कलर विजन डेफिशिएंसी यानी कि वर्णांधता में एनक्रोमा ग्लास का इस्तेमाल किया जाता है। कलर विजन डेफिशिएंसी से पीड़ित व्यक्ति कलर शेड्स की गहराइयों को नहीं देख पाता है। एनक्रोमा ग्लास इस प्रकार निर्मित ग्लास होते हैं जो व्यक्ति को रंगों में अंतर करने में मदद करते हैं। एनक्रोमा ग्लास का चलन अभी सिर्फ एक दशक पहले से ही प्रचलन में आया है। जो लोग जन्मजात वर्णांध होते हैं, उनके लिए एनक्रोमा ग्लास वरदान की तरह है। वे लोग अपने जीवन में रंगों को देख सकते हैं।
एनक्रोमा ग्लासेस कलर ब्लाइंड (Color blindness) व्यक्ति की मदद कैसे करता है?
एनक्रोमा ग्लास के पीछे की साइंस को समझना जरूरी है कि ये रंगों के साथ काम कैसे करता है। जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि हमारी आंखे तीन रंगों- लाल, हरे और नीले रंग को देख सकती हैं। ये तीनों रंगों के फोटोपिग्मेंट को ही कोन सेल कहते हैं। जब ये फोटोपिग्मेंट सही से काम नहीं करते हैं तो कलर विजन डिफिशियेंसी होती है।
एनक्रोमा ग्लासेस मुख्य रूप से उन डॉक्टर्स के लिए बनाया गया था जो लेजर सर्जरी की प्रक्रिया को करते हैं। जिससे डॉक्टर्स को दिखाई देता है कि लेजर किधर और कितना गहरा जा रहा है। एनक्रोमा ग्लास पर कलर पिग्मेंट की एक ऐसी कोटिंग चढ़ाई जाती है, जिससे रंगों को सही तरीके से देखा जा सके।
2017 में 10 वर्णांध लोगों पर एक रिसर्च की गई। ये लोग लाल और हरे रंगों में अंतर नहीं कर पा रहे थे। इन सभी को एनक्रोमा ग्लासेस लगाने के लिए दिया गया, लेकिन 10 में से सिर्फ 2 लोग ही रंगों में भेद कर सके। इस तरह से रिसर्च में ये परिणाम सामने आया कि जो लोग पूरी तरह से कलर ब्लाइंड हैं, उन पर एनक्रोमा ग्लासेस काम नहीं करते हैं, लेकिन जिन्हें माइल्ड कलर ब्लाइंडनेस की समस्या है, उन पर ही एनक्रोमा ग्लासेस काम करते हैं। हालांंकि अभी भी रिसर्च जारी है कि एनक्रोमा ग्लासेस के अलावा अन्य किस तरीके से कलर ब्लाइंड लोगों के जीवन में रंग भरे जा सकते हैं।
क्या एनक्रोमा ग्लासेस का कोई विकल्प है?
एनक्रोमा ग्लासेस का विकल्प है कलर मैक्स कॉन्टेक्ट लेंस। कलर मैक्स या एक्स-क्रोमा कॉन्टेक्ट लेंस की मदद से भी माइल्ड कलर ब्लाइंड लोगों को रंगों को देखने में मदद मिलती है। इस विषय में अभी तक और ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए किसी भी समस्या के लिए एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
एनक्रोमा ग्लासेस की कीमत क्या है?
एनक्रोमा ग्लासेस ऑनलाइन और चश्मों की दुकानों पर उपलब्ध हैं। इनकी कीमत लगभग 6,000 रूपए से शुरू होती है। क्वालिटी के आधार पर इसके दाम में बढ़ोत्तरी होती है।
महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज्यादा रंग क्यों दिखाई देते हैं?
महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज्यादा रंग दिखाई देते हैं। न्यूकासल यूनिवर्सिटी (Newcastle University) के रिसर्चर का मानना है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को कम रंग दिखाई देते हैं। इसके साथ ही उनका मानना है कि कुछ महिलाओं को 990 लाख रंग दिखाई देते हैं जो आम लोगों के रंग को पहचानने की तुलना में बहुत ज्यादा है। रिसर्च में पाया गया कि दुनिया की 12 प्रतिशत महिलाओं में पुरुषों से ज्यादा रंग देखने की काबिलियत है यह या तो जीन की वजह से है या चौथे कोन सेल्स की वजह से।