के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
प्रायपिज्म पुरुषों को होने वाली एक गंभीर समस्या है जिसमें कई बार लगातार इरेक्शन या दर्दनाक इरेक्शन (Painful infection) होता है। वैसे यह मेडिकल कंडिशन सामान्य नहीं है, लेकिन जब होती है तो आमतौर पर 30 साल की उम्र के पुरुषों में अधिक होती है। प्रायपिज्म से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल।
यौन संबंध बनाने के दौरान पुरुषों में इरेक्शन सामान्य है, लेकिन क्या आपको पता हैकि इरेक्शन बिन पर्याप्त ब्लड फ्लो (Blood flow) के नहीं हो सकता। जब पुरुष उत्तेजित होते हैं तो उनके पेल्विस और पेनिस की धमनियां रिलैक्स होकर बड़ी हो जाती हैं, जिससे पेनिस के स्पंजी टिशू (उत्तकों) में रक्त प्रवाह अधिक होता है। उसी समय नसों के वॉल्व बंद हो जाते हैं, जिससे उस हिस्से में रक्त फंस जाता है और इरेक्शन होता है। इसके बाद उत्तेजना समाप्त हो जाती है, नसों के वॉल्व खुल जाते हैं और रक्त बाहर आ जाता है और पेनिस सामान्य स्थिति में आ जाता है। लेकिन जब यह रक्त प्रवाह सामान्य नहीं होता तो प्रायपिज्म होता है। इरेक्शन जब 4 घंटे से अधिक समय तक रहता है और यह दर्दनाक होता है और बिना यौन उत्तेजना के होता है तो यह प्रायपिज्म है।
कम प्रवाह या इस्केमिक प्रायपिज्म तब होता है जब रक्त इरेक्शन चेंबर के बीच फंस जाता है। टूटी धमनियों के कारण पेनिस में रक्त प्रवाह ठीक तरह से नहीं हो पाता जिससे इरेक्शन का प्रवाह अधिक होता है या नॉनइस्केमिक प्रायपिज्म होता है। ऐसा चोट लगने की वजह से हो सकता है। यदि इरेक्शन 4 घंटे से अधिक समय तक होता है तो यह एक मेडिकल इमरेंजी है और तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है। पेनिस में मौजूद रक्त में ऑक्सिजन की कमी (Low Oxygen) हो जाती है जिससे टिशू के क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है। यदि प्रायपिज्म का उपचार न किया जाए तो पेनिस टिशू को नुकसान पहुंचता है या परमानेंट इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो सकता है।
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प्रायपिज्म कई कारणों से हो सकता है जिसमें शामिल हैः
दवाएं- कुछ दवाएं शरीर के नर्व को प्रभावित करती हैं जिसमें पेनिस भी शामिल है। आमतौर पर, ये नर्व (तंत्रिकाएं) लिंग को आपूर्ति करने वाली धमनियों को चौड़ा करती हैं, जिससे यह उत्तेजित और इरेक्ट होती हैं।
सिकल सेल एनीमिया: वैज्ञानिकों को लगता है कि सिकल सेल रोग वाले लगभग 42% पुरुषों को किसी न किसी बिंदु पर प्रतापवाद मिलेगा।
ड्रग्स: कुछ ड्रग्स जिसमें क्रिस्टल मेथ, मारिजुआना, कोकीन आदि शामिल है, के सेवन से भी यह समस्या हो सकती है।
कैंसर: दुर्लभ मामलों में प्रायपिज्म किसी तरह के कैंसरस ग्रोथ (Cancerous growth) के कारण होता है।
रक्त से जुड़ी बीमारी- दुर्लभ मामलों में कुछ ब्लड कंडिशन भी प्रायपिज्म का कारण हो सकता है। थायलसेमिया, क्रॉनिक ल्यूकेमिया (Chronic leukemia) और मल्टिपल मायेलोमा प्रायपिज्म से संबंधित हैं।
चोट: पेनिस और पेरिनियम में किसी तरह की चोट लगने पर रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता। यह नॉन इस्केमिक प्रायपिज्म का कारण है।
प्रायपिज्म के अन्य कारणों में शामिल हैः
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लंबे समय तक इरेक्शन प्रायपिज्म का एक लक्षण हैं। इसके अन्य लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपको लो फ्लो या हाई फ्लो प्रायपिज्म हैं। यदि आपको लो फ्लो प्रायपिज्म हैं तो आपको दिखने वाले लक्षणों में शामिल हैः
लो फ्लो या इस्केमिक प्रायपिज्म बार-बार हो सकता है। शुरुआत में जब इसके लक्षण दिखते हैं तो इरेक्श कुछ मिनट के लिए होता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है इरेक्शन बार-बार और लंबे समय के लिए होता है।
यदि आपको हाई फ्लो प्रायपिज्म (Priapism) हैं तो इसके लक्षण भी वही हैं चो लो फ्लो प्रायपिज्म के है। इसमें फर्क सिर्फ इतना है कि हाई फ्लो में दर्द नहीं होता है। बिना यौन उत्तेजना के यदि इरेक्शन 4 घंटे से अधिक समय तक होता है तो यह मेडिकल इमरजेंसी है।
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यदि आपको प्रायपिज्म का संदेह हैं, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें और डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें। डॉक्टर को इन चीज़ों के बारे में बताएः
डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री देखेगा और शारीरिक परीक्षण करेगा। वह रेक्टम और पेट की जांच कर सुनिश्चित करता है कि कैंसर के कोई लक्षण (Cancer symptoms) तो नहीं दिख रहे। अधिक स्क्रीनिंग और टेस्ट के लिए आपको यूरोलॉजिस्ट से मिलने की जरूरत है। आगे किए जाने वाले परिक्षणों में शामिल हैः
ब्लड गैस मेज़रमेंट। इस टेस्ट में पेनिस से ब्लड सैंपल (Blood sample) लेकर उसकी जांच की जाती है। यदि ब्लड में ऑक्सीजन की कमी होती है तो इसका मतलब है कि आपको लो फ्लो प्रायपिज्म, लेकिन ब्लड एकदम लाल है और ऑक्सीजन की कमी नहीं तो यह बताता है कि आपको हाई फ्लो प्रायपिज्म हैं।
अल्ट्रासाउंड के जरिए भी पेनिस में रक्त प्रवाह का पता लगाया जाता है। टेस्ट किया जाता है। कई बार प्रायपिज्म ब्लड डिसऑर्ड (Priapism blood disorder) या अन्य बीमारियों के कारण हो सकता है जिसकी जांच के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। टॉक्सिलॉजी टेस्ट। ब्लड में ड्रग्स की मात्रा जांचने के लिए यूरिन सैंपल से यह टेस्ट किया जाता है।
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प्रायपिज्म का उपचार उसके प्रकार और कारण पर निर्भर करता है। डॉक्टर आपकी जांच करके पहले यह पता लगाता है कि प्रायपिज्म लो फ्लो (Low flow) है या हाई फ्लो।
यदि इरेक्शन 4 घंटे से कम समय के लिए रहता है तो पेनिस में रक्त प्रवाह कम करने के लिए डिकन्जेस्टैंट दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं आमतौर पर 4-6 घंटे तक होने वाले इरेक्शन पर प्रभावी होती है, लेकिन यदि किसी मामले में दवा का असर नहीं होता है या इरेक्शन (Erection) 6 घंटे से भी अदिक होता है तो उपचार के लिए अन्य तरीके अपनाए जाते हैं, इसमें शामिल हैः
एस्पीरेशन- इस प्रक्रिया में पेनिस को दवा से सुन्न कर दिया जाता है और सुई डालकर डॉक्टर रुके हुए ब्लड को निकालता है। इस प्रक्रिया के तुरंत बाद दर्द और सूजन कम हो जाती है।
आइस पैक्स- पेनिस या पेरिनियम पर आइस पैक लगाने से सूजन और नॉन इस्केमिक प्रायपिज्म से आराम मिलता है।
सर्जरी- यदि आइस पैक और एस्पीरेशन से समस्या हल नहीं होती है तो पेनिस में सामान्य रक्त प्रवाह (Blood flow) बनाए रखने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है।
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