के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist
ब्लड कल्चर टेस्ट एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है जो शरीर के सिस्टमिक इंफैक्शन का पता लगाता है । ये एक ऐसा इंफैक्शन है जिसका असर पूरे शरीर पे होता है ना कि किसी एक हिस्से पे । लैब में ब्लड सैंपल के द्वारा बैक्ट्रिया और यीस्ट नामक फंगस की जांच की जाती है ।
यदि टेस्ट में इनमें से कोई फंगस पाया जाता है तो ये ब्लड इंफेक्शन का लक्षण होता है। इस कंडिशन को बैक्टीरिमिए (bacteremia)कहते है। आसान शब्दों में कह सकते हैं कि पॉजिटिव ब्लड कल्चर का मतलब है ब्लड में बैक्टीरिया होना। यह इंफेक्शन ब्लड के जरिए पूरे शरीर में फैल जाता है। यह बैक्टीरिया स्किन, लंग्स, यूरिन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट से शुरू होते हैं। ये रक्त संक्रमण के सामान्य स्त्रोत हैं।
ब्लड कल्चर कराने की डॉक्टर तब सलाह देते हैं जब उन्हें मरीज में ब्लड इंफेक्शन होने की संभावना होती है। ब्लड इंफेक्शन के लिए टेस्ट कराना बहुत जरूरी है क्योंकि यह घातक रूप भी ले सकता है। ब्लड इंफेक्शन से होने वाली एक ऐसी परेशानी है सेप्सिस। इस टेस्ट की रिपोर्ट आने पर डॉक्टर यह जान पाएंगे कि कौन सा ओरगेनिस्म या बैक्टीरिया रक्त संक्रमण का कारण बन रहा है और इसका बेस्ट ट्रीटमेंट क्या है।
यदि आप के अंदर सिस्टमिक इंफैक्शन के लक्षण हैं तो आपको इस टेस्ट की जरूरत हो सकती है इनमें शामिल हैं:
ब्लड कल्चर और सेंसिटिविटी टेस्ट निमोनिया जैसे संक्रमण की पुष्टि करने और उनके निदान में पूरी तरह से कारगर सिद्ध होता है ।
यदि समय रहते ब्लड इंफेक्शन का ट्रीटमेंट न किया जाए तो यह घातक बीमारी सेप्सिस का रूप ले सकता है। इससे शरीर के किसी अंग के खराब होने का भी खतरा रहता है। सेप्सिस के निम्नलिखित लक्षण हैं:
यदि डॉक्टर को लगता है कि आप को निमोनिया हुआ है तो इसे कन्फर्म करने के लिए, वह आपके बलगम का टेस्ट कराने के निर्देश दे सकता है । इस टेस्ट को ग्राम स्टेन टेस्ट के नाम से जाना जाता है और ये इस बात का पता लगाता है कि आपको इंफैक्शन क्यों हुआ है ।
आपका एक संवेदनशीलता या सेंसबिलिटी टेस्ट भी हो सकता है जिससे पता चलता है कि आपके इंफैक्शन को खत्म करने के लिए कौन सी एंटीबायोटिक दी जा सकती है ।
आपके ब्लड कल्चर टेस्ट के पहले या उसके साथ में एक कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) टेस्ट भी हो सकता है जिससे व्हाइट ब्लड सेल्स के हाई लेवल का पता चलता है । व्हाइट ब्लड सेल्स का हाई लेवल संक्रमण का संकेत हो सकता है।
इस बात को और पुख़्ता करने के लिए आपका डॉक्टर यूरिन टेस्ट के लिए भी निर्देश दे सकता है ।
ब्लड कल्चर टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आने के बाद भी, यदि आपके अंदर इंफैक्शन के सिम्टम्स नजर आ रहे है तो एन्टीबायोटिक लेने के कुछ समय बाद आपको फिर से ब्लड कल्चर टेस्ट कराना चाहिए, इस बात को कन्फर्म करने के लिए की इंफैक्शन पूरी तरह से खत्म हो गया है ।
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टेस्ट में इंजेक्शन का इस्तेमाल होने से मामूली जोखिम की संभावना है, जैसें, ब्लीडिंग, इंफैक्शन, हल्की चोट। जब सुई आपके हाथ के किसी हिस्से में इंजेक्ट की जाती है तो हल्का डंक या दर्द महसूस हो सकता है।
टेस्ट से पहले आपको किसी प्रकार की विशेष तैयारी की जरूरत नही है
एंटीबायोटिक दवाएं संक्रमित बैक्टीरिया के विकास को धीमा कर सकती है । टेस्ट से ठीक पहले एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन आपके टेस्ट रिजल्ट को प्रभावित कर सकता है । ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करे ।
आमतौर पे , डॉक्टर आपकी बांह की अलग अलग नसों से इंजेक्शन द्वारा दो ब्लड सैंपल कलेक्ट करेगा । दो ब्लड सैंपल लेने से सटीक रिजल्ट प्राप्त होने की ज्यादा संभावना होती है ।आगे की कारवाई में ब्लड सैंपल को जांच के लिए लैब भेज दिया जाएगा ।
लैब में ब्लड सैंपल को कल्चर नामक एक पदार्थ के साथ रखा जाता है जो बैक्टीरिया या खमीर के विकास को बढ़ावा देता है।
शुरुआती रुझान 24 घंटों में उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन आपके इंफैक्शन के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया या खमीर का पता लगाने में 48 से 72 घंटे तक का समय लग सकता है ।
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एक पॉजिटिव रिजल्ट का मतलब है कि आपके ब्लड में बैक्टीरिया या खमीर मौजूद हैं। एक नेगेटिव रिजल्ट का मतलब है कि ब्लड में किसी भी बैक्टीरिया या खमीर के कोई लक्षण नहीं पाए गए है।
आपकी आयु, सेक्स, हेल्थ हिस्ट्री, टेस्ट करने दौरान उपयोग की जाने वाली विधि और अन्य चीजों के आधार पर टेस्ट रिजल्ट भी अलग अलग हो सकते हैं।
टेस्ट रिजल्ट का ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आपको कोई समस्या है। अपने टेस्ट रिजल्ट के विषय मे बेहतर जानकारी और समझ के लिए अपने डॉक्टर से बात करे ।
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