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Hemophilia: कुछ ऐसे किया जाता है हीमोफीलिया का ट्रीटमेंट!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 04/04/2022

    Hemophilia: कुछ ऐसे किया जाता है हीमोफीलिया का ट्रीटमेंट!

    जब भी आपको चोट लगती है, तो आपने देखा होगा कि कुछ समय तक खून निकलने के बाद उस स्थान में खून का थक्का या ब्लड क्लॉट जम जाता है। ब्लड क्लॉट के कारण ही खून निकलना बंद होता है। अब सोचिए कि अगर खून का थक्का न जमे, तो क्या होगा। जी हां! आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं कि खून तो बहता ही रहेगा। जब किसी व्यक्ति के खून न जमने की समस्या हो जाती है, तो उसे हीमोफीलिया का सामना करना पड़ता है। इस कारण से गंभीर हेल्थ कॉम्प्लीकेशंस भी हो सकते हैं। हीमोफीलिया का इलाज (Treatment of hemophilia) बीमारी पर नियंत्रण कर सकता है। फिलहाल जीन थेरिपी को हीमोफीलिया के लिए बेहतर ट्रीटमेंट माना जा रहा है। जानिए इस आर्टिकल के माध्यम से आखिर कैसे हीमोफीलिया का इलाज (Treatment of hemophilia) किया जा सकता है।

    हीमोफीलिया

    हीमोफीलिया महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक कॉमन होता है लेकिन महिलाएं भी इस डिसऑर्डर का शिकार हो सकती हैं।इस समस्या के कारण लड़कियों और महिलाओं में पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग (Bleeding) की समस्या हो जाती है। वहीं डिलिवरी के बाद अधिक ब्लीडिंग (Hemorrhaging) का भी खतरा बना रहता है। हीमोफीलिया की समस्या हीमोफीलिया-ए क्लॉटिंग फैक्टर VIII में कमी और हीमोफीलिया-बी क्लॉटिंग फैक्टर IX में कमी के कारण पैदा होता है। क्लॉटिंग फैक्टर जितना कम होता है, उतनी ही तेजी से खून के बहने की संभावना बढ़ जाती है। ब्लीडिंग की समस्या बाहरी या फिर आंतरिक रूप से हो सकती है। दोनों की खतरनाक स्थितियां होती हैं। जानिए हीमोफीलिया का इलाज (Treatment of hemophilia) क्या है।

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    रिप्लेसमेंट थेरिपी (Replacement therapy)

    हीमोफीलिया की समस्या में पेशेंट में या तो क्लॉटिंग फैक्टर VIII या क्लॉटिंग फैक्टर IX में सिंगल क्लॉटिंग फैक्टर प्रोटीन में मिस हो जाती है। इस कारण से सीरियस ब्लीडिंग की समस्या पैदा होने लगती है। रिप्लेसमेंट थेरिपी (Replacement therapy) की सहायता से क्लॉटिंग फैक्टर VIII या क्लॉटिंग फैक्टर IX की प्रोटीन को रेग्युलर बेस पर इंफ्यूज किया जाता है। फैक्टर VIII इंफ्यूजन के लिए रोजाना और फैक्टर IX के लिए सप्ताह में दो से तीन बार रिप्लेसमेंट थेरिपी की जरूरत पड़ती है। रिप्लेसमेंट थेरिपी की सहायता से हीमोफीलिया का इलाज (Treatment of hemophilia) किया जाता है लेकिन इसकी लागत अधिक आती है। अगर ओवरऑल बात की जाए, तो हेल्थ सिस्टम के साथ ही पेशेंट के लिए भी हीमोफीलिया का इलाज (Treatment of hemophilia) सरल नहीं होता है और इसकी लागत इसे कठिन बना देती है।

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    हीमोफीलिया का इलाज : जीन थेरिपी (Gene therapy)

    हीमोफीलिया के इलाज के लिए जीन थेरिपी (Gene therapy) भी एक नई उम्मीद के रूप में सामने आई है। इस ट्रीटमेंट के दौरान क्लॉटिंग फैक्टर VIII या क्लॉटिंग फैक्टर IX की नई वर्किंग कॉपी तैयार की जाती है। जीन थेरिपी के अंतर्गत सेल्स यानी कोशिकाओं में जीन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, ताकि वो प्रोटीन बनाने में सहायता प्रदान करें। इसके लिए लिवर को सबसे उपयुक्त माना जाता है। फिलहाल अभी हीमोफीलिया जीन थेरिपी ट्रायल के दौरान AAV (Adeno-associated virus) वायरस का इस्तेमाल बॉडी में जीन पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। वायरस को लिवर में डाला जाता है और फिर वो लिवर सेल में जीन इंसर्ट करता है। चूंकि वायरस खुद की संख्या नहीं बढ़ाता है, इसलिए व्यक्ति के बीमार पड़ने का खतरा भी कम हो जाता है। ऐसे में लिवर को बहुत कम खतरा रहता है। इस तरह से ब्लीडिंग की समस्या (Bleeding problem) को रोकने के लिए जीन थेरिपी का इस्तेमाल किया जाता है। अभी भी हीमोफीलिया के लिए जीन थेरिपी पर काम चल रहा है और उम्मीद है कि सामने अधिक बेहतर परिणाम आएंगे।

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    डेस्मोप्रेसिन (Desmopressin)

    जिन लोगों को हीमोफीलिया के माइल्ड लक्षण नजर आते हैं, उनमें डेस्मोप्रेसिन प्रोटीन की हेल्प से हीमोफीलिया का इलाज (Treatment of hemophilia) किया जाता है। डेस्मोप्रेसिन मैन मेड हॉर्मोन है, जिसका इस्तेमाल हीमोफीलिया-ए के ट्रीटमेंट में किया जाता है। ये हीमोफीलिया-बी में कारगर सिद्ध नहीं होता है। डेस्मोप्रेसिन क्लॉटिंग फैक्टर VIII और वॉन विलेब्रांड (von Willebrand) को स्टिमुलेट करने का काम करता है। ये ब्लड में प्रोटीन के स्तर को भी बढ़ाता है। वॉन विलेब्रांड फैक्टर VIII को बाइंड करने का काम करता है, जो रक्त में लंबे समय तक रहता है।डेस्मोप्रेसिन को इंजेक्शन या फिर नेजल स्प्रे के माध्यम से दिया जाता है।

    एंटीफाइब्रिनोलिटिक दवाएं (Antifibrinolytic Medicines)

    रिप्लेसमेंट थेरेपी के दौरान एंटीफिब्रिनोलिटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इन दवाओं के सेवन से ब्लड क्लॉट बनने में मदद मिलती है। इन दवाओं को पिल्स के रूप में लिया जाता है। जिन लोगों को मसूड़ों से खून निकलने की समस्या, नाक से खून निकलने या फिर इंटेस्टाइनल ब्लीडिंग की समस्या को रोकने के लिए किया जाता है।

    हीमोफीलिया का इलाज: इन बातों का रखें ध्यान

    जैसा कि हमने आपको बताया कि हीमोफीलिया की बीमारी होने पर चोट लगना गंभीर साबित हो सकता है, इसलिए ट्रीटमेंट के साथ ही खुद को चोट के खतरे से बचाना भी बेहद जरूरी है। आपको ड्राइविंग के समय हमेशा सीट बेल्ट का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि आप गंभीर चोट से बच सके। साथ ही ऐसे काम बिल्कुल न करें, जिनमें आपको चोट लगने का खतरा बना रहता हो। अगर आपको हल्की चोट भी लगी है, तो उसका ट्रीटमेंट डॉक्टर से कराएं। अगर आपको मसूड़ों से खून आता है, तो इसे आम समस्या न समझें। हीमोफीलिया के दौरान ये समस्याएं गंभीर स्थिति भी पैदा कर सकती हैं। आपको डॉक्टर से पूछना चाहिए आपको किन सावधानियों की आवश्यकता है।

    आपको या फिर बच्चे को हीमोफिलिया किस प्रकार का है, उसी के अनुसार ट्रीटमेंट दिया जाता है। रिप्लेसमेंट थेरिपी का इस्तेमाल माइल्ड हीमोफीलिया (Mild hemophilia) के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। कुछ केसेजे में DDAVP (Desmopressin acetate) का इस्तेमाल फैक्टर VIII को बॉडी लेवल में बढ़ाने के लिए किया जाता है। सेवर हीमोफीलिया (Severe hemophilia) के ट्रीटमेंट के लिए भी रिप्लेसमेंट थेरिपी का इस्तेमाल किया जाता है। जब कभी भी किसी व्यक्ति को चोट लग जाए, तो उसे तुरंत ट्रीटमेंट बहुत जरूरी हो जाता है। अगर ट्रीटमेंट न मिल पाएगा, तो अधिक मात्रा में खून बह जाएगा, जो बेहद खतरनाक भी साबित हो सकता है।

    हम उम्मीद करते हैं कि आपको हीमोफीलिया का इलाज (Treatment of hemophilia) कैसे किया जाता है, इससे संबंधित ये आर्टिकल पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा और उपचार प्रदान नहीं करता है। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

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