और पढ़ें: Lymphoma: लिम्फोमा क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
फैक्टर VII डेफिसिएंशी (Factor VII deficiency Diagnosis) के बारे में पता कैसे चलता है?
फैक्टर VII डेफिसिएंशी के बारे में बर्थ के पहले पता चल सकता है यदि फैमिली हिस्ट्री हो तो। ऐसा होने पर प्रेग्नेंसी के 15-20 वें हफ्ते में टेस्ट करवाया जाता है।
वहीं शिशुओं के जन्म के बाद ब्रेन के अंदर ब्लीडिंग (इंट्राक्रैनियल हैमरेज) या गर्भनाल काटने के बाद अत्यधिक ब्लीडिंग या खतना जैसी सर्जरी के बाद होने वाली लगातार ब्लीडिंग क्लॉटिंग डिसऑर्डर (Bleeding clotting disorder) के प्रति इशारा करती है।
बड़े बच्चों और व्यस्कों में इस ब्लड डिसऑर्डर का पता चोट लगने या ऑपरेशन या इंजरी के दौरान होने वाली ब्लीडिंग से लगता है। फैक्टर VII डेफिसिएंशी को मासिक धर्म और डिलिवरी की वजह से पुरुषों की तलुना में महिलाओं में जल्दी डायग्नोस कर लिया जाता है। फैक्टर VII डेफिसिएंशी (VII deficiency) के बारे में ब्लड टेस्ट के द्वारा भी पता किया जा सकता है। टेस्ट में इस बात का पता लगाया जाता है कि ब्लड का थक्का बनने में कितना समय लग रहा है। इसके बाद आगे की जांच की जाती है।
डॉक्टर ब्लड में फैक्टर VII के लेवल के बारे में भी पता करने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही वे जीन म्यूटेशन (Gene mutation) को भी पहचानने की कोशिश करेंगे। जिससे आगे की पीढ़ी को इस बीमारी से बचाया जा सके। इमैजिंग स्केन जैसे कि एमआरआई, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड स्कैन्स की मदद से इंटरनल ब्लीडिंग के बारे में जानकारी प्राप्त की जाएगी।
और पढ़ें: नॉरमोसाइटिक एनीमिया: क्या एनीमिया के इस प्रकार के बारे में जानते हैं आप?
अन्य टेस्ट
इसके अलावा निम्न टेस्ट फैक्टर VII डेफिसिएंशी की जांच के लिए किए जाते हैं।
- फैक्टर एसेज (Factor Assays) की मदद से मिसिंग या कम परफॉर्म करने वाले फैक्टर्स के बारे में पता किया जाता है।
- प्रोथ्रोम्बिन टाइम (Prothrombin time) की मदद से फंक्शनिंग फैक्टर्स I, II, V, VII, और X के बारे में पता किया जाता है।
- इंहिबिटर टेस्ट्स (Inhibitor tests) की मदद से यह पता लगाया जाता है कि कहीं मरीज का इम्यून सिस्टम क्लॉटिंग फैक्टर्स पर अटैक तो नहीं कर रहा।
फैक्टर्स VII डेफिसिएंशी का इलाज कैसे किया जाता है? (Factor VII deficiency treatment)
फैक्टर्स VII डेफिसिएंशी के लक्षण अगर परेशानी का कारण नहीं बन रहे, VII का लेवल बहुत कम रिड्यूस हुआ है तो ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। कई मामलों में रोकथाम के बजाय लक्षणों के इलाज के लिए ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है। ट्रीटमेंट का उद्देश्य मिसिंग या कम हुए VII फैक्टर को मानव निर्मित सब्सिट्यूट से इंजेक्शन के जरिए रिप्लेस करना है।
- वहीं ब्लीडिंग एपिसोड्स के दौरान क्लॉटिंग फैक्टर्स को बूस्ट करने के लिए क्लॉटिंग एजेंट दिए जा सकते हैं।
- ब्लीडिंग को कंट्रोल करने के बाद VII फैक्टर के प्रोडक्शन और फंक्शनिंग को प्रभावित करने वाली डिजीज या इसका कारण बनने वाली दवाओं की मॉनटरिंग की जाती है।
- सर्जरी के दौरान डॉक्टर एक्सेसिव ब्लीडिंग को कम करने के लिए ड्रग्स को प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।
- फैक्टर VII डेफिसिएंशी का सामना कर रहे व्यक्ति को नॉन स्टीरियोडल एंटी इंफ्लामेटरी ड्रग्स का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये ब्लीडिंग का रिस्क बढ़ाने का काम करती हैं। इनकी जगह दूसरे पेन रिलीविंग मेथड को अपनाना चाहिए।
- पेनफुल स्वेलिंग से बचने के लिए इंजेक्शन का उपयोग भी स्किन के अंदर करना चाहिए ना कि मसल्स के अंदर।
- फैक्टर VII डेफिसिएंशी से पीड़ित व्यक्ति को रेगुलर डॉक्टर विजिट करनी चाहिए। ताकि यह पता चल सके कि ट्रीटमेंट के प्रति रिस्पॉन्स कैसा है और किसी प्रकार साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहा।
और पढ़ें: Megaloblastic Anemia: मेगालोब्लास्टिक एनीमिया क्या है? जानिए इसके लक्षण और इलाज
फैक्टर VII डेफिसिएंशी के मरीज इन बातों का रखें विशेष ध्यान (Factor VII deficiency syndrome)
फैक्टर VII डेफिसिएंशी का सामना कर रहे व्यक्ति का नॉर्मल लाइफ स्पेन होता है। बस कुछ एक्टिविटीज को अवॉयड करना चाहिए जो निम्न हैं।
- ऐसे खेलों को अवॉयड करें जिनके कारण हेड इंजरी (Head injury) हो सकती है।
- किसी प्रकार की सर्जरी या प्रेग्नेंसी प्लानिंग करने पर फैक्टर VII डेफिसिएंशी के बारे में डॉक्टर को बताएं ताकि इसके बारे में एडवांस में प्लानिंग की जा सके।
- यह एक जेनेटिक बीमारी है जो पेरेंट्स से बच्चे में पास होती है। इसलिए फैमिली प्लानिंग के पहले डॉक्टर से इसके बारे में काउंसलिंग कर लें।
- इस बीमारी का सामना कर रहे लोगों को लाइफ लॉन्ग मॉनिटरिंग की जरूरत होती है। इसलिए नियमित रूप से डॉक्टर के संपर्क में रहें।
उम्मीद हैं कि आपको फैक्टर VII डेफिसिएंशी (Factor VII Deficiency) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।