backup og meta

लॉकडाउन के दौरान पेरेंट्स को डिसिप्लिन का तरीका बदलने की है जरूरत

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Mona narang द्वारा लिखित · अपडेटेड 06/07/2021

    लॉकडाउन के दौरान पेरेंट्स को डिसिप्लिन का तरीका बदलने की है जरूरत

    दुनियाभर के लोग इस समय कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे हैं। इस जानलेवा वायरस से बचने का फिलहाल सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बच्चों के लिए घर पर ऑनलाइन एज्युकेशन और बड़ों के लिए वर्क फ्रॉम होम, यही सही है। पहले जैसा नहीं, लेकिन अभी भी कुछ शहरों में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है और बात तो अब कुछ महीनों में तीसरी लहर (Third Wave) के आने की भी हो रही है। बाहर न निकल पाने के कारण बच्चे परेशान हो रहे हैं। बच्चे अब इंडोर गेम्स से भी बोर हो चुके हैं। पेरेंट्स इस बात से परेशान हैं कि वह कैसे बच्चों का समय काटने में मदद करें। बच्चों के व्यवहार में भी काफी बदलाव दिख रहा है। बाहर न निकल पाने की वजह से बच्चे उदास और चिड़चिड़े होने लगे हैं। कई रिपोर्ट्स के अनुसार, बच्चे डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। ऐसे समय में बच्चों का खास ख्याल रखने की जरूरत है। एक्सपर्ट्स की मानें (According to Expert) तो इस समय बच्चों को डांटने की बजाय प्यार और धैर्य के साथ हैंडल करने की जरूरत है। जानें लॉकडाउन में पेरेंटिंग टिप्स (Lockdown Parenting Tips) के बारे में, जो बच्चों का ख्याल रखने में आपकी मदद करेंगे।

    और पढ़ें: कोरोना वायरस डायट प्लान : लॉकडाउन और क्वारंटाइन के दौरान क्या खाएं और क्या न खाएं?

    लॉकडाउन में पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips During Lockdown Situation)

    अपने बच्चों को कैसे हैंडल करना है यह आप अच्छे से जानते हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स (Expert) के मुताबिक लॉकडाउन में आपको अपने तरीके में थोड़े बदलाव करने की जरूत होगी। सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि आपके बच्चे का सिर्फ घर से बाहर जाना बंद नहीं हुआ है। इसके साथ ही वह अपने दोस्त (Friends), स्कूल, प्लेग्राउंड, टीचर (Teacher) और बहुत सारी चीजों को मिस कर रहे हैं। बच्चों की परेशानी को गहराई से समझने के लिए हमने कुछ पेरेंट्स से भी बात की। आइए जानते हैं लॉकडाउन में पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips) को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स…

    लॉकडाउन में पेरेंटिंग टिप्स: सबसे पहले बच्चे के बुरे बिहेवियर की वजह को समझें (Child Behavior)

    दिल्ली में रहने वाले वैभव तनेजा की मां बताती हैं- बच्चों को किस बात की टेंशन है। बड़ों की तरह बच्चों को न जॉब जाने का डर है। न ही उन्हें इस बात की टेंशन कि घर में राशन पूरा है या नहीं। फिर बच्चों को किस बात की टेंशन (Tension) है मुझे यह नहीं समझ आ रहा। इस लॉकडाउन में वैभव बहुत जिद्दी और शरारती हो गया है, जिससे मेरी टेंशन जरूर बढ़ गई है।

    और पढ़ें: कोरोना की वजह से अपनों को छूने से डर रहे लोग, जानें स्किन को एक टच की कितनी है जरूरत

    गाजियाबाद की रहने वाली अमायरा खुराना की मां बताती हैं- मेरी बेटी के व्यवहार में काफी बदलाव आया है। मैं उसे खुश रखने का हर प्रयास कर रही हूं। मैं दिनभर उसे किसी न किसी एक्टिविटी (Activity) में व्यस्त रखती हूं। मैं उसके साथ गेम्स खेलती हूं। उसके लिए नई नई रेसिपी बनाती हूं। बावजूद इसके वो बहुत उदास और चुप रहने लगी है। वह स्कूल जाने की जिद करती है। अमायरा को नीचे गार्डन लेकर जाती हूं तो गार्ड वापस ऊपर भेज देते हैं। मुझे नहीं समझ आ रहा कि उसे खुश रखने के लिए ओर क्या किया जाए।

    साइकोथेरेपिस्ट (Psychotherapist) अनुपम गर्ग ने लॉकडाउन में बच्चों के व्यवहार में आ रहे बदलाव को लेकर बताया कि सबसे पहले पेरेंट्स को बच्चों को समझने की जरूरत है। बच्चे ज्यादातर समय अपने दोस्तों के साथ समय बिताते हैं। फिर बात स्कूल की हो या प्ले टाइम की। अभी वो घर के अंदर अपने परिवार के साथ रहने को मजबूर हैं। ऐसा एक दो दिन के लिए भी नहीं है। इसलिए उन्हें परेशानी हो रही है। बहुत सारे बच्चे अपना पूराना रूटीन (Routine) मिस कर रहे हैं। छोटे बच्चों को यह नहीं मालूम होता है कि बुरे समय को कैसे हैंडल करना होता है। जब चीजे सभी नहीं होती तो उनके लिए इसे सहन करना मुश्किल होता है। इसलिए बच्चों को इस समय प्यार और धैर्य के साथ हैंडल करने की जरूरत है।

    और पढ़ें: कोरोना वायरस से ब्लड ग्रुप का है कनेक्शन, रिसर्च में हुआ खुलासा

    लॉकडाउन में पेरेंटिंग टिप्स:  शरारत करने पर डांटने की बजाय प्यार से समझाएं (Explain Politely)

    बच्चे इन दिनों काफी परेशान कर रहे होंगे। लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसे समय में उन्हें डांटने की बजाय प्यार से चीजों को समझाएं। लॉकडाउन पीरियड में बहुत सारे बच्चों के डिप्रेशन में जाने के मामले सामने हैं। इसलिए बच्चे को मानसिक (Mental) और शारीरिक (Physical) रूप से खुश रहने के लिए उन्हें स्ट्रेस फ्री रखना बेहद जरूरी होता है। साइकोलॉजिस्ट अनुपम गर्ग इसे लेकर कहते हैं बच्चे इस समय अकेला फील कर रहे हैं। ऐसे में उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन आना लाजमी है। आप उनकी उनके दोस्तों या कजिन भाई बहनों से वीडियो कॉल पर बात करा सकते हैं। इसके साथ ही उनके दिनभर का शेड्यूल तैयार कर दें। इससे वह पूरा दिन किसी न किसी काम में व्यस्त रहेंगे। वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी खाली दिमाग शैतान का घर।

    डॉ गर्ग ने बताया  कि अगर आपका बच्चा सामान उठाकर फेंक रहा है तो सबसे पहले अपने गुस्से पर कंट्रोल (Control) करें। एक गहरी सांस ()Breathing) लें चीजों को जगह पर रख दें। बच्चों को गुस्सा करने का यह सही समय नहीं है। उन्हें प्यार से समझाएं। वो किसी बात को लेकर जिद कर रहे हैं तो उनकी हर जिद को पूरा नहीं किया जा सकता। लेकिन अगर वो किसी बात को लेकर नहीं मान रहे हैं, तो उनके साथ आप भी जमीन पर बैठ जाएं और उन्हें प्यार से समझाएं। इस पूरी स्थिति में आपको अपने गुस्से पर आपको पूरा काबू रखना होगा। अगर आपका बच्चा मिसबिहेव कर रहा है तो आप याद करें कि जब आपका बच्चा बीमार होता है तब आप उसका ख्याल कैसे रखते हैं। बिल्कुल वैसा ही आपको अभी उनका ख्याल रखना है। बच्चे के गुस्से को शांत करने के लिए उन्हें प्यार से झप्पी दें।

    और पढ़ें: गांजे से कोरोना वायरस: गांजा/बीड़ी/सिगरेट पीने वालों को कोरोना से ज्यादा खतरा

    लॉकडाउन में पेरेंटिंग टिप्स:  मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं बच्चे (Mentally)

    बच्चा घर में भाग दौड रहा है तो उसे रोके नहीं। बच्चों को बाहर जाना नहीं मिल रहा है। ऐसे में उन्हें घर पर खेलने से न रोकें। बच्चों का घर से बाहर निकलना बिल्कुल बंद हो गया है, जिससे वो मानसिक बीमार होते जा रहे हैं। बच्चों में स्ट्रेस लेवल काफी बढ़ गया है। ज्यादातर बच्चों के बिहेवियर में बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

    किसी में चिड़चिड़ापन आ गया है तो किसी में गुस्सा बढ़ रहा है। इसका सीधा असर उनके शारीरिक और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर देखने को मिल सकता है। इस मुश्किल समय का असर अपने बच्चों पर न पड़ने दें। लॉकाउन आने वाले कुछ दिनों में खत्म हो जाएगा, लेकिन अगर आपके बच्चे की मेंटल हेल्थ पर इसका असर पड़ा तो उसे सुधारने में काफी समय लग जाएगा।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Mona narang द्वारा लिखित · अपडेटेड 06/07/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement