धूल और रेत के कण, नाखून, जानवरों के पंजे या किसी बाहरी चीज़ से कॉर्निया में घर्षण यानी खरोंच लग सकती है, इसे कॉर्नियल एबरेशन यानी कार्निया में घर्षण कहते हैं। कई बार कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से भी कॉर्निया में घर्षण या असहजता महसूस हो सकती है। अधिकांश खरोंच मामूली होती है जो जल्द ठीक हो जाती है।
कई बार कॉर्निया में घर्षण के साथ ही आंखों में सूजन भी हो जाता है, इसे आइरिटिस कहते हैं। कॉर्नियल एब्रेशन में इंफेक्शन के कारण कॉर्नियल अल्सर भी हो सकता है। यह सब गंभीर स्थितिया हैं जो कॉर्निया में घर्षण से उत्पन्न होती है।
कॉर्निया में घर्षण क्यों होता है?
कोई भी वस्तु जो आंखों के सामने वाली सतह के सीधे संपर्क में आती है कॉर्निया में घर्षण या खरोंच का कारण बन सकती है। पेड़ की शाखाएं, पेपर, मेकअप ब्रश, पालतू जानवर, नाखून, कार्यस्थल पर मौजूद कचरे का ढेर, खेल के उपकरण आदि आंखों के सामने की सतह के सीधे संपर्क में आने पर खरोंच का कारण बन सकते हैं। अधिकांश समय कॉर्निया में घर्षण किसी बड़ी घटना जैसे आंख में कोई चीज़ चुभने से नहीं, बल्कि मिट्टी, रेत आदि के कण जाने से होता है। स्थिति तब और बिगड़ जाती है जब आप आंखों को हाथ से मलते हैं। ड्राई आंखें भी कॉर्निया में घर्षण की संभावना को बढ़ा देते हैं, खासतौर पर जब आप नींद से जगते हैं। यदि सोते समय आपकी आंखें ड्राई हो जाती है तो इस दौरान पलकें आंखों की सतह पर चिपक जाती हैं। ऐसे में जब आप उठते हैं और आंखें खोलने की कोशिश करते हैं तो पलकों से कॉर्निया में घर्षण होता है।
यदि कॉन्टैक्ट लेंस ठीक से फिट नहीं हुआ है या वह गंदा या क्षतिग्रस्त है तो इससे कॉर्निया में खरोंच आ सकती है। इसलिए कॉन्टैक्ट लेंस को देर तक और सोते समय न पहनें।