4. पैनोरामिक एक्स-रे (Panoramic X-rays):
पैनोरामिक एक्स-रे आपके पूरे मुंह के परीक्षण के लिए उपयोग किया जाता है। इससे उभरे हुए दांत, उभरते हुए दांत और प्रभावित दांत की स्थिति को देखने में सहायता मिलती है।
5. एक्स्ट्राओरल एक्स-रे (Extraoral X-rays):
एक्स्ट्राओरल एक्स-रे का उपयोग जबड़े और खोपड़ी के परीक्षण के लिए किया जाता है। ये एक्स-रे इंट्रोरल एक्स-रे की तरह ज्यादा डिटेल प्रदान नहीं करते हैं। इसलिए इनका उपयोग कैविटीज का पता लगाने या दांतों की समस्याओं की पहचान करने के लिए नहीं किया जाता है। एक्स्ट्राओरल एक्स-रे का उपयोग दांतों के विकास और प्रभावित दांत से संबंधित जबड़े की स्थिति के परीक्षण में किया जाता है। इसके साथ ही दांतों और जबड़ों के बीच संभावित समस्याओं की पहचान करने के लिए या चेहरे की अन्य हड्डियों की जांच में किया जाता है।
डेंटल एक्स-रे की जरूरत क्यों पड़ती है?
डेंटल एक्स-रे (Dental X-Ray) के द्वारा दांतों की उन जगहों में मौजूद सड़न देखी जा सकती है, जिन्हें हम आंखों से नहीं देख सकते जैसे-दांतों के बीच की सड़न। मसूड़े से संबंधित बीमारी, दांतों में इंफेक्शन, रूट कनाल के दौरान हुई परेशानी, ब्रेसेस, डेंचर या अन्य तमाम दांत से जुड़ी समस्याएं भी डेंटल एक्स-रे के द्वारा जानी जा सकती हैं।
डेंटल एक्स-रे कितनी बार करवाना चाहिए?
डेंटल एक्स-रे यह पूरी तरह से दांतों की स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ लोगों को प्रत्येक छह माह में डेंटल एक्स-रे करवाना पड़ता है जबकि कुछ ऐसे भी होते हैं, जो नियमित डेंटिस्ट के पास जाते हैं, उन्हें कभी डेंटल एक्स-रे (Dental X-Ray) की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।
डेंटल एक्स-रे के उपयोग से दांतों की स्थिति का सटीक पता लगाने के लिए किया जाता है। वास्तव में डेंटिस्ट इस बात पर जोर देते हैं कि डेंटल एक्स-रे आवश्यक हो तभी कराना चाहिए। छोटी मोटी समस्याओं को बिना एक्स-रे भी निपटाया जा सकता है।
आपको बता दें कि यदि आप डेंटल केयर ठीक से करेंगे तो शायद डेंटल एक्सरे की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। यहां हम आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं जिससे आपके दांत स्वस्थ रहेंगे। जानते हैं उनके बारे में।