एक इंटरव्यू में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि यदि सभी ने अच्छा काम किया तो हम संभवत: अगले 12-18 महीने में कोरोना वायरस का टीका विकसित कर सकेंगे। एक बार इसका टीका तैयार कर लिया जाएगा उसके बाद जो परेशानी होगी वो यह कि इसकी पर्याप्त दवाओं की उपलब्धता। पर्याप्त दवाओं को उपलब्ध कराने के लिए संभवत: 18-24 महीने लगेंगे।
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कोरोना वायरस के इलाज को लेकर क्यों जयपुर का यह अस्पताल है चर्चा में?
पिछले दिनों जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में कोरोना के तीन पेशेंट्स को को रेट्रोवायरल ड्रग यानी एचआईवी एंटी ड्रग देकर ठीक किया गया है। इनमें दो इटली से जयपुर आए हैं और एक जयपुर का ही रहने वाला है। अस्पताल ने दावा किया है कि इन लोगों का इलाज करने के बाद इनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। फिलहाल इन लोगों को डॉक्टरों की निगरानी में आइसोलेशन में रखा गया है। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना का फिलहाल कोई इलाज नहीं है। इसका और एचआईवी वायरस का मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर एक जैसा होने के कारण सीनियर डॉक्टर ने मरीजों को एचआईवी एंटी ड्रग लोपिनाविर और रिटोनाविर देने का फैसला किया।
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बता दें इस ड्रग का इस्तेमाल हर कोई नहीं कर सकता। आईसीएमआर गाइडलाइन के तहत इस ड्रग का इस्तेमाल सिर्फ ‘कॉमप्रोमाइज्ड’ मरीजों के लिए किया जा सकता है। ‘कॉमप्रोमाइज्ड’ मरीज वो होते हैं जिनकी उम्र 60 से अधिक होती है और उन्हें डायबिटीज या हृदय रोग हो। कम उम्र वाले लोगों में इस दवा का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। जयपुर में जिन तीनों मरीजों को यह दवा दी गई वो तीनों ही कॉमप्रोमाइज्ड’ मरीज हैं। दवा का इस्तेमाल करने के बाद इन तीनों मरीजों की रिपोर्ट कोरोना वायरस पॉजिटिव से नेगेटिव हो गई है। लेकिन लंग्स, डायबिटीज, हायपरटेंशन की दिक्कत उनमें अभी भी है। फिलहाल इन तीनों के इलाज के लिए डॉक्टरों की विशेष टीम का गठन किया गया है, जिनकी निगरानी में आगे का इलाज चल रहा है।
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