परिचय
ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट क्या है?
ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट एक तरह का ब्लड टेस्ट है। इस टेस्ट का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि खून में ग्रोथ हॉर्मोन की कितनी मात्रा है। ग्रोथ हॉर्मोन शरीर की वृद्धि के लिए जिम्मेदार होता है। इसके साथ ही शरीर के मेटाबॉलिजम को भी ठीक तरह से रखने के लिए जिम्मेदार होता है। खून में ग्रोथ हॉर्मोन की मात्रा भावनात्मक तनाव, नींद, एक्सरसाइज और डायट के आधार पर बदलती रहती है।
कुछ लोगों में ग्रोथ हॉर्मोन की ज्यादा मात्रा होने से वह सामान्य से कुछ ज्यादा ही लंबे होते हैं। वहीं, जिनमें ग्रोथ हॉर्मोन की मात्रा कम होती है तो ऐसे लोग बौनेपन का शिकार हो जाते हैं।
वहीं, दूसरी तरफ ग्रोथ हॉर्मोन की ज्यादा मात्रा पिट्यूट्री ग्लैंड में नॉनकैंसरस ट्यूमर बनाता है। वहीं, ज्यादा ग्रोथ हॉर्मोन खून में होने से चेहरा, जबड़े, हाथ और पैर सामान्य से ज्यादा लंबे होने लगते हैं।
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ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट क्यों किया जाता है?
ग्रोथ हॉर्मोन स्टीम्यूलेशन टेस्ट तब किया जाता है, जब बच्चे में ग्रोथ हॉर्मोन की कमी के लक्षण सामने आने लगते हैं। जैसे :
- बचपन से ही बच्चे की वृद्धि दर कम होना
- हमउम्र बच्चों से बच्चे की लंबाई का छोटा होना
- प्यूबर्टी आने में देरी होना
- हड्डियों का देर से विकास होना
बड़ों का ग्रोथ हॉर्मोन स्टीम्यूलेशन टेस्ट तब किया जाता है, जब उनमें निम्न लक्षण दिखाई देते हैं। इसे हाइपोपिट्यूटेरिजम कहते हैं। जैसे :
- हड्डियों की सघनता में कमी आना
- थकान होना
- हाई कोलेस्ट्रॉल होना
- एक्सरसाइज करने में कमी आना
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जानिए जरूरी बातें
ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
ग्रोथ हॉर्मोन पिट्यूट्री ग्लैंड से स्रावित होता है। इसलिए समय के साथ-साथ खून में उसके मात्रा में बदलाव आते रहते हैं। यही कारण है कि एक ही सैंपल से बार-बार टेस्ट करना ज्यादा मददगार नहीं होगा। क्योंकि सुबह के समय ग्रोथ हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में स्रावित होता है और एक्सरसाइज और तनाव के कारण उसके लेवल में बदलाव होता रहता है। इसलिए एक जैसा रिजल्ट आना संभव नहीं है। कुछ फैक्टर ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित करते हैं :
- कुछ दवाएं जो ग्रोथ हॉर्मोन के लेवल को बढ़ा देती है (एम्फेटाएमाइन्स, डोपामिन, एस्ट्रोजंस, ग्लूकागॉन, हिस्टामिन, इंसुलिन आदि)
- कुछ दवाएं ग्रोथ हॉर्मोन के लेवल को घटाते हैं (कॉर्टिकोस्टेरॉइड और फेनोथियाजिन्स)
- कभी-कभी ग्रोथ हॉर्मोन की कमी किसी के छोटे कद के लिए जिम्मेदार नहीं होता है। बल्कि उसका पारिवारिक इतिहास भी वृद्धि कम होने के लिए जिम्मेदार होता है। किसी तरह के जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण भी वृद्धि बाधित होती है।
- टेस्ट कराने से पहले डॉक्टर आपको कुछ समय के लिए फास्ट रखने के लिए बोलेगा।
- इस टेस्ट को कराने से 12 घंटे पहले से विटामिन बायोटिन और बी 7 को न लें।
- यदि आप कोई ऐसी दवा का सेवन कर रहे हैं जिससे आपके टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं तो उन्हें न लें।
ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट कितनी तरह से होता है?
- ग्रोथ हॉर्मोन सीरम टेस्ट
- इंसुलिन ग्रोथ फैक्टर-1 टेस्ट
- ग्रोथ हॉर्मोन सप्रेशन टेस्ट
- ग्रोथ हॉर्मोन स्टिम्युलेशन टेस्ट
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प्रक्रिया
इस टेस्ट के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?
ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट कराने से पहले आपके डॉक्टर आपको कुछ निर्देश दे सकते हैं :
- टेस्ट कराने से कुछ घंटे पहले से कुछ भी न खाएं
- अगर आप किसी भी तरह की दवा ले रहे हैं तो टेस्ट कराने से पहले आप डॉक्टर से बात कर लें
- टेस्ट कराने से पहले एक्सरसाइज न करें
- ऐसी दवाएं लेना बंद कर दें जो ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकता है।
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ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट में होने वाली प्रक्रिया क्या है?
ग्रोथ हॉर्मोन खून में काफी तेजी से बदलता है। ऐसे में सटीक रिजल्ट आना संभव ही नहीं है। इसलिए आपको लगातार कई बार टेस्ट अलग-अलग दिनों पर टेस्ट कराना पड़ सकता है। इंसुलिन-लाइक ग्रोथ फैक्टर 1 लेवल (IGF-1) धीरे-धीरे बदलता है और पहले इसी का टेस्ट किया जा सकता है।
- सबसे पहले हेल्थ प्रोफेशनल आपके बाजू (Upper Arm) में एक इलास्टिक बैंड बांधेंगे। जिससे आपके खून का प्रवाह रूक जाएगा।
- फिर जहां से खून निकालना होगा वहां पर एल्कोहॉल से साफ करते हैं।
- आपके हाथ की नस में सुई डाल कर खून निकाल लेते है।
- निकाले हुए खून को एक ट्यूब में भर कर सुरक्षित रख देंगे।
- जहां से खून निकालते हैं, वहां पर रूई से दबा देते हैं ताकि खून बहना बंद हो जाए।
ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट के बाद क्या होता है?
ब्लड का सैंपल लेने के बाद उसे जांच के लिए लैब में भेज दिया जाएगा। टेस्ट के बाद आप तुरंत सामान्य हो जाएंगे। आप चाहे तो तुरंत घर जा सकते हैं। किसी भी तरह की समस्या होने पर आप हेल्थ प्रोफेशनल से तुरंत बात करें। ब्लड टेस्ट का रिजल्ट आपको जल्द से जल्द मिल जाएगा।
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परिणाम
ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है?
नॉर्मल
अगर रिजल्ट में नॉर्मल लिखा है तो इसे रेफ्रेंस रेंज कहते हैं। ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट का रिजल्ट अलग-अलग लैब का अलग-अलग आ सकता है। इसलिए आप रिजल्ट को अपने डॉक्टर से जरूर समझ लें।
ग्रोथ हॉर्मोन (GH)
पुरुष : 5 ng/mL (nanograms per milliliter) से कम होता है
महिला : 10 ng/mL से कम होता है
बच्चे : 20 ng/mL से कम होता है
ग्रोथ हॉर्मोन की ज्यादा मात्रा
ज्यादा मात्रा में ग्रोथ हॉर्मोन स्रावित होने पर एक्रोमेग्ली हो जाता है। ऐसे लोगो का शरीर सामान्य की तुलना में अधिक लंबा होता है। ग्रोथ हॉर्मोन का हाई लेवल होने पर डायबिटीज, किडनी संबंधी रोग या भूखमरी हो सकती है।
ग्रोथ हॉर्मोन की कम मात्रा
ग्रोथ हॉर्मोन की कम मात्रा ग्रोथ हॉर्मोन डिफिसिएंसी को दिखाता है। इस अवस्था को हाइपोपिटिटारिज्म कहा जाता है।
वहीं, बता दें कि ग्रोथ हॉर्मोन की रिपोर्ट हॉस्पिटल और लैबोरेट्री के तरीकों पर निर्भर करती है। इसलिए आप अपने डॉक्टर से टेस्ट रिपोर्ट के बारे में अच्छे से समझ लें।
अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इस लेख में हमने आपको ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट से जुड़ी सभी जानकारी देनी की कोशिश की है। यदि आपको इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी चाहिए तो आप कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।
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