हमारे शरीर में हार्ट का अहम रोल होता है। जब शरीर का बीपी हाय या फिर लो होता है, तो ऐसे में डॉक्टर ब्लड प्रेशर के दो मेजरमेंट लेता है। इसमें एक सिस्टोलिक प्रेशर (Systolic pressure) और दूसरा डायसिस्टोलिक प्रेशर (Diastolic pressure) होता है। सिस्टोलिक प्रेशर वह प्रेशर होता है, जो हार्ट बीटिंग के दौरान अप्लाई करता है। जबकि डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर दिल की धड़कन के दौरान आर्टरीज के बीच में पड़ने वाला दबाव का माप है। पल्स प्रेशर आपके सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर के बीच का डिफरेंस है। पल्स प्रेशर का क्या अहम रोल होता है और नैरो, वाइड पल्स प्रेशर का क्या मतलब होता है, जानिए पल्स प्रेशर (Pulse Pressure) के बारे में अहम जानकारी।
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पल्स प्रेशर (Pulse Pressure) से क्या है मतलब?
पल्स प्रेशर के बारे में समझना आपके लिए आसान है। पल्स प्रेशर आपके सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर के बीच का अंतर है। अगर आपका सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 120 मिमी एचजी है और आपका डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 80 मिलीमीटर मरकरी (मिमी एचजी) है, तो आपकी नाड़ी का दबाव या पल्स प्रेशर 40 मिमी एचजी होगा। हम उम्मीद करते हैं कि आपको पल्स प्रेशर के बारे में जानकारी मिल गई होगी।
आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिरकार पल्स प्रेशर की जानकारी होना क्यों अहम है। पल्स प्रेशर की सहायता से हार्ट से संबंधित बीमारियों के खतरों को जांचने के लिए बहुत अहम माना जाता है। अगर हृदय रोग का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो इस संबंध में पल्स प्रेशर के माध्यम से जानकारी मिल जाती है। पल्स प्रेशर के अधिक हो जाने से यह समझा जा सकता है कि दिल के दौरे या स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा हुआ है। अगर पल्स प्रेशर 10 एमएम एचजी बढ़ गया है, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि हार्ट रिलेटेड इश्यू बढ़ने की कम से कम 20% संभावना बढ़ गई है।
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पल्ल प्रेशर कब हो सकता है कम या फिर ज्यादा?
पल्स प्रेशर का कम होना या ज्यादा होना कई बातों पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर किसी भी व्यक्ति का पल्स प्रेशर 40 से 60 mm Hg रहता है। अगर पल्स प्रेशर की रीडिंग 40 mm Hg से कम है, तो ऐसे में पल्स प्रेशर को कम माना जाता है, जो कि कार्डियक आउटपुट के कम होने का संकेत देती है। वहीं जिन लोगों को हार्ट फेलियर की समस्या हो जाती है, उनका भी पल्स प्रेशर कम हो जाता है। अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि पल्स प्रेशर या नाड़ी का अधिक दबाव कब होता है? जब यह 60 mm HG से अधिक हो जाता, तो इसे अधिक पल्स प्रेशर माना जाता है। उम्र के साथ-साथ पल्स प्रेशर का बढ़ना सामान्य माना जाता है। वहीं जिन लोगों को हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की समस्या होती है या फिर एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) उससे होता है उन्हें भी प्रेशर बढ़ने की अधिक संभावना रहती है जमा हो जाने के कारण भी नारी का दबाव बढ़ जाता है साथ ही जिन लोगों को एनीमिया यानी कि आयरन की कमी होती है या फिर हायपर थायराइड की समस्या होती है उन्हें भी प्रेशर बढ़ सकता है
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क्या एक दिन में पल्स प्रेशर हो सकता है चेंज?
एक व्यक्ति का पल्स प्रेशर हमेशा एक जैसा रहे, यह जरूरी नहीं है। दिन भर में व्यक्ति का पल्स प्रेशर थोड़ा बहुत बदल सकता है। पल्स प्रेशर का घटना या फिर बढ़ना शारीरिक गतिविधियों पर भी निर्भर करता है जैसे कि फिजिकल एक्टिविटी, खाना या फिर कुछ पीना, बातें करना, हंसना आदि के दौरान पर प्रेशर में परिवर्तन हो सकता है। अगर आपको एक्यूरेट प्रेशर की जानकारी चाहिए, तो इसके लिए आपको दिन में दो बार पल्स की रीडिंग जरूर लेनी चाहिए। आपको रोजाना सेम टाइम में पल्स प्रेशर चेक करना चाहिए। आपको पल्स प्रेशर की कम से कम 2 रीडिंग 2 मिनट के अंतराल पर लेनी चाहिए और रोजाना आप जो भी पल्स प्रेशर ले रहे हैं, उसका रिकॉर्ड भी रखें। अगर आपको पल्स प्रेशर में अधिक अंतर नजर आता है, तो आपको डॉक्टर से इस बारे में परामर्श जरूर करना चाहिए।
सिस्टोलिक और डायस्टोलिक (systolic and diastolic blood pressure) प्रेशर के बीच में नैरो रेंज को नैरो पल्स प्रेशर के नाम से जाना जाता है। वहीं हाय पल्स प्रेशर को वाइड पल्स प्रेशर के नाम से भी जाना जाताहै। पल्स प्रेशर पर हाय ब्लड प्रेशर का भी प्रभाव दिखाई पड़ता है। हाय ब्लड प्रेशर ट्रीटमेंट के लिए ली जाने वाली दवाएं भी पल्स प्रेशर को प्रभावित करती हैं। नाइट्रेट का सेवन करने से सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों ही ब्लड प्रेशर लेवल पर प्रभाव पड़ता है। एक अध्ययन में यह भी पाया गया है कि फोलिक एसिड (Folic Acid) के साथ सप्लीमेंटेशन लेने से पुरुषों में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। अगर उन लोगों को कोई भी हेल्थ संबंधी कंडीशन नहीं है, तो भी उनमें यह बदलाव पाया गया है। आपको डॉक्टर से इस बारे में अधिक जानकारी लेनी चाहिए।
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पल्स प्रेशर को कैसे कर सकते हैं मैनेज?
अगर आपको बढ़ें हुए पल्स प्रेशर की समस्या हो रही है, तो ऐसे में आपको लाइफस्टाइल में सुधार कर पल्स प्रेशर को सुधार सकते हैं। इसमें आपको खाने में कम मात्रा में सोडियम यानी कि नमक की मात्रा लेनी होगी। साथ ही में आपको रोजाना एक्सरसाइज करना होगा। आपको स्मोकिंग और एल्कोहॉल का सेवन जैसी खराब आदतों को छोड़ना होगा, क्योंकि इस कारण से भी पल्स प्रेशर बढ़ जाता है। साथ ही बढ़े हुए पल्स प्रेशर की समस्या को दूर करने के लिए आपको मेडिटेशन का सहारा लेना चाहिए क्योंकि मेडिटेशन से स्ट्रेस कम होता है। कुछ बातों का ध्यान रखकर आप नाड़ी के दबाव को कंट्रोल कर सकते हैं। अगर आपको हार्ट संबंधी कोई बीमारी है, तो बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से संपर्क करें और ट्रीटमेंट कराएं।
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अगर आपको किसी प्रकार की बीमारी नहीं है और आप खुद को स्वस्थ महसूस कर रहे हैं लेकिन पल्स प्रेशर आपका थोड़ा ज्यादा आता है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। पल्स प्रेशर दिन भर में कुछ ऊपर नीचे हो सकता है। अगर फिर भी आपको इस संबंध में कोई चिंता महसूस हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
इस आर्टिकल में हमने आपको पल्स प्रेशर (Pulse Pressure) से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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