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जेनिटल हर्पीज (Genital Herpes)
जेनिटल हर्पीज सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन (STI) है। ये जननांग में होने वाला दाद है, जो कि दर्द का कारण बनता है। 14 साल से 49 साल के करीब 16 प्रतिशत लोगों को ये बीमारी होती है। हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस (herpes simplex virus) के कारण जेनिटल हर्पीज इन्फेक्शन होता है। ये वायरस म्युकस मेंबरेन की हेल्प से शरीर में घुसता है। ये वायरस नाक, मुंह और जननांग में पाया जा सकता है। ये वायरस मुख्य रूप से सलाइवा, सीमन और वजायनल सिकरीशन में मौजूद होता है। जननांग पर छाले और जननांग के आसपास खुजली, सिरदर्द, यूरिन पास करते समय दर्द होना इस संक्रमण के लक्षण हैं।
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ट्राइकोमोनिएसिस (Trichomoniasis) रोग
ट्राइकोमोनिएसिस यौन संचारित रोग है। ये इन्फेक्शन महिलाओं में बेहद आम है। पुरुषों के मुकाबले ये संक्रमण महिलाओं में अधिक होता है। ये संक्रमण अनसेफ सेक्स के कारण होता है। ओरल, वजायनल और एनल सेक्स के माध्यम से ये संक्रमण फैलता है। इस बीमारी के लक्षण कई बार नहीं दिखाई पड़ते हैं। कुछ महिलाओं को वजायना से बदबू, यूरिन पास करते समय जलन, पेट के निचले हिस्से में दर्द, जननांग में खुजली का एहसास हो सकता है।
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory Disease)
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज फीमेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन का संक्रमण है। सेक्शुअली ट्रांसमिटेड बैक्टीरिया वजायना से यूटरस में फैलता है। ये संक्रमण फैलोपियन ट्यूब या ओवरी तक पहुंच सकता है। पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होने पर महिलाओं को पेल्विक ऑर्गन में दर्द का एहसास होता है। संक्रमण के कारण महिलाओं को कंसीव करने में भी समस्या हो सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज मौत का कारण भी बन सकती है। पीठ के निचले हिस्से में दर्द का एहसास, डिस्चार्ज से गंध आना, थकान का एहसास, असामान्य पीरियड्स, यूरिन बार-बार आना, सेक्स के बाद ब्लीडिंग आदि लक्षण दिख सकते हैं।
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एचआईवी या एड्स (HIV/AIDS) से होने वाला संक्रमण
ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस यानी एचआईवी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर वार करता है। इस वायरस के कारण एड्स की बीमारी हो जाती है। एड्स की बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने का अभी तक कोई भी ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं है। इस बीमारी के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। यह यौन संचारित रोग है। एड्स जानलेवा बीमारी है। इस बीमारी से बचने के लिए बीमारी के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। असुरक्षित यौन संबंध के कारण ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। अगर यौन संबंध बनाते समय सावधानी रखी जाएं, तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।
एचआई के संक्रमण के कारण व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं।
- फीवर
- थकान
- कमजोरी
- डायरिया
- वेट लॉस
- ओरल यीस्ट इन्फेक्शन
- निमोनिया
- हार्पीस जोस्टर
एचसीवी इन्फेक्शन (HCV Infection)
असुरक्षित वजायनल या एनल सेक्स, इंजेक्शन या निडिल शेयर करने से, स्मोकिंग के दौरान इक्युप्मेंट शेयर करने से, संक्रमित खून के चढ़ाए जाने से एचसीवी इन्फेक्शन हो सकता है। प्रेग्नेंट मां से बच्चे को भी हो सकता है। एजसीवी इन्फेक्शन (HCV Infection) होने पर आमतौर पर लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। एससीवी संक्रमण के सेकेंड स्टेज में पहुंचने से लिवर डैमेज का खतरा बढ़ जाता है। करीब 30 प्रतिशत लोग बिना ट्रीटमेंट के ही ठीक हो जाते हैं। डॉक्टर जांच के साथ ही लिवर बायोस्पी भी कर सकता है। अगर समय पर एचसीवी इन्फेक्शन के बारे में जानकारी मिल जाए, तो बीमारी का इलाज किया जा सकता है।
अन्य STIs और STDs (STIs and STDs)
यहां हमने आपको सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन और डिजीज के बारे में जानकारी दी। ऐसी ही अन्य बीमारियां भी हैं, जो यौन संक्रमण का कारण बनती हैं। शैंक्रॉइड (chancroid) सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन है। जननांग में घाव, वजायनल डिस्चार्ज में बदबू या अधिक वजायनल डिस्चार्ज की समस्या, यूरिनेशन के दौरान जलन की समस्या होती है। शैंक्रॉइड इन्फेक्शन वजायनल सेक्स, एनल सेक्स, स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट आदि माध्यम से फैल सकता है। शैंक्रॉइड इन्फेक्शन का ट्रीटमेंट डॉक्टर एंटीबायोटिक की हेल्प से करते हैं।
प्यूबिक लाइस (Pubic Lice) की समस्या क्रैब्स इंसेक्ट के कारण होती है। क्रैब्स गुप्तांगों के बालों में पैदा होते हैं और खून चूसने के साथ ही जननांग में खुजली और जलन की समस्या पैदा करते हैं। इस बीमारी को प्यूबिक लाइस(Pubic Lice) कहा जाता है। जिन लोगों को सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन होता है, उन लोगों में ये बीमारी आम होती है। प्यूबिक लाइस सेक्शुअल एक्टीविटी के दौरान ज्यादा फैलते हैं। ये जननांग में लाल चकत्ते और घाव का कारण बनते हैं। इनसे बचाव के लिए आपको कपड़ों, बेड आदि की हाइजीन का ख्याल रखना होगा। साथ ही जिन लोगों को प्यूबिक लाइस की समस्या है, उनके संपर्क में नहीं आना चाहिए। डॉक्टर इस बीमारी से छुटकारे के लिए आपको लोशन, ओटीसी दवाएं और शैम्पू दे सकते हैं। लोशन को प्रभावित क्षेत्र में लगाएं और दवाओं का पूरा कोर्स करें। सेफ सेक्स आपको बीमारी से बचाने का काम करेगा।
सेक्शुअल हेल्थ (sexual health) से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके
क्लैमाइडिया (chlamydia) से बचाव के लिए बरतें सावधानी
क्लैमाइडिया से बचाव के लिए आपको किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर आपकी जांच करेंगे, साथ ही आपके पार्टनर को भी जांच कराने की सलाह देंगे। डॉक्टर संक्रमण को दूर करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने की सलाह देंगे। डॉक्टर पेशेंट को कुछ दिनों तक सेक्स न करने की सलाह भी दे सकते हैं। संक्रमण ठीक हो जाने के बाद डॉक्टर दो से तीन महीने के अंतराल में फिर से टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते हैं।
सिफिलिस (Syphilis) से बचाव के लिए कराएं टेस्ट
सिफिलिस के संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए जरूरी है कि सही समय पर इलाज कराया जाए। अगर आपको गुप्तांग में खुजली या फिर यूरिन पास करते समय दिक्कत लगे, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। डॉक्टर गुप्तांग की जांच करेंगे। डॉक्टर टेस्ट के लिए ब्लड टेस्ट की सलाह भी दे सकते हैं। सिफिलिस के संक्रमण से छुटकारे के लिए डॉक्टर आपको कुछ दिनों के लिए दवा खाने की सलाह देंगे। दवा की खुराक को अधूरा न छोड़ें। कंसीव करने से पहले अपनी जांच जरूर कराएं। सेफ सेक्स की हेल्प से आप संक्रमण से बच सकते हैं। आपको सिफिलिस इन्फेक्शन के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
गोनोरिया (Gonorrhea) से बचने के लिए लें एंटीबायोटिक्स
अगर आपको गोनोरिया के लक्षण जैसे कि एनल या योनी में खुजली महसूस होती है या फिर यूरिन करते समय दर्द होता है, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। पुरुषों और महिलाओं में एनल ब्लीडिंग भी हो सकती है, जो कि गोनोरिया का लक्षण है। डॉक्टर जांच के लिए सैंपल टेस्ट कर सकते हैं। डॉक्टर यूरिन सैंपल टेस्ट करते हैं। गोनोरिया के इलाज के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक टैबलेट खाने की सलाह देंगे। आपको डॉक्टर की सलाह माननी चाहिए और दवा का पूरा कोर्स करना चाहिए। साथ ही सेक्स के दौरान सावधानी बरतें। ओरल सेक्स को बिना सावधानी के नहीं करना चाहिए।
जेनिटल हर्पीज (Genital Herpes) से बचाव
जेनिटल हर्पीज महिला या पुरुष में होने वाला वायरल इन्फेक्शन है। जब भी आपको योनी के आसपास दर्द का एहसास, छाले या फिर चकत्ते का एहसास हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ये बीमारी तेजी से फैलती है। इस कारण से यूरिन पास करते समय बहुत दर्द भी हो सकता है। डॉक्टर फिजिकल टेस्ट की हेल्प से इस बीमारी की जांच करते हैं। वायरल इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए डॉक्टर एंटीवायरल दवा भी देते हैं। डॉक्टर सप्रेसिव थेरिपी या एपिसोडिक थेरिपी भी दे सकते हैं। ये संक्रमण प्रेग्नेंट महिला से बच्चे को भी हो सकता है। अगर यौन संबंध बनाने के दौरान सावधानी रखी जाए, तो यौन संचारित रोगों से बचा जा सकता है।
कॉन्डम का यूज बचाएगा ट्राइकोमोनिएसिस (Trichomoniasis) से
ट्राइकोमोनिएसिस से बचाव के लिए बीमारी के बारे में पता चलना बहुत जरूरी है। अगर हल्के लक्षण दिखने पर ही महिलाएं या फिर पुरुष जांच करा लेते हैं, तो दवाइयों के माध्यम से इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है। डॉक्टर पेल्विक टेस्ट, फ्लूड कल्चर के माध्यम से बीमारी की जांच करते हैं। अगर आपको ट्राइकोमोनिएसिस संक्रमण है, तो डॉक्टर दवाओं के सेवन के साथ ही कुछ सावधानियां रखने की सलाह भी दे सकते हैं। कॉन्डम का उपयोग कर आप खुद के संक्रमण से दूर रख सकते हैं। अगर आपको संक्रमण के लक्षण दिखें, तो अपने पार्टनर की भी जांच कराएं।
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory Disease) से बचाव के लिए तुरंत कराएं टेस्ट
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के लक्षणों के आधार पर डॉक्टर यूरिन टेस्ट, पेल्विक एग्जाम कर सकते हैं। यूरिन टेस्ट और ब्लड टेस्ट के माध्यम से डब्लूबीसी की जांच की जाती है। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और लेप्रोस्कोपी की हेल्प भी ले सकते हैं। संक्रमण को दूर करने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स करने की सलाह देंगे। इस बीमारी से बचने के लिए सेक्स के दौरान कॉन्डम का यूज करें। अपने पार्टनर के साथ ईमानदार रहें और सेक्स के दौरान सावधानियां जरूर बरतें। इन बातों का ध्यान रख आप इस बीमारी से बच सकते हैं।
एचआईवी या एड्स (HIV/AIDS) का नहीं है इलाज, रखें सावधानी
अगर आपको एचआईवी के लक्षण दिखाई पड़ते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। एचआईवी प्रेग्नेंट मां से बच्चे तक पहुंच सकता है। साथ ही ये वायरस ब्रेस्टफीडिंग से भी बच्चे तक पहुंच सकता है। एचआईवी CD4 T सेल्स को खत्म करने का काम करता है। हमारे शरीर में वाइट ब्लड सेल्स बीमारी से लड़ने का काम करती हैं। एड्स की बीमारी से बचने के लिए असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं। उपयोग में लाई गई सुई यानी इंजेक्शन का यूज नहीं करना चाहिए। ब्लड डोनेशन से पहले खून की जांच की जाती है। अगर गलती से संक्रमित व्यक्ति का खून किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को चढ़ा दिया जाता है, तो स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमण हो सकता है। एचआईवी से बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। सावधानी ही आपको इस वायरस से बचा सकती है।
एचसीवी इन्फेक्शन (HCV Infection) से बचाव
एचसीवी इन्फेक्शन से बचने के लिए सावधानी बहुत जरूरी है। अभी तक इस बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन नहीं बनी है। प्रेग्नेंट महिला से ये इन्फेक्शन बच्चे तक पहुंच सकता है। जिन लोगों को एचसीवी इन्फेक्शन है, उन्हें अपना ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए। टैटू बनवाने से पहले निडिल के बारे में जानकारी लें कि कहीं पहले ये यूज तो नहीं की जा चुकी है। सेफ सेक्स की हेल्प से आप कई बीमारियों से बच सकते हैं।
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सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के लिए डायग्नोसिस और टेस्ट्स (Sexually transmitted diseases Diagnosis and Tests)
ज्यादातर केस में डॉक्टर यौन संचारित रोगों को लक्षणों के आधार पर डायग्नोस नहीं कर पाते हैं। डॉक्टर टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। डॉक्टर सेक्शुअल हिस्ट्री के बारे में भी पूछ सकते हैं। कुछ मामलों में तो लोगों को संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आते हैं। ऐसे में जांच जरूरी हो जाती है। जानिए यौन संक्रमण को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर कौन से टेस्ट कर सकते हैं।
- यूरिन टेस्ट
- ब्लड टेस्ट
- एचपीवी टेस्ट
- स्वैब (Swabs)टेस्ट
- फिजिकल एक्जामिनेशन
डॉक्टर यौन संचारित रोग होने पर पैप स्मीयर भी कर सकते हैं लेकिन ये एसटीआई (STI) टेस्ट नहीं है। पैप स्मीयर सर्वाइकल कैंसर और एनल कैंसर की जांच के लिए किया जाता है। जिन महिलाओं को HPV-16 या HPV-18 इन्फेक्शन होता है, उन्हें सर्वाइकल कैंसर का अधिक खतरा रहता है। डॉक्टर सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर (Pap smear) करते हैं। बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से अपनी समस्या के बारे में बताएं, वो आपको जरूरी टेस्ट के बारे में जानकारी देंगे।
जानिए सेक्शुअल हेल्थ को लेकर हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह
फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड के कंसल्सटेंट साइकेट्रिस डॉ. संजय कुमावत के अनुसार, “सेक्शुअल एक्ट में प्यार, एक्साइटमेंट और उत्तेजना शामिल है। आपके विचार ही साथी के साथ यौन संबंध को संतोषजनक बनाते हैं और ये बहुत महत्वपूर्ण हैं।’ अच्छे यौन संबंध बनाने के लिए आपको इन सुझावों को जरूर पढना चाहिए।