इस प्रकार की समस्या तब पाई जाती है जब एक या अधिक एयर बबल्स वेंस या आर्टरीज में प्रवेश करके उसको ब्लॉक कर देते हैं। एयर बबल्स वेंस में प्रवेश करते हैं, तो इसे वीनस एयर एम्बालिज्म के नाम से जाना जाता है। वहीं जब एयर बबल्स आर्टरीज में प्रवेश करते हैं, तो इसे आर्टिरियल एयर एम्बालिज्म कहा जाता है। यह एयर बबल्स आपके ब्रेन, हार्ट, फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं और साथ ही हार्ट अटैक, स्ट्रोक या फिर सांस संबंधी बीमारियां पैदा कर सकते हैं। एयर एम्बालिज्म की समस्या रेयर होती है। यानी कि ज्यादातर लोगों में यह समस्या नहीं पाई जाती है लेकिन कुछ प्रतिशत लोगों को एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) की समस्या परेशान कर सकती है। जानिए कि इस कंडीशन के लक्षण क्या होते हैं और इस प्रकार की समस्या से कैसे छुटकारा पाया जाता है।
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एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) की समस्या आखिर क्यों होती है?
एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) का सामना तब करना पड़ता है, जब वेंस या आर्टरी में हवा प्रवेश करती है और ट्रैवल करती हैं। आइए जानते हैं कि एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) के लिए कौन से कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
- लोगों को अपने जीवन में इंजेक्शन या फिर सर्जिकल प्रोसीजर से गुजारना पड़ता है। इस दौरान सिरेंज से गलती से वेंस में हवा भर सकती है। कई बार कैथेटर की मदद से भी हवा नसों में प्रवेश कर जाती है। वहीं सर्जिकल प्रोसीजर के दौरान भी वेंस और आर्टरीज में एयर प्रवेश करती है। ब्रेन सर्जरी के दौरान यह प्रोसेस आम होती है। अगर जर्नल ऑफ मिनिमल एक्सेस सर्जरी में में लिखे गए एक लेख की बात मानें, तो ब्रेन की करीब 80% सर्जरी में एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) की समस्या की संभावना हो सकती है। सर्जरी के दौरान वेंस या आर्टरीज में हवा प्रवेश ना करें, इसके लिए डॉक्टरों और नर्सों को इस संबंध में जानकारी दी जाती है।
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- कई बार लंग या फेफड़ों में किसी प्रकार का ट्रॉमा होने पर भी आपको एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) की समस्या हो सकती है। अगर किसी दुर्घटना के दौरान लंग या फेफड़े खराब हो जाते हैं, तो सांस लेने के लिए पेशेंट को वेंटिलेटर पर रखा जाता है। वेंटीलेटर हवा को वेंस और आर्टरीज में पहुंचाने का काम कर सकते हैं। इस तरह से बबल्स वेंस या आर्टरीज में पहुंच जाते हैं।
- स्कूबा डाइविंग के दौरान आपको एयर एम्बालिज्म भी हो सकता है। जब व्यक्ति बहुत देर तक पानी के अंदर सांस रोककर रहता है, तो ऐसी समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। इस कारण से फेफड़ों के एयर सेक के रप्चर हो जाने का खतरा बढ़ जाता है।
- ब्लास्ट इंजुरी हो जाने के कारण भी कई बार फेफड़ों में हवा भर सकती है। ऐसा विस्फोट के दौरान होता है। युद्ध के दौरान घातक चोटे लगना आम बात होती हैं। विस्फोट के दौरान आपके फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचता है और ऐसे में नसों और आर्टरीज में हवा भरना भी आम बात होती है
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एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) के लक्षण क्या हैं?
एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) के कारण व्यक्ति में हल्के के साथ ही बहुत गंभीर लक्षण पैदा हो सकते हैं। वहीं कुछ लोगों में बिल्कुल भी लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं। जानिए एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) की समस्या होने पर कौन-से लक्षण कौन-से लक्षण दिख हैं:
- सांस लेने में कठिनाई होना
- सीने में दर्द का एहसास
- मांसपेशियों या जोड़ों का दर्द (Muscle or joint pains)
- स्ट्रोक (Stroke)
- मानसिक स्थिति में परिवर्तन, जैसे भ्रम या चेतना की हानि
- लो ब्लड प्रेशर (low blood pressure)
- नीली त्वचा का रंग
अगर आपको उपरोक्त लक्षणों में कोई भी लक्षण नजर जा रहा है, तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। क्योंकि यह लक्षण गंभीर भी हो सकते हैं और आपको अधिक परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है।
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एयर एम्बालिज्म को कैसे किया जाता है डायग्नोज?
इस बीमारी को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर आपसे बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेते हैं। आपने कुछ ही दिनों में बीमारी से संबंधित क्या लक्षण महसूस कर रहे हैं, इस बारे में डॉक्टर जानकारी लेते हैं। साथ ही डॉक्टर आपसे ये भी पूछते हैं कि क्या आपकी कोई सर्जरी हुई है? कई बार फेफड़ों की चोट (Lung injury) से भी इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए डॉक्टर इस बारे में भी आप से पूछ सकते हैं। अगर डॉक्टर को यह लगता है कि आपको एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) में की समस्या है, तो डॉक्टर बीमारी को डायग्नोज करने के लिए अल्ट्रासाउंड या सिटी स्कैन भी कर सकते हैं। आपको डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए इस बीमारी का निदान कैसे किया जाता है।
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कैसे किया जाता है बीमारी का इलाज?
एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) के ट्रीटमेंट के लिए बीमारी के कारणों का पता लगाया जाता है और कोशिश की जाती है कि इन कारणों को पूरी तरह से रोका जा सके। साथ ही डॉक्टर यह बात भी पता लगाने की कोशिश करते हैं कि आखिर पेशेंट के शरीर में किस माध्यम से हवा प्रवेश कर रही है। इस तरह से बीमारी को काफी हद तक रोका जा सकता है। इस कंडीशन के कारण मस्तिष्क, हार्ट और फेफड़ों में हवा भर जाती है। इसे रोकने के लिए डॉक्टर सिटिंग पोजीशन में भी बदलाव कर सकते हैं साथ ही दवाई (adrenaline) खाने की सलाह दे सकते हैं। यदि संभव होगा, तो आपका डॉक्टर सर्जरी के माध्यम से एयर एम्बालिज्म को हटा देंगे। अन्य उपचार विकल्प के रूप में कुछ पेशेंट्स को हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी ( hyperbaric oxygen therapy) दी सकती है।
यह थेरिपी एक दर्द रहित थेरेपी होती है। जिसके दौरान पेशेंट को हाय प्रेशराइज्ड एक स्टील वाले कमरे में रखा जाता है, जिसमें करीब 100% तक ऑक्सीजन होती है। इस थेरिपी को अपनाने के बाद व्यक्ति को बहुत आराम महसूस होता है और साथ ही बिना किसी डैमेज के ऑक्सीजन रक्त में अवशोषित हो जाती है। आप डॉक्टर से इस बारे में जानकारी ले सकते हैं।
कभी-कभी एयर एम्बालिज्म या एम्बालिज्म छोटे होते हैं और वेंस या आर्टरीज को ब्लॉक नहीं करते हैं। छोटे एम्बोलिज्म आमतौर पर ब्लडस्ट्रीम में नहीं फैलते हैं और गंभीर समस्याएं पैदा नहीं करते हैं। वहीं बड़े एयर एम्बालिज्म स्ट्रोक या दिल के दौरे का कारण बन सकते हैं और घातक हो सकते हैं।
इस आर्टिकल में हमने आपको एयर एम्बालिज्म (Air Embolism) से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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