परिचय
डेंटल इम्प्लांट सर्जरी क्या है?
डेंटल इम्प्लांट का मतलब है दांतों का प्रत्यारोपण। ये एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दांतों की जड़ों को मेटल के साथ लगाया जाता है। इसमें डैमेज दांत या टूटे दांतों को हटा कर डेंटिस्ट आर्टिफिशियल दांतो को स्क्रयू के साथ लगाते हैं। ये आर्टिफिशियल दांत देखने में असली दांतों की तरह लगते हैं। डेंटल इम्प्लांट सर्जरी में डेंटिस्ट आर्टिफिशियल दांतों की एक पंक्ति को मसूड़ों में फिट करते हैं।
वहीं, डेंटल इम्प्लांट सर्जरी कैसे करनी है ये आपके मुंह और मसूड़ों की हड्डियों की स्थिति पर निर्भर करता है। साथ ही इन सर्जरी को करने के अलग-अलग तरीके हैं। डेंटल इम्प्लांट सर्जरी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि मुंह को लगाए गए नए दांतों से ठोस आधार मिलता है। वहीं, सर्जरी के बाद इसे ठीक होने में वक्त (कई महीने) लगता है।
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डेंटल इम्प्लांट सर्जरी की जरूरत कब होती है?
सर्जरी की जरूरत क्यों और कब होती है, ये जानने से पहले आपको दांतों के बारे में जानना जरूरी है। समय के साथ हमारे दांत कमजोर हो जाते हैं या तो किसी कारण से डैमेज हो जाते हैं। जिससे दांतों की जड़े टूट जाती है और दांत निकल जाते हैं। ऐसे में डेंटल इम्प्लांट सर्जरी करना एक विकल्प के रूप में सामने आता है। सर्जरी के द्वारा आपके मसूड़ों में टाइटेनियम (titanium) का स्क्रयू लगा कर आर्टिफिशियल दांत लगाए जाते हैं। इसके अलावा डॉक्टर पूरा का पूरा दंत विन्यास (dentures) भी लगाते हैं।
इन परिस्थितियों में डेंटल इम्प्लांट सर्जरी करना आपके लिए सही हो सकता है :
- एक या एक से ज्यादा दांतों का न होना
- जबड़ों की हड्डियों के सही विकास के लिए
- नकली दांतों को लगाने में परेशानी होना
- अपने बोलने के तरीके को सुधारने के लिए
- मुंह के टिशू को सही या स्वस्थ्य करना हो
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जोखिम
डेंटल इम्प्लांट सर्जरी करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
डेंटल इम्प्लांट सर्जरी की सफलता जबड़ों की स्थिति पर निर्भर करती है। आमतौर पर 98% डेंटल इम्प्लांट सर्जरी सफल रहती है और ये जीवन भर चलती है। सर्जरी के बाद दांतों का सही से ध्यान रखने पर समस्याएं नहीं होती है। इसके अलावा डेंटल इम्प्लांट के लिए व्यक्ति के पास स्वस्थ्य जबड़े होने चाहिए। साथ ही दांतों को संभालने के लिए पर्याप्त हड्डी की जरूरत भी होती है। ज्यादा स्मोकिंग करने वाले लोग अनियंत्रित क्रॉनिक डिसऑर्डर होता है, जैसे- डायबिटीज और हृदय संबंधी रोग। इसके अलावा अगर आप किसी तरह की रेडिएशन थेरिपी ले रहे हैं तो आपको डेंटल इम्प्लांट कराने से पहले डेंटिस्ट से बात करनी चाहिए।
ज्यादातर लोगों को इम्प्लांटेशन कराने में थोड़ा असहज (discomfort) महसूस होता है। वहीं, कुछ लोगों को मसूड़ों और जबड़े को सून्न करने के बाद भी हल्का दर्द महसूस होता है।
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डेंटल इम्प्लांट सर्जरी के क्या साइड इफेक्ट्स और समस्याएं हो सकती हैं?
अमूमन डेंटल इम्प्लांट सर्जरी में रिस्क बहुत ही कम होते हैं। लेकिन, अगर किसी तरह की कोई परेशानी होती भी है तो वह नाम मात्र की होती है। जैसे :
- इम्प्लांट किए गए स्थान पर संक्रमण होना
- डेंटल इम्प्लांट के दौरान खून की नस या आसपास के दांत का डैमेज होना
- नर्व डैमेज होने से वास्तविक दांतों, मसूड़े, होंठ और ठोड़ी में दर्द, सुन्नपन या झुनझुनाहट महसूस होना
- अगर डेंटल इम्प्लांट ऊपरी जबड़े में हो रहा है तो साइनस की समस्या हो सकती है
इसलिए आपको सर्जरी से पहले इम्प्लांटेशन से पहले सभी तरह के साइड इफेक्ट्स, समस्याएं और सावधानियों के बारे में अपने डेंटिस्ट से जरूर बात कर लेनी चाहिए।
प्रक्रिया
डेंटल इम्प्लांट सर्जरी के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?
डेंटल इम्प्लांट कराने के दौरान एक या उससे ज्यादा सर्जरी होती है, इसलिए आपको अपने डेंटिस्ट से मिल कर सर्जरी प्लान करनी चाहिए। सर्जरी से पहले डॉक्टर आपके मुंह, दांतों और जबड़े का एक्स-रे लेते हैं। इसके बाद आप और डेंटिस्ट मिल कर तय करें कि आपको कितने दांतों का इम्प्लांटेशन कराना है। उस हिसाब से डेंटिस्ट तय करेंगे कि आपके दांतों के साथ कैसे काम करना है।
डॉक्टर को अपनी दवाओं (जो आप पहले से ले रहे हो), सप्लिमेंट, विटामिन, एलर्जी और हेल्थ कंडीशन के बारे में बताएं। इसके साथ ही आप अपने एनेस्थेटिस्ट से भी मिलें और सर्जरी के दौरान बेहोश या सुन्न करने की प्रक्रिया भी प्लान करें। साथ में आप अपने डॉक्टर से जान लें कि आपको सर्जरी से पहले क्या खाना पीना चाहिए। इसके अलावा आप अपने ये भी पूछ लें कि सर्जरी से कितने घंटे पहले से खाना पीना बंद करना है। परिवार के लोगों को भी आप डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के बारे में बता दें।
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डेंटल इम्प्लांट सर्जरी में होने वाली प्रक्रिया क्या है?
इम्प्लांट प्रक्रिया को शुरू करने से पहले आपके डेंटिस्ट अपनी पूरी टीम को आपके दांतों के इम्प्लांटेशन के बारे में बताते हैं। साथ ही इम्प्लांट करने के उस तरीके को बताते हैं जिससे आपकी सर्जरी में आसानी हो। इसके बाद आर्टिफिशियल दांत के जड़ को इम्प्लांट किया जाता है। जिसमें डेंटिस्ट टाइटेनियम का बना हुआ स्क्रयू जबड़े की हड्डियों में फिट किया जाता है। नकली या आर्टिफीशियल दांत को क्राउन कहते हैं। जैसे-जैसे जबड़े की हड्डियों में बने घाव भरते जाते हैं, वैसे-वैसे दांतों में मजबूती आती जाती है। इस प्रक्रिया को होने में लगभग छह से बारह हफ्ते लगते हैं।
जबड़े में दांत को इम्प्लांट कर के एक छोटा सा कनेक्टर लगाया जाता है, जिसे अबटमेंट (Abutment) कहा जाता है। अबटमेंट के मदद से असली दांत से आर्टिफीशियल दांत को जोड़ा जाता है ताकि दोनों के बीच में गैप न रह जाए। इस प्रक्रिया को कहने के लिए पहले डॉक्टर आपके दांतों का इम्प्रेशन लेते हैं। जिसके आधार पर आपका दंत विन्यास (Dentures) बनाया जाता है। जिसे अबटमेंट की मदद से इम्प्लांट किया जाता है। इसके साथ ही डेटिस्ट आर्टिफीशियल दांत के रंग को आपके वास्तविक दांतों के रंग से मिलाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि ये देखने और फंक्शन में आपके असली दांतों की तरह होते हैं।
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डेंटल इम्प्लांट सर्जरी के बाद क्या होता है?
ज्यादातर लोगों का डेंटल इम्प्लांटेशन सफल रहता है। लेकिन, कुछेक मामलों में जबड़े की हड्डी मेटल को सही से नहीं पकड़ पाती है तो डेंटल इम्प्लांट फेल हो जाता है। ऐसे में डॉक्टर इम्प्लांट को निकाल देते हैं और फिर दो से तीन महीने बाद आपको दोबारा इम्प्लांटेशन करना होगा। अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो भी आपका डेंटल इम्प्लांट फेल हो सकता है। किसी भी तरह की समस्या होने पर अपने डॉक्टर से जरूर साझा करें।
रिकवरी
डेंटल इम्प्लांट सर्जरी के बाद मुझे खुद का ख्याल कैसे रखना चाहिए?
आप अपने डेंटल इम्प्लांट के साथ अपने प्राकृतिक दांतों की तरह की काम कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा :
- मुंह की सफाई की विशेष ध्यान रखें। जैसे आप अपने प्राकृतिक दांतों की सफाई करते है वैसे ही मसूड़ों और आर्टिफीशियल दांतों को साफ करें। सर्जरी के बाद दांतों को साफ करने के लिए आपको स्पेशल डिजाइन ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए। जो दांतों के बीच में भी सफाई कर सके।
- डेंटिस्ट से अपने दांतों की जांच लगातार कराते रहें। इससे इम्प्लांटेशन के बाद होने वाले बदलाव आदि के बारे में पता चलेगा।
- सर्जरी के बाद इम्प्लांट किए गए दांतो से आप कुछ कड़ी चीजें न चबाएं। जैसे- बर्फ या हार्ड कैंडी आदि। ऐसा करने से क्राउन टूट सकता है।
- सर्जरी के बाद तंबाकू और कैफीन का सेवन करने से बचे।
- अगर आपको दांत पीसने की आदत है तो आप सर्जरी के समय या बाद में इसका इलाज जरूर कराएं।
अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने सर्जन से जरूर पूछ लें।
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