नेत्रहीन लोगों के लिए एक ऐसी पाठन सामग्री को ढूंढ पाना काफी मुश्किल होता है, जिसे वह आसानी से पढ़ सकें। भारत में लाखों लोग नेत्रहीन हैं, जिनके पास ब्रेल लिपि में पर्याप्त पाठन सामग्री उपलब्ध नहीं है। उपन्यास, अन्य प्रकार की कुछ सामग्री ही ब्रेल भाषा (Braille Language) में उपलब्ध है।
नेत्रहीन लोग इंटरनेट का भी इस्तेमाल करने में असमर्थ हैं। यहां तक कि एक नेत्रहीन स्क्रीन रीडिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उनके लिए इसे चालान आसान कार्य नहीं है। खासकर उस स्थिति में जब उस वेबसाइट को ऐसे फॉर्मेट में न बनाया गया हो। नेत्रहीन लोगों को फोटो को समझने के लिए तस्वीरों के संक्षिप्त वर्णन पर निर्भर रहना पड़ता है। अक्सर ज्यादातर वेबसाइट तस्वीर के संक्षिप्त वर्णन को ठीक से मुहैया नहीं कराती हैं।
कपड़ों को लगाने में बड़ी समस्या
जैसा कि ज्यादातर नेत्रहीन लोग किसी वस्तु के आकार पर निर्भर रहते हैं ऐसे में उनके लिए लॉन्ड्री या कपड़ों को अरेंज करना एक कठिन कार्य होता है। हालांकि, ज्यादातर नेत्रहीन लोग अपनी तकनीक से कम से कम खुद के कपड़ों को अरेंज कर लेते हैं। फिर भी उनके लिए यह एक मुश्किल काम है। कपड़ों के जोड़े बनाना उनके लिए एक साहस का कार्य है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि वह कपड़ों के रंग को नहीं देख सकते।
रोजगार में बड़ी समस्या
नेत्रहीन लोगों के लिए अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए रोजगार एक बड़ी चुनौती है। ज्यादातर एंप्लॉयर नेत्रहीन लोगों के स्वभाव और उनकी कार्यक्षमता को समझ नहीं पाते हैं। ऐसे एंप्लॉयर्स को नेत्रहीन लोगों की कार्यकुशलता और क्षमता पर अविश्वास रहता है। इस वजह से अक्सर नेत्रहीन लोगों को नौकरी ढूंढने में समस्या का सामना करना पड़ता है। दफ्तर में भी उन्हें अपने सहकर्मियों कुछ समस्याएं पेश आती हैं।
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एटीएम से पैसा निकालना जटिल
नेत्रहीन लोगों के लिए बैंकों द्वारा जगह-जगह पर मुहैया कराए गए एटीएम का प्रयोग कर पाना एक मुश्किल कार्य होता है। नेत्रहीन एटीएम का उपयोग करने के लिए माइक्रोफोन का इस्तेमाल करते हैं, जिससे वह मशीन से आने वाली आवाजों के माध्यम से इसका उपयोग कर पाते हैं। कई बार इन मशीनों पर ब्रेल भाषा का भी बटन होता है, लेकिन दृष्टि से अक्षम लोगों के लिए इसका उपयोग कर पाना मुश्किल होता है। कुछ मशीनों में ध्वनियां या आवाजें नहीं आती हैं, जिनके चलते दृष्टिहीन इन एटीएम का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। देखने में यह समस्या आपको बेहद ही साधारण लगेगी, लेकिन दृष्टिहीन व्यक्ति के लिए यह कभी न खत्म होने वाली एक चुनौती है।
दृष्टिहीनता के आंकड़े
अक्टूबर 2019 में जारी किए गए एक सर्वे के मुताबिक, भारत में 2007 से दृष्टिहीनता में 47 % तक की कमी आई है। यह आंकड़े राष्ट्रीय दृष्टिहीनता और दृष्टिबाधित सर्वेक्षण 2019 में सामने आये हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2020 तक दृष्टिहीन लोगों की कुल आबादी में 0.3 % की कटौती का लक्ष्य रखा है।
कुल संख्या में, दृष्टिहीनता से पीड़ित लोगों का आंकड़ा 2006-07 में 1.2 करोड़ था, जो 2019 में घटकर 48 लाख पर आ गया है। हालांकि, अभी भी केटरेक्ट (Cataract) दृष्टिहीनता का सबसे सामान्य कारण ( 66.2 %) बना हुआ है। इसके बाद कोरनियल दृष्टिहीनता (7.4 %) का स्थान आता है। इसके बावजूद केटरेक्ट सर्जरी की वजह से दृष्टिहीन होने वाले लोगों का आंकड़ा 7.2 % बढ़ा है। यह सर्वेक्षण केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने जारी किया था।
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मदद करने वाले लोग भी बन जाते हैं परेशानी
कई बार आप किसी दृष्टिहीन व्यक्ति को देखते ही उसकी मदद के लिए आतुर हो जाते हैं। बगैर यह जानें कि उन्हें मदद की आवश्यकता है या नहीं। यह एक स्वभाविक प्रतिक्रिया है। कुछ ऐसे भी कार्य होते हैं, जिन्हें एक दृष्टिहीन व्यक्ति स्वयं कर सकता है। ऐसे में यदि आप उनसे बिना इजाजत लिए मदद के लिए तैयार हो जाते हैं तो उनके आत्मविश्वास में कमी आती है। उन्हें ऐसा लगता है कि वो अन्य लोगों पर निर्भर हैं। अपनी दिनचर्या के कुछ कार्यों को भले ही दृष्टिहीन लोग धीरे-धीरे पूरा करें, लेकिन इसका यह मतलब नहीं की वह पूरी तरह से असमर्थ हैं।
यदि आप बिना किसी दृष्टिहीन की इजाजत के उसकी मदद के लिए तैयार हो जाते हैं तो आप कहीं न कहीं उसे स्वतंत्र रूप से उन कार्यों को पूरा करने के तरीको को सीखने से रोकते हैं। इससे उन्हें खुद से सीखने अनुभव नहीं मिलता। अंतरराष्ट्रीय ब्रेल दिवस (World Braille Day)) पर हम यही कहेंगे कि किसी भी दृष्टिहीन व्यक्ति को दूसरों पर निर्भर न बनाएं, बल्कि उन्हें खुद से सीखने का मौका जरूर दें। दृष्टिहीन व्यक्ति की मदद करने से पहले एक बार उनसे पूछें जरूर।
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