हीमोफीलिया कैसे होता है?
हीमोफीलिया के उपचार से पहले आपको जानन होगा कि हीमोफीलिया होता कैसे है। यह बीमारी बच्चों को अपने माता-पिता से विरासत में मिलती है। इसके मरीजों में शरीर में कटने या खरोंच लगने पर लगातार खून बहता है। यदि माता या पिता में से किसी को यह बीमारी है तो उन्हें पहले ही बच्चे की जांच करा लेनी चाहिए। उपरोक्त बताए गए लक्षण में यदि आपको कोई लक्षण नजर आए तो तुरंत अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।
और पढ़ें: नाक से खून आना न करें नजरअंदाज, अपनाएं ये घरेलू उपचार
हीमोफीलिया के कितने स्तर होते हैं:
हीमोफीलिया के तीन स्तर होते हैं। पहला होता है हल्का स्तर। इसमें शरीर में क्लॉट बनाने वाले घटक 5 से 50 प्रतिशत तक होते हैं। दूसरा होता है मध्यम स्तर। इसमें क्लॉट बनाने वाले घटक 1 से 5 प्रतिशत होते हैं। तीसरा है गंभीर स्तर जिसमें धक्के बनाने वाले घटक का स्तर 1 प्रतिशत से भी कम होता है।
हीमोफीलिया के उपचार (Treatment of Hemophilia)
हीमोफीलिया का पहले कोई उपचार नहीं था लेकिन वैज्ञानिकों ने हीमोफीलिया के उपचार ढ़ूंढने में सफलता पाई है। वैज्ञानिकों ने ऐसा इंजेक्शन तैयार किया है जिससे शरीर में घटकों की कमी को दूर किया जा सकता है। इसलिए आज हीमोफीलिया के उपचार आसान हो गया है। अगर बीमारी ज्यादा गंभीर नहीं है तो सिर्फ दवा देकर इलाज किया जाता है। बता दें, हीमोफीलया ‘ए’ 10 हज़ार में से एक मरीज में पाया जाता है और वहीं हीमोफीलया ‘बी’ 40 हजार में से एक को होता है। हीमोफीलया ‘बी’ काफी गंभीर है और इसे लेकर बहुत कम लोगों को सही जानकारी है। हाल ही में हुए एक रिसर्च के मुताबिक, हर दो से तीन दिन में EHL-FIX की डोज देकर हीमोफीलया ‘बी’ में होने वाली फैक्टर 9 की कमी को कंट्रोल में रखा जा सकता है। इसके अलावा हीमोफीलया ‘ए’ के पेशेंट्स में जीन थेरेपी दवा प्रभावी पाई गई है। शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अनुंसाध के अनुसार, हीमोफीलिया ए पीड़ितों पर एक साल तक जीन थेरेपी दवा की एकल उपचार विधि आजमाई गई। इस दवा को देने से मरीजों में थक्का बनने में मददगार प्रोटीन का स्तर सामान्य पाया गया।
और पढ़ें: कैसे बनाएं हेल्दी फूड हैबिट्स? जानिए कुछ आसान तरीके
हीमोफीलिया के उपचार के साथ जीवनशैली में करें ये बदलाव