पुरुषों को भी ब्रेस्ट कैंसर की समस्या होती है, उनमें ये कैंसर मुख्य रूप से पाया जाता है।
    • मिल्क प्रोड्युसिंग ग्लैंड्स यानी लोब्युलर कार्सिनोमा (Lobular carcinoma) से भी कैंसर की शुरुआत हो सकती है। पुरुषों में इस प्रकार का कैंसर रेयर ही होता है क्योंकि उनके स्तन में कम लोब्यूल होते हैं।
    • अन्य प्रकार के कैंसर पुरुषों में रेयर ही होते हैं। पुरुषों के निप्पल में पाई जाने वाली पगेट डिसीज ( Paget’s disease) के कारण निप्पल में सूजन आ जाती है। इस कारण से भी मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) हो सकता है।

    पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क फैक्टर (Risk factors of Male breast cancer)

    मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) का रिस्क समय के साथ ही बढ़ जाता है। यानी ओल्डर एज में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। पुरुषों में 60 साल की उम्र में ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोस (Diagnosis of Breast cancer) किया जा सकता है।

    एस्ट्रोजन के एक्पोजर के कारण

    अगर कोई व्यक्ति एस्ट्रोजन से रिलेटेड ड्रग ले रहा है या फिर कोई हार्मोन रिलेटेड थेरिपी ले रहा है तो उस व्यक्ति में ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है।

    ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री

    अगर परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर रह चुका है तो पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) की संभावना बढ़ जाती है। स्टडी में ये बात सामने आई है कि मोनोपॉज के बाद महिलाओं में मोटापा बढ़ जाता है और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। मोटापे के कारण पुरुषों में भी ब्रेस्ट कैंसर होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। पुरुषों में अधिक वसा एस्ट्रोजेन में कंवर्ट हो जाता है और पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क को बढ़ाने का काम करता है।

    क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम

    क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम के कारण टेस्टिकल्स का एब्नॉर्मल डेवलपमेंट होता है। इस सिंड्रोम के कारण एंड्रोजन हार्मोन कम मात्रा में बनता है और फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन अधिक बनने लगता है। ये भी कैंसर के रिस्क फैक्टर (Risk factor of Cancer) में आता है।

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    पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर का ट्रीटमेंट (Treatment for Male breast cancer)

    पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर की जांच मैमोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, निप्पल डिस्चार्ज टेस्ट और बायोस्पी की हेल्प से की जाती है। कई बार डॉक्टर बायोस्पी के समय ही प्रभावित भाग को हटा देते हैं। ट्यूमर के साइज के अकॉर्डिंग ही ट्रीटमेंट के प्रकार का निर्णय किया जाता है।

    सर्जरी (Surgery)

    मैस्टेक्टोमी (Mastectomy)- इस प्रॉसेस में सर्जन पूरे ब्रेस्ट को निकाल सकता है या फिर कुछ आसपास के टिशू को हटा देता है।

    ब्रेस्ट कंजर्विंग सर्जरी- इसमें सर्जन केवल ब्रेस्ट के कुछ हिस्से को निकाल देता है।

    लिम्फैक्टमी – इस सर्जरी के माध्यम से सर्जन प्रभावित लिम्फ को हटा देता है।

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    रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy)

    कुछ लोगों को सर्जरी के बाद रेडिएशन थेरिपी की जरूरत पड़ सकती है। सर्जरी के बाद अगर कुछ कैंसर सेल्स रह जाती हैं तो रेडिएशन की हेल्प से उसे हटाया जा सकता है। साथ ही एस्ट्रोजन हार्मोन थेरिपी भी दी जा सकती है।

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    कीमोथेरिपी (Chemotherapy)

    मेल ब्रेस्ट कैंसर (Male breast cancer) के दौरान कुछ पुरुषों को कीमोथेरिपी (Chemotherapy) प्रक्रिया की जरूरत भी पड़ सकती है। कीमोथेरिपी की हेल्प से कैंसर सेल्स किल हो जाती हैं। कुछ केस में इंजेक्शन की हेल्प से मेडिसिन दी जाती है, वहीं कुछ केस में मुंह से मेडिसिन दी जाती है। अगर सर्जरी के बाद कीमोथेरिपी दी जाती है तो कैंसर के दोबारा होने की संभावना कम हो जाती है। कीमोथेरिपी के कुछ साइडइफेक्ट भी होते हैं जैसे कि हेयर लॉस (Hair loss), मुंह सूख जाना, वॉमिटिंग, इंफेक्शन (Infection) और ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।

    अगर आपको कभी भी निप्पल में सूजन या फिर ब्रेस्ट के स्थान में दर्द महसूस होता है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। इस बात को नजरअंदाज बिल्कुल भी न करें क्योंकि पुरुषों को भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है।

    डिस्क्लेमर

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