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तेज आवाज से डर- फोनोफोबिया
इस तरह के भय को फोनोफोबिया कहा जाता है, जो अधिकतर छोटे बच्चों में देखने को मिलता है। ऐसे लोग अचानक तेज आवाज से डर जाते हैं। तेज आवाज से डरने वाले लोगों को घर से बाहर निकलने या लोगों से घुलने-मिलने में समय लगता है।
बच्चों का यह भय उम्र के बढ़ने के साथ-साथ ठीक हो जाता है लेकिन अगर बड़ो में यह समस्या हो तो ऐसे लोग किसी भी पार्टी, फंक्शन या घर से बाहर तक जाने में घबराते हैं। इस समस्या का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी परेशानी कितनी बड़ी है। इसके उपचार में एक्सपोजर और टॉक थेरेपी दी जाती है, ताकि रोगी इस समस्या से जल्दी बाहर आ सके।
ऊंचाई से डर- एक्रोफोबिया
ऊंचाई से डर लगने को एक्रोफोबिया भी कहा जाता है। कई लोगों को ऊंचाई से इतना अधिक भय होता है कि वो मॉल में एस्केलेटर्स का प्रयोग भी नहीं करते। हालांकि, इस भय को वर्टिगो से जोड़ कर देखा जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है, यह दोनों अलग-अलग हैं। (वर्टिगो का पता लगाने के लिए डॉक्टर इलेक्ट्रोनिस्टेग्मोग्राफी रिकमेंड करते हैं)
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उड़ने का डर- एरोफोबिया
उड़ने के डर को एविओफोबिया या एरोफोबिया भी कहा जाता है, इसमें रोगी को जहाज में बैठने से डर लगता है। उन्हें लगता है कि कहीं उनका प्लेन क्रैश न हो जाए और उनकी मृत्यु न हो जाए।
रेंगने वाले कीड़ों का डर- एंटोमोफोबिया
रेंगने वाले कीड़ों से डर लगने को एंटोमोफोबिया कहा जाता है। दरअसल, कीड़े जैसे मकड़ी, छिपकली आदि छोटे होते हैं और अधिकतर काटते हैं। इसलिए ज्यादातर लोग इन्हें पसंद नहीं करते और इनसे डरते हैं।
सांप का डर- ओफिडीओफोबिया
सांपों से डर लगने को ओफिडीओफोबिया कहा जाता है। सांप देखने में भयंकर होते हैं और काटते भी हैं। इनके काटने से मृत्यु भी हो सकती है इसलिए लोग इनसे डरते हैं।
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कुत्तों से डर- साइनोफोबिया
कई लोगों को अक्सर कुत्तों से डर लगता है जिसे साइनोफोबिया कहा जाता है। इस मानसिक स्थिति में व्यक्ति कुत्तों के भौंकने या कुत्तों के आसपास होने पर भी डर जाता है। साइनोफोबिया वाले लोग कुत्तों से जितना भी संभव हो दूर रहने की कोशिश करते हैं। इसके लक्षण आमतौर पर 10 से 13 साल की उम्र के बीच दिखाई देते हैं।
फोबिया होने के लक्षण कैसे पहचानें?
फोबिया के लक्षणों को पहचानने के लिए आप इसे दो भागों में बांट सकते हैं। पहला स्पेस्फिक फोबिया और दूसरा सोशल फोबिया। फोबिया का दौरा पड़ने पर लोगों में तनाव, बेचैनी, बहुत ज्यादा पसीना आना, सांस फूलना, परिस्थिति से दूर भागने की कोशिश करना, सिर में भारीपन महसूस करना, कानों में अलग-अलग तेज आवाजें सुनाई देना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, डायरिया होना, चक्कर आना, शरीर में कहीं भी दर्द महसूस करना, पेट खराब हो जाना, ब्लड प्रेशर बढ़ना या कम हो जाना जैसी स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती है।