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ब्लीडिंग डियाथिसिस क्या है? लक्षण, कारण और बचने के उपाय

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/05/2021

    ब्लीडिंग डियाथिसिस क्या है? लक्षण, कारण और बचने के उपाय

    ब्लीडिंग डियाथिसिस (Bleeding Diathesis) का अर्थ है आसानी से खून बहने या चोट लगने की प्रवृत्ति यानी कि ब्लीडिंग डिसऑर्डर। ज्यादातर ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स (Bleeding disorders) का कारण ब्लड क्लॉट का आसानी से और उचित प्रकार से नहीं बनना होता है। ब्लीडिंग डियाथिसिस के लक्षण माइल्ड से लेकर सीवियर तक हो सकते हैं। ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स के कारणों में इंजरी के कारण ब्लीडिंग होना, जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण ब्लीडिंग, किसी ड्रग या हर्बल के प्रति रिस्पॉन्स ,ल्यूकेमिया आदि निम्न शामिल हैं। इस आर्टिकल ब्लीडिंग डियाथिसिस के बारे में विस्तार से जानेंगे।

    ब्लीडिंग डियाथिसिस के लक्षण (Bleeding Diathesis Symptoms)

    लक्षण ब्लीडिंग डियाथिसिस के कारण पर निर्भर करते हैं। इसके सामान्य लक्षणों में निम्न शामिल हैं।

    वहीं महिलाओं में ब्लीडिंग डिसऑर्डर (Bleeding disorder in women)या ब्लीडिंग डियाथिसिस (Bleeding Diathesis) के लक्षण निम्न प्रकार के होते हैं।

    • पीरियड्स के दौरान 7 दिन से ज्यादा समय तक हैवी ब्लीडिंग (Heavy bleeding) होना।
    • ब्लीडिंग के साथ ब्लड क्लॉट्स पास होना।
    • हर घंटे में पैड बदलने की जरूरत महसूस होना ब्लीडिंग की वजह से डेली एक्टिविटीज जैसे कि घर के काम, स्कूल जाना, एक्सरसाइज आदि प्रभावित होना।

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    ब्लीडिंग डियाथिसिस के कारण क्या हैं? (Bleeding Diathesis Causes)

    ब्लीडिंग डियाथिसिस/Bleeding diathesis

    ब्लीडिंग डियाथिसिस (Bleeding Diathesis) के सबसे आम कारणों में प्लेटलेट डिसऑर्डर्स (Platelet disorders) हैं, जो कि अपने आप हो सकते हैं। ये हमेशा विरासत में नहीं मिलते। प्लेटलेट्स बोन मेरो (Bone Marrow) कोशिकाओं के टुकड़े होते हैं जो ब्लड क्लॉट बनाने में मदद करते हैं। बॉडी 13 क्लॉटिंग फैक्टर्स (Clotting factors) को प्रोड्यूस करती है। यदि उनमें से किसी में भी कोई कमी होती है, तो क्लॉटिंग प्रभावित होती है। जिसकी वजह से माइल्ड, मॉडरेट या सीवियर ब्लीडिंग डिसऑर्डर हो सकता है। कुछ ब्लीडिंग डिसऑर्डर या ब्लीडिंग डियाथिसिस जैसे कि हीमोफीलिया (Hemophilia) अपने आप या इंहेटिटेड भी हो सकते हैं। अन्य ब्लीडिंग डिसऑर्डर दूसरी कई कंडिशन्स जैसे कि एनीमिया, सिरोसिस, ल्यूकेमिया और विटामिन के की डेफिसिएंशी के कारण हो सकते हैं। इसके अलावा इनका कारण कुछ दवाइयां जो कि खून को पतला कर देती हैं जैसे कि एस्पिरिन, हेपारिन और वारफारिन शामिल हैं। इसके अलावा ब्लीडिंग डियाथिसिस के कारण निम्न हो सकते हैं।

    • वॉन विलेब्रांड रोग (Von Willebrand disease)- इसमें खून में विलेब्रांड प्रोटीन कम हो जाता है। जिससे ब्लड क्लॉट नहीं बन पाते।
    • क्रोमोसोमल सिंड्रोम (Chromosomal syndrome)- इसमें टर्नर सिंड्रोम, डाउन सिंड्रोम आदि शामिल हैं। क्रोमोसोमल असामान्यताएं असामान्य प्लेटलेट काउंट के कारण ब्लीडिंग डिसऑडर्स का कारण बनती हैं।
    • वैस्कुलर ब्लड वैसल्स एब्नॉर्मलटीज (Vascular (blood vessel) abnormalities)- इस आनुवंशिक विकार के कुछ रूपों को त्वचा की सतह के पास रक्त वाहिकाओं के दृश्य गठन की विशेषता होती है, जिसे टेलैंगिएक्टेसिया (Telangiectases) कहा जाता है।

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    ब्लीडिंग डियाथिसिस का पता कैसे चलता है? (Bleeding Diathesis Diagnosis)

    ब्लीडिंग डियाथिसिस (Bleeding Diathesis) का माइल्ड केस होने पर इसके बारे में पता लगाना मुश्किल हो सकता है। अगर ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है। अगर ब्लीडिंग डियाथिसिस का इलाज न किया जाए तो यह खतरनाक हो सकता है। डॉक्टर से संपर्क करने पर वह एक डिटेल्ड मेडिकल हिस्ट्री के जरिए इसके बारे में पता करने की कोशिश करेगा। जिसमें पहले कभी किसी प्रकार की ब्लीडिंग हुई थी या परिवार के किसी सदस्य को ऐसी कोई समस्या है इसके बारे में जानकारी ली जाती है। साथ ही अगर आप किसी प्रकार का स्पेशल ट्रीटमेंट ले रहे हैं, तो इसकी जानकारी भी डॉक्टर को देना होगी।

    इसके साथ ही डॉक्टर त्वचा में होने वाली असमानताओं का पता लगाने के लिए फिजिकल एग्जामिनेशन करेंगे। बच्चों में इन ब्लीडिंग डिसऑर्डर (Bleeding disorders in children) की जांच करने के लिए कुछ शारीरिक लक्षणों के बारे में पता किया जाता है।

    ब्लीडिंग डियाथिसिस/ Bleeding Diathesis

    इसके अलावा डॉक्टर सीबीसी (CBC) ब्लड टेस्ट भी रिकमंड कर सकते हैं। जिसके जरिए प्लेटलेट्स, ब्लड वेसल्स और कोगुलनेशन प्रोटीन के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है। डॉक्टर मरीज की ब्लड क्लॉटिंग क्षमता की भी जांच करते हैं और क्लॉटिंग फैक्टर डेफिसिएंशी का परीक्षण करते हैं। इसके अलावा वे ब्लड डिजीज, लिवर डिजीज और ब्लीडिंग डिसऑर्डर का कारण बनने वाली दूसरी बीमारियों की भी जांच कर सकते हैं। इसके अलावा जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic testing) भी की जा सकती है। ब्लीडिंग डियाथिसिस का पता लगाने के लिए कोई एक पर्टिकुलर टेस्ट नहीं है। इसको पूरी तरह से एनालिसिस करने में टाइम लग सकता है। इसलिए इस दौरान मरीज को धैर्य के साथ टेस्ट करवाना होगा।

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    ब्लीडिंग डियाथिसिस का इलाज कैसे होता है? (Bleeding Diathesis treatments)

    ब्लीडिंग डियाथिसिस का इलाज इसकी स्थिति और गंभीरता पर निर्भर करता है। कुछ ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स के लिए क्लॉटिंग फैक्टर कॉन्स्ट्रेटर (clotting factor concentrates) होते हैं जिन्हें ब्लीडिंग को रोकने या इलाज करने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं। कुछ महिलाएं जो ब्लीडिंग डियाथिसिस (Bleeding Diathesis) का सामना कर रही होती हैं वे हैवी पीरियड्स को मैनेज करने के लिए हॉर्मोन थेरिपी (बर्थ कंट्रोल पिल्स) का सहारा लेती हैं। दूसरे ब्लीडिंग डिसऑडर्स के लिए टॉपिकल प्रोडक्ट्स जैसे कि नेजल स्प्रे, फ्रोजन प्लाज्मा का सहारा लिया जाता है।

    • वही विटामिन के की डेफिसिएंशी होने पर विटामिन के सप्लिमेंट्स मददगार हो सकते हैं।
    • अगर ब्लीडिंग डियाथिसिस का कारण किसी प्रकार की कोई दवा है, तो उसका डोज एडजस्ट किया जाता है।
    • वहीं कुछ ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स का इलाज एंटीफायब्रिनोलिटिक्स (Antifibrinolytics) के जरिए किया जाता है। ये दवाएं ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर्स के ब्रेकडाउन को धीमा करने में मदद करती हैं।

    क्या ब्लीडिंग डिसऑर्डर को रोका जा सकता है? (How to prevent Bleeding Diathesis)

    ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स (Bleeding disorders) को होने से रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन कुछ नियमों का पालन कर इनसे राहत जरूर प्राप्त की जा सकती है।

    • ओरल हायजीन (Oral hygiene) का ख्याल रखकर मसूड़ों की ब्लीडिंग को रोका जा सकता है।
    • किसी प्रकार की नॉनस्ट्रेरियोडल एंटी इंफ्लामेटरी ड्रग का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।
    • ऐसी एक्सरसाइज को अवॉइड करें जो ब्लीडिंग या चोट का कारण बन सकती हैं।
    • असामान्य ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
    • स्पोर्ट के दौरान प्रोटेक्टिव क्लॉथ या इक्विपमेंट का उपयोग करें।
    • अगर आप ब्लीडिंग डियाथिसिस (Bleeding Diathesis) का सामना कर रहे हैं, तो किसी प्रकार की सर्जरी, डिलिवरी के पहले डॉक्टर को इसके बारे में जरूर बताएं ताकि वे उसके हिसाब से एहतियात बरत सकें।
    • अगर बच्चे में ब्लीडिंग डियाथिसिस के लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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    ब्लीडिंग डियाथिसिस के प्रकार और लक्षण अलग-अलग होते हैं। माइल्ड डिसऑडर्स को कई बार ट्रीटमेंट की जरूरत भी नहीं पड़ती है, लेकिन जरूरी है कि जितनी जल्दी हो सके इनके बारे में पता कर लिया जाए तो इलाज शुरू कर दिया जाए। कई विकारों का इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन इनके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है।

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