बैक्टीरिया से होने वाले कन्जंक्टिवाइटिस में आंख में लालिमा नहीं पाई जाती है। आंख से आंसू निकलना या फिर डिस्चार्ज निकलने की समस्या हो सकती है। डिस्चार्ज सफेद, हरा या पीले रंग का हो सकता है।
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कन्जंक्टिवाइटिस का ट्रीटमेंट
कन्जंक्टिवाइटिस होने पर अगर आपको आंखों में अधिक समस्या महूसस हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर एक बार एलर्जी टेस्ट भी करके देख सकता है। कन्जंक्टिवाइटिस के इलाज के लिए ये जानकारी बहुत जरूरी है कि ये किस कारण से हुआ है। एलर्जी, बैक्टीरिया या वायरस के कारण होने वाले इंफेक्शन का पता लग जाने के बाद डॉक्टर ट्रीटमेंट करता है। वैसे तो कन्जंक्टिवाइटिस गंभीर समस्या नहीं होती है। ये कुछ दिनों के बाद अपने आप ही सही हो जाती है। अगर किसी भी व्यक्ति को कन्जंक्टिवाइटिस है तो उन लोगों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि किसी और को ये समस्या न हो सके। अपने हाथों को बार-बार धुलना चाहिए। आंखों को रगड़ना नहीं चाहिए। ऐसे में कॉन्टेक्ट लेंस, आई मेकअप से दूर रखना चाहिए। ऐसा करके आप दोबारा संक्रमण से बच सकते हैं।
कॉर्नियल अल्सर (Corneal ulcer) क्या है ?
कॉर्नियल अल्सर कॉर्निया पर लगे घाव को कहा जाता है। कॉर्निया में घाव ज्यादातर मामलों में बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होता है। कई बार इंजरी, ट्रॉमा और किसी प्रकार के डैमेज के कारण भी कॉर्नियल अल्सर की समस्या हो सकती है। कॉर्नियल अल्सर के कारण भी आंख में लालिमा दिख सकती है। साथ ही आंखें लाइट के प्रति सेंसिटिव हो जाती हैं।
कॉर्नियल अल्सर की समस्या उन लोगों में भी पाई जाती है, जिन लोगों में आईलिड डिसऑर्डर, कोल्ड सोर की समस्या या फिर कॉन्टेंक्ट लेंस पहनते हो। कॉन्टेंक्ट लेंस के कारण आंख की सतह में रगड़ लग सकती है और साथ ही एक्सटर्नल सेल्स डैमेज हो सकती है। ऐसे में बैक्टीरिया आसानी से आंखों में जा सकता है।
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कॉर्नियल अल्सर के लक्षण
- आंख में लालिमा
- आंख में दर्द
- आईज में सोरनेस प्रॉब्लम
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
- आई डिस्चार्ज की समस्या
- दिखने में समस्या होना
- कॉर्निया में सफेद धब्बा महसूस होना
कॉर्नियल अल्सर के कारण
- कवक (Fungi) की वजह से
- पैरासाइट्स या परजीवी
- वायरस
- ड्राई आईज
- एलर्जी
- अधिक संक्रमण के कारण
- कॉर्निया में बर्न के कारण
अगर कॉर्नियल अल्सर का सही समय पर इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है। किसी भी प्रकार की समस्या दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए ?
वैसे तो आंख में लालिमा आने पर ज्यादातर मामलों में गंभीर समस्या नहीं होती है। फिर भी समस्या गंभीर लग रही है तो मेडिकल अटेंशन होना बहुत जरूरी होता है।
- अगर आंख में लक्षण एक हफ्ते से ज्यादा दिखें
- आंख से देखने में समस्या महसूस हो रही हो तो
- आंख में दर्द महसूस हो
- लाइट के प्रति आंखों का सेंसिटिव होना
- एक या फिर दोनों आंखों से डिस्चार्ज निकलना
- कोई ऐसी दवा जिससे ब्लड थिन हो गया हो जैसे हेपरिन या वारफेरिन
इमरजेंसी होने पर
आंखों में लालिमा कई बार गंभीर कारणों से भी हो सकती है, ऐसे में तुरंत आंखों का इलाज कराना चाहिए।
- जब ट्रॉमा या इंजरी के बाद आंख लाल हो जाए
- सिरदर्द की समस्या या ब्लरी विजन हो जाए
- लाइट में वाइट रिंग्स दिखना
- मतली और उल्टी का एहसास होना
अगर आपको कभी भी आंख में चोट लगे या फिर आंख में लालिमा की समस्या महसूस हो तो डॉक्टर को एक बार जरूर दिखाएं। हो सकता है कि आपको ज्यादा समस्या न हो, फिर भी एक बार चेकअप जरूर करा लीजिए। गंभीर समस्या होने पर आंखों की रोशनी जानी का खतरा भी हो सकता है।