बेसिक्स को जाने
एल्डोस्टीरोन टेस्ट (Aldosterone Test) क्या है?
एल्डोस्टेरोन टेस्ट, जिसका एक नाम सीरम एल्डोस्टेरोन टेस्ट भी है, ये टेस्ट आपके ब्लड में एल्डोस्टेरोन की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है।
एल्डोस्टीरोन एक तरह का हार्मोन होता है जो एड्रेनल ग्लैंड्स से निकलता है और किडनी के ऊपरी सतह पे पाया जाता है । ये हार्मोन शरीर के कई अन्य महत्वपूर्ण हार्मोन को उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी है ।
एल्डोस्टेरोन हमारे ब्लडप्रेशर को सीधा प्रभावित करता है साथ ही शरीर के दूसरे फक्शन के बीच रक्त में सोडियम (नमक) और पोटेशियम को रेगुलेट करता है ।
शरीर मे बहुत अधिक एल्डोस्टेरोन हाई ब्लडप्रेशर और लो पोटेशियम लेवल का कारण होता है, जिसे हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म कहा जाता है । ये एक बीमारी है जो शरीर में बहुत अधिक मात्रा में एल्डोस्टेरोन बनने से पैदा होती है।
प्राइमरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म (Hyperaldosteronism) एड्रेनल ट्यूमर (आमतौर पर सौम्य, या गैर-कैंसर) का कारण हो सकता है।
इस बीच, सेकंडरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म कई अलग अलग तरह की स्थितियों को जन्म दे सकता है, जिसमे शामिल है:
- कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
- सिरोसिस
- कुछ किडनी रोग (जैसे, नेफ्रोटिक सिंड्रोम)
- अतिरिक्त पोटेशियम
- कम सोडियम
- गर्भावस्था में जहरीलापन
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एल्डोस्टेरोन टेस्ट क्यों किया जाता है?
एल्डोस्टेरोन टेस्ट (Aldosterone test) किए जाने के कुछ निश्चित कारण हो सकते हैं:
- एड्रेनल ग्लैंड कितनी मात्रा में शरीर के भीतर एल्डोस्टेरोन हार्मोन को बना रहा है इसे समझने के लिए
- एड्रेनल ग्लैंड में ट्यूमर की जांच के लिए
- हाई ब्लूडप्रेशर और रक्त में कम होते पोटेशियम लेवल का कारण खोजने के लिए । ये स्थिति तभी प्रगट होती है जब ओवर एक्टिव एड्रेनल ग्लैंड्स या असामान्य एड्रेनल का विकास संदेह के घेरे में हो।
जानने योग्य बातें
एल्डोस्टेरोन टेस्ट (Aldosterone Test) कराने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
आपका डॉक्टर टेस्ट के लिए एक निश्चित समय तय कर सकता है । समय का ध्यान देना बहुत जरूरी है क्योंकि एल्डोस्टेरोन का स्तर घड़ी दर घड़ी बदलता रहता है । ये बाते साबित हो गयी है कि एल्डोस्टेरोन का लेवल सुबह के वक्त सबसे अधिक रहता है ।
डॉक्टर आपको हिदायत सकता है:
सोडियम से जुड़े आहार में कमी करने या उसमे बदलाव लाए (जिसे सोडियम रिस्ट्रिक्टेड डाइट कहा जाता है)
मीठे खाने से बचें (एल्डोस्टेरोन गुणों का अनुसरण कर सकते हैं)
ये कारक एल्डोस्टेरोन के लेवल को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, तनाव में रहना भी एल्डोस्टेरोन स्तर को बढ़ा सकता है।
कई दवाओं जैसे सप्लीमेंट्स, और बिना डॉक्टरी प्रिस्क्रिप्शन के ली गई दवाएं भी एल्डोस्टेरोन को घटा या बढ़ा सकती है । डॉक्टर से सभी दवाओं के बारे में बताए ।
जानकारी होने पे आपका डॉक्टर टेस्ट से पहले आपको कौन सी दवा खानी है या नहीं खानी है इस बारे में निर्देश दे सकता है ।
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जानिए क्या होता है
एल्डोस्टेरोन टेस्ट (Aldosterone Test) की तैयारी कैसे करें?
टेस्ट से पहले कई जरूरी चीजों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है जिनमे शामिल है :
रक्त के प्रवाह को रोकने के लिए अपने ऊपरी बांह के चारों ओर एक लचीला बैंड लपेटें। इससे बैंड के नीचे की नसें बड़ी और टाइट हो जाती हैं, और नस में सुई डालना आसान हो जाता है।
अल्कोहल से सुई वाली जगह को धो ले ।
सुई को नस में डालें। एक से अधिक निडिल स्टिक की जरूरत पड़ सकती है ।
सुई से ट्यूब में ब्लड को रिफिल करने के लिए हुक का प्रयोग करे
जरूरत के हिसाब से ब्लड सैंपल जमा होने के बाद हाथ के बैंड को खोल दे।
सुई लगने वाली जगह पे सुई निकालते ही रुई का प्रयोग करे ।
उस जगह को थोड़ा दबा के रखे उसके बाद बैंडेज लगा दे ।
एल्डोस्टेरोन परीक्षण (Aldosterone Test) के दौरान क्या होता है?
टेस्ट के दौरान:
एक लचीला बैंड आपकी बांह के चारो तरफ लपेटा जाता है जिससे आप थोड़ा कसा हुआ या असहज फील कर सकते है। हो सकता है कि आपको सुई की चुभन महसूस भी ना हो और हो भी तो जरा सी हो। फाइनली आपके बांह से ब्लड के सैंपल कलेक्ट कर लिया जाता है ।
एल्डोस्टेरोन टेस्ट (Aldosterone Test) के बाद क्या होता है?
नस से ब्लड सैम्पल लेते समय इस बात की बहुत कम संभावना है कि आपको किसी भी प्रकार की तकलीफ हो ।
हो सकता है कि सुई लगने वाला स्थान नीला हो जाए या कुछ खरोंच के निशान उभर आए, लेकिन आपने कुछ मिनटों तक उस स्थान पे दबाव बनाए रखा है तो इस बात की संभावना बेहद कम है ।
बहुत ही रेयर केस में ऐसा हुआ है कि सुई लगने के बाद नस में सूजन आ जाए । ऐसी स्थिति में आपको सूजन वाली जगह पे गर्म पानी से सेकाई करनी चाहिए।
इसके अलावा ब्लीडिंग डिसऑर्डर एक बीमारी है जिसमे खून नसों से बहता ही जाता है या कुछ दवाएं जैसे एस्प्रिन और वर्फ़रिन जो खून को पतला करती है और खून बहने में सहायक होती है ।
अगर आप ऐसे किसी ब्लीड डिसऑर्डर से पीड़ित है या ऐसी किसी दवा का सेवन कर रहे तो ब्लड सैम्पल देने से पहले इस बात की जानकारी डॉक्टर को दे ।
अगर आपके मन मे एल्डोस्टेरोन टेस्ट से सम्बंधित किसी भी प्रकार की शंका या सवाल है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करिए ।
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रिजल्ट को समझें
अलग अलग पैथोलॉजी के आधार पे एल्डोस्टेरोन टेस्ट के रिजल्ट भिन्न भिन्न हो सकते हैं।
टेस्ट रिजल्ट की समझने और उसका सही तरह से आकलन करने के बाद ही आपका डॉक्टर किसी नतीजें पे पहुचेगा और किसी दूसरी तारीख पे आपसे टेस्ट रिजल्ट के सिलसिले में बात करेगा ।
यदि आप एल्डोस्टेरोन के हाई लेवल से गुजर रहे तो इसे हाइपरल्डोस्टेरोनिज़्म कहा जाता है, जिससे आपका ब्लड सोडियम और लो ब्लड पोटेशियम बढ़ सकता है।
आपको हाइपरल्डोस्टेरोनिज़्म के कारण हो सकता है:
- रीनल आर्टरी स्टेनोसिस ( उन धमनियों का सकरा हो जाना जो किडनी तक ब्लड की आपूर्ति करती है )
- कोंजेस्टिव हर्ट फेलियर
- किडनी की बीमारी या फेलियर
- गर्भावस्था के दौरान सिरोसिस विषाक्तता
- खाने में सोडियम का कम हो जाना
लो ALD लेवल को हाइपोल्डोस्टेरोनिज़्म कहा जाता है। इस कंडीशन में कुछ ऐसे सिम्टम्स दिखाई देते है :
- लो ब्लूड प्रेशर
- डिहाइड्रेशन या पानी की कमी
- सोडियम के स्तर में कमी
- पोटेशियम के स्तर में कमी
- हाइपरल्डोस्टेरोनिज़्म के होने के कारण:
- एड्रीनल में कमी
एडिसन की बीमारी (Addison’s disease) जो एड्रीनल हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित करती है
ह्यपोरेनिनीमिक हाइपरल्डोस्टेरोनिज़्म Hyporeninemic hyperaldosteronism ( कम एल्डोस्टेरोन के कारण किडनी रोग)
आहार में बहुत अधिक सोडियम (50 वर्ष से कम आयु के लिए 2,300 मिलीग्राम / दिन से अधिक), 50 वर्ष से अधिक उम्र में 1,500;
जन्मजात एड्रेनल हाइपरप्लासिया Congenital adrenal hyperplasia (एक जन्मजात विकार जिसमें शिशुओं में कोर्टिसोल बनाने के लिए आवश्यक एंजाइम की कमी होती है, जो एल्डोस्टेरोन उत्पादन को भी प्रभावित कर सकती है।)
अपने टेस्ट रिजल्ट से सम्बंधित किसी प्रश्न के बारे में अपने डॉक्टर से उचित सलाह ले ।
हेलो हेल्थ ग्रुप किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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